उत्तर प्रदेश चुनाव: कैराना में 'पलायन' पर बीजेपी Vs सपा, किसे नफ़ा- ग्राउंड रिपोर्ट

हर्ष गर्ग
    • Author, वात्सल्य राय
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, कैराना से

केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के नेता अमित शाह ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत कैराना से की और कहा कि पलायन कराने वाले यहां से पलायन कर गए.

अमित शाह अपने चुनाव प्रचार के दौरान कैराना के साधु स्वीट्स भी पहुंचे थे. इस दुकान के मालिक राकेश गर्ग के बेटे हर्ष गर्ग पलायन के सवाल पर कहते हैं, "कौन कहता है कि पलायन नहीं हुआ ? शहर में आओ, पता करो."

"एक बंदा भी ना नहीं करेगा, आपको."

"जो छोड़कर गए हैं तीन सौ परिवार, उनसे पूछो कि वो गए थे या नहीं गए थे."

हालांकि दिलचस्प यह है कि कैराना में पलायन का मुद्दा बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह के उठाने के बाद ही राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था. उन्होंने 2016 में पलायन करने वाले 346 लोगों की एक सूची भी जारी की थी. बाद में उन्होंने यह भी माना था कि पलायन की कोई सांप्रदायिक वजह नहीं थी. इस सूची में शामिल लोगों की कभी आधिकारिक तौर पर पुष्टि भी नहीं की गई.

बहरहाल पांच साल बीतने के बाद भी चुनाव के वक़्त पलायन के मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी ने फिर से आंच पर चढ़ाया है. हालांकि इन बीते पांच सालों में योगी आदित्यनाथ की सरकार के कार्यकाल में इस इलाके में पलायन करने वालों की कोई आधिकारिक सूची नहीं तैयार हुई है.

अपनी सूची जारी करते हुए बीजेपी नेता हुकुम सिंह ने ये भी कहा था कि पलायन करने वालों में मुसलमान परिवार भी शामिल हैं और वो उनके नाम भी जारी करेंगे. मुसलमान परिवारों के पलायन की भी कोई सूची अब तक सामने नहीं आई है.

अमित शाह

इमेज स्रोत, Pradeep Verma

'पलायन नहीं, हम भागे थे'

बीते नवंबर महीने में योगी आदित्यनाथ ने भी पलायन करने वालों की वापसी का दावा करते हुए कहा था कि 40-50 लोग वापस लौट आए हैं, लेकिन सरकार की ओर से मीडिया के सामने चार-पांच परिवारों से ज़्यादा लोगों को सामने नहीं किया गया.

लेकिन हर्ष गर्ग जो हुआ उसे पलायन नहीं मानते. उन्होंने बताया, "दुकान बंद की, काम बंद किया, सामान बांधा और चल दिए. ये पलायन नहीं होता, ये भागना होता है सर. ऐसे भागा जाता है, हम भागे थे." गर्ग का दावा है कि बीजेपी के चलते उनका परिवार वापस लौट आया है.

हर्ष गर्ग का दावा है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के समय में क़ानून व्यवस्था बेहतर होने से लोग वापस लौटे हैं लेकिन सवाल यही है कि क्या पलायन का मुद्दा कैराना के चुनाव को कितना प्रभावित करेगा.

चुनाव कार्यालय बीजेपी

इस बार किसका पलड़ा भारी?

भारतीय जनता पार्टी ने कैराना विधानसभा सीट से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मृगांका सिंह को मात दे चुके नाहिद हसन इस बार भी समाजवादी पार्टी की तरफ से उम्मीदवार हैं. उनकी पार्टी का इस बार राष्ट्रीय लोकदल से गठजोड़ है.

उनका घर 'साधु स्वीट्स' से ज़्यादा दूर नहीं. उस तरफ बढ़ते हुए रास्ते के कुछ दुकानदारों से अमित शाह के दौरे पर बात की. नाम न उजागर करने की शर्त पर एक स्थानीय दुकानदार ने सवाल किया, "(अमित शाह के दौरे से) अंतर तो पड़ा है लेकिन क्या ये जीत दिला पाएगा?"

उनकी राय में समीकरण 'समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी की स्थिति मजबूत दिखाते हैं.'

तंग गलियों वाले पुराने शहर कैराना में मुद्दे कई हैं. रोजमर्रा की ज़िंदगी से जुड़े सवाल भी कई हैं लेकिन सर्राफ़ा बाज़ार के दुकानदारों समेत ज़्यादातर लोग मानते हैं कि जीत हार का गणित इन मुद्दों नहीं बल्कि 'किसी और फॉर्मूले' से होगा.

कैराना विधानसभा के कुल तीन लाख 17 हज़ार वोटर हैं. इनमें से क़रीब एक लाख 37 हज़ार मुसलमानों वोटरों में से कुछ के भी वोट भारतीय जनता पार्टी को मिल पाएंगे, वो ऐसी संभावना को लेकर संशय जाहिर करते हैं.

