पीएम मोदी की आगवानी में एयरपोर्ट क्यों नहीं गए तेलंगाना के सीएम?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को तेलंगाना के शमशाबाद पहुँचने पर मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के उनके स्वागत में नहीं रहने पर विवाद खड़ा हो गया है.
पीएम मोदी शनिवार को तेलंगाना में इंटरनेशनल कोर रिसर्च इंस्टीट्यूट फोर द सेमी-अरिड टॉपिक्स (ICRISAT) के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन में पहुँचे थे. इसके बाद उन्होंने रामानुजाचार्य की मूर्ति का अनावरण भी किया था.
लेकिन, इन कार्यक्रमों के साथ-साथ अब चर्चा इस बात की हो रही है कि सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए शमशाबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नहीं आए थे.
उन्होंने अपनी जगह पशुपालन, मतस्य पालन, डेयरी विकास राज्य मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव को भेजा था.
उनके अलावा तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसै सौंदरराजन, मुख्य सचिव सोमेश कुमार और डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी हवाई अड्डे गए थे.

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प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप
अब मुख्यमंत्री की हवाई अड्डे पर अनुपस्थिति के लिए बीजेपी उन पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का आरोप लगा रही है.
तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष ने मीडिया में आरोप लगाया कि केसीआर ने प्रधानमंत्री का अपमान किया है, जो पूरे देश का अपमान है.
तेलंगाना बीजेपी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया, ''उम्मीद के मुताबिक़, प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले केसीआर महत्वहीन मंत्री को भेजकर और निचले स्तर पर पहुँच गए हैं. चंद्रबाबू नायडू और चन्नी के पदचिन्हों पर हैं.''
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यहाँ तक कि कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री के स्वागत में ना आने को लेकर केसीआर की आलोचना की है. पार्टी प्रवक्ता दसोजू श्रवण ने कहा कि केसीआर कार्यक्रमों को छोड़ कर बीजेपी और मोदी के प्रति अपनी पूरी दुश्मनी दिखाना चाहते हैं.
लेकिन, जब प्रधानमंत्री राज्य का दौरा करते हैं तो राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए था. उनकी अनुपस्थिति बहुत अपमानजनक है."

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टीआरएस का जवाब
लेकिन, सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने इन आरोपों को ग़लत बताया है. पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं किया है.
पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा है, ''एक निजी दौरे पर पीएम के स्वागत के लिए सीएम का आना ज़रूरी नहीं है. ये बिल्कुल भारत सरकार के नियमों के अनुरूप है. तेलंगाना बीजेपी को ऐसे घटिया और भ्रामक हथकंडे बंद करने चाहिए.''
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पार्टी ने इसके साथ ही नियमों की कॉपी भी पोस्ट की है. इसमें प्रधानमंत्री के आधिकारिक और निजी दौरों को लेकर बनाए गए प्रोटोकॉल या नियमों की जानकारी दी गई है. इसमें निजी दौरे के नियमों को पार्टी ने उभारकर बताया है.
टीआरएस ने प्रोटोकॉल नियम का जो पन्ना पोस्ट किया है, उसके मुताबिक़ निजी दौरे के लिए लिखा है, ''राज्यपाल और मुख्यमंत्री का मौजूद होना ज़रूरी नहीं है बशर्ते कि प्रधानमंत्री या राज्यपाल या मुख्यमंत्री ने कुछ देर बातचीत की पेशकश ना की हो. एक अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी का पीएम के पुहंचने और वापसी पर मदद के लिए मौजूद होना ज़रूरी है.''
वहीं, आधिकारिक दौरे पर प्रधानमंत्री का स्वागत राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मेयर, मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक द्वारा किया जाता है.

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चुनाव और टकराव
केसीआर और बीजेपी के बीच ये पहला टकराव नहीं है. हैदराबाद के निकाय चुनाव के दौरान भी बीजेपी ने आक्रामक प्रचार करके टीआरएस को कड़ी टक्कर थी. पार्टी को चुनाव में कुछ सीटें भी गंवानी पड़ी थीं.
बीजेपी तेलंगाना में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश में है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण भी यहाँ राजनीतिक गतिविधियां बढ़ रही हैं.
चंद्रशेखर राव भी लगातार बीजेपी और पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं. हाल ही में उन्होंने बजट को लेकर बीजेपी की आलोचना की थी.
उन्होंने कहा था, ''एक बात भारत के युवा के लिए सोचना बहुत आवश्यक है. आज जो बजट पेश हुआ है, उसमें जो कुछ भी कहा गया है, सरासर झूठ है, धोखा है. दलित और आदिवासियों की जनसंख्या करीब 40 करोड़ है लेकिन बजट 12 हज़ार 800 करोड़ ही रखा गया है. ये दलित विरोधी सरकार है.''
केसीआर ने कहा था, ''भारत ग़रीब देश नहीं है. सिंगापुर में संसाधन नहीं हैं लेकिन वहाँ की सरकार के पास दिमाग़ है. यहां सबकुछ है लेकिन सरकार के पास दिमाग़ नहीं है. इसलिए हम पिछड़े हैं. सरकार की सोच में पिछड़ापन है.''
''दोनों राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी विफल हो गई हैं. नरेंद्र मोदी को 10 साल के लिए जो मौक़ा मिला अब उसका टाइम ख़त्म हो गया है. इस भाजपा सरकार को उखाड़कर बंगाल की खाड़ी फेंक देना चाहिए. तब तक ये देश आगे नहीं बढ़ेगा.''
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हालांकि, बीजेपी ने भी इस बयान पर पलटवार किया. बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डीके अरुणा ने कहा कि केसीआर तेलंगाना में बीजेपी के उदय से चिंतिंत हैं और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
वहीं, रिप्ब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के नेता रामदास अठावले ने कहा कि वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं, उनका बीजेपी को बंगाल की खाड़ी में फेंकने की बात कहना अच्छा नहीं है.
अठावले ने कहा, ''अगर वह भाजपा को बंगाल की खाड़ी में फेंकने की बात करेंगे तो हम उन्हें कन्याकुमारी में जाकर जहां तीन समंदर हैं, बंगाल की खाड़ी, हिन्दी महासागर और अरब महासागर में डूबा देंगे.''

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नए संविधान मसौदे पर विवाद
केसीआर ने केंद्र सरकारों पर राज्य की शक्तियां छीनने का भी आरोप लगाया और नए संविधान का मसौदा तैयार करने की बात कही.
बीते मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए केसीआर ने कहा,'' मैं मज़बूती से मानता हूं कि भारत को एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने की ज़रूरत है, जो लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं के अनुरूप हो और देश की प्रगति सुनिश्चित करे. कई देश, जिन्होंने ऐसा महसूस किया है, उन्होंने दोबारा अपना संविधान लिखा. केंद्र को राज्य की शक्तियों को हड़पने से रोकने के लिए एक नया संविधान ही एकमात्र तरीक़ा है.''
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लेकिन, शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संविधान को लेकर की गई इस टिप्पणी को 'अस्वीकार्य' क़रार देते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ का उल्लंघन किया है.
राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा ने ट्वीट किया, ''के. चंद्रशेखर राव की ओर से संविधान को फिर से लिखने के लिए दिए गए बयान से पूरी तरह असहमत हूँ. यह अस्वीकार्य है. यह उन लोगों का बिछाया गया जाल है,जो भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को नष्ट करने की साज़िश रच रहे हैं.''
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उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री,केंद्रीय मंत्री,मुख्यमंत्री और सांसद संविधान की शपथ लेते हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है,जो चिंता की बात है.''
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