इस सीट पर 25 हज़ार जाट वोटर भी हैं. उनके वोट भी बंटने का दावा किया जा रहा है.

मृगांका को नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन भी मात दे चुकी हैं. इन दोनों के बीच साल 2018 के लोकसभा उपचुनाव में मुक़ाबला हुआ था. तब मृगांका बीजेपी की टिकट पर मैदान में थी और तबस्सुम आरएलडी के टिकट पर विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार थीं.

ये भी दावा किया जाता है कि इसी चुनाव से समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठजोड़ की शुरुआत हुई. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी इस गठजोड़ का हिस्सा थी.

हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कैराना की सीट पर कब्ज़ा कर लिया. यहां से बीजेपी नेता प्रदीप कुमार चौधरी फ़िलहाल सांसद हैं.

समाजवादी पार्टी कार्यालय

'अमित शाह के दौरे से समाजवादी पाार्टी को फ़ायदा'

उधर, समाजवादी पार्टी का दावा है कि इस बार नाहिद हसन की जीत का अंतर पहले से कहीं ज़्यादा होगा.

नाहिद हसन के चुनाव कार्यालय में मौजूद समाजवादी पार्टी के ज़िला सचिव साबिर अली ये दावा भी करते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह के कैराना दौरे का भी नाहिद हसन को फ़ायदा मिला है.

साबिर अली कहते हैं, "अमित शाह के आने से हमें कोई नुक़सान तो हुआ नहीं फ़ायदा ही हुआ है. हम चाहते है कि जितने भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता बचे हों, जैसे माननीय हमारे प्रधानमंत्री जी हैं वे भी आएं, राजनाथ भी आएं, यहां कोई भी आएं हमें लाभ ही होगा, नुक़सान नहीं होगा."

किस तरह का लाभ होगा, ये पूछने पर साबिर अली कहते हैं, "पलायन का मुद्दा तो पिछले चुनाव में भी बीजेपी ने उठाया था. उस समय भी बीजेपी की हार हुई थी. अब दोबारा पलायन की बात उठाई है, इस बार हमारी ज़्यादा बड़ी जीत होगी. पलायन का हमें फ़ायदा ही होगा, नुक़सान नहीं, ये फ़र्जी तरीके से (बात) करते हैं."

साबिर अली ये दावा भी करते हैं कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक मुद्दा नहीं उठाती बल्कि "भाईचारे और एकता की बात करती है."

नाहिद हसन फ़िलहाल जेल में हैं और उनके कई दूसरे समर्थक इसे लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं.

नाहिद हसन के एक समर्थक मोहम्मद सद्दाम आरोप लगाते हैं, "इधर पश्चिम (उत्तर प्रदेश) में बोलने वाला एक वही था, उसे दबा दिया." पार्टी समर्थकों का दावा है कि नाहिद के प्रचार की कमान उनकी बहन इकरा हसन ने संभाली हुई है.

योगी आदित्यनाथ

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आरोपों की झड़ी

नाहिद से समर्थक ये भी आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सरकार ने पांच साल में यहां कोई विकास नहीं कराया है, इसलिए पलायन का मुद्दा उठा रही है.

सद्दाम कहते हैं, "पांच साल में अब से पहले ये कोई मुद्दा नहीं था. अब इलेक्शन आ गया तो मुद्दा बन गया."

कैराना के एक और निवासी मलिक चौहान कहते हैं, "शिकायत सरकार से है. गुंडागर्दी ख़त्म नहीं हुई. फ़र्जी मुक़दमे लगाए गए."

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वहीं, भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सुरेंद्र सिंह सरकार के फ़ैसलों का बचाव करते हैं.

वो कहते हैं, "फ़र्जी मुक़दमा किसी पर नहीं हुआ, जो कुछ ग़लत करता है, सरकार उस पर एक्शन लेती है."

कैराना के ही रहने वाले सुशील कुमार कहते हैं, "इस बार चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेगा विकास का, ईमानदारी का और बहू-बेटियों की सुरक्षा का."

अखिलेश यादव

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क्या है भविष्य?

कैराना में कुछ लोग रोज़गार और महंगाई की बात भी उठाते हैं लेकिन ज़्यादातर लोगों की राय में चुनावी लड़ाई की दिशा और मुद्दे तय हो चुके हैं.

यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार अख़लाक और बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी राजेंद्र सिंह समेत कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, लेकिन 10 फरवरी को होने वाली वोटिंग में मुख्य मुक़ाबला नाहिद हसन और मृगांका सिंह के बीच ही माना जा रहा है.

और मतदान से करीब 12 दिन पहले हर्ष गर्ग से भविष्य को लेकर सवाल किया तो वो बोले, "सुरक्षित तो पूरा महसूस करते हैं. जैसा माहौल है, वैसा ही रहा तो भविष्य में रहने में क्या दिक्कत है."

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