पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति, NSA ने किया आगाह, रिश्ते न सुधरे तो सबसे ज़्यादा भारत का नुक़सान

इमेज स्रोत, REUTERS/GETTY IMAGES
पाकिस्तान ने नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जारी करते हुए भारत को आगाह किया है और कहा है कि अगर भारत रिश्ते सुधारने की दिशा में 'सही क़दम नहीं उठाता है तो सबसे ज़्यादा नुक़सान उसे ही होगा.'
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ़ के मुताबिक नई नीति में 'दोनों देशों के बीच रिश्तों का आधार जम्मू कश्मीर को बताया गया है.'
पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पांच साल के लिए है लेकिन इसे तैयार करने में सात साल का वक़्त लगा है.
पाकिस्तान के 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अख़बार के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने जानकारी दी है कि नई नीति को लेकर यूसुफ़ ने कहा, "इसमें जम्मू कश्मीर को दोतरफ़ा रिश्तों का आधार बताया गया है."
उधर, इस्लामाबाद में बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री से बातचीत में पाकिस्तान के अधिकारियों ने दावा किया कि पाकिस्तान की 'नई सुरक्षा नीति में किसी देश विशेष का ज़िक्र नहीं है.'
पाकिस्तान के अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि वो भारत समेत सभी देशों के साथ रिश्ते बेहतर रखना चाहते हैं.
हालांकि, इन अधिकारियों ने भी दावा किया कि अगर रिश्तों में सुधार नहीं आता है तो 'नुक़सान भारत का भी होगा.'

इमेज स्रोत, YUSUFMOEED @TWITTER
'भारत से ख़तरा'
उधर, पीटीआई ने 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में आई रिपोर्ट का ज़िक्र किया है और बताया है कि जब पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यूसुफ़ से पूछा गया कि नई नीति में भारत को क्या संदेश दिया गया है, तो उन्होंने कहा, "इसमें भारत से कहा गया है कि वो सही कदम उठाए. लोगों के लाभ के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी का लाभ ले."
अख़बार के मुताबिक नई नीति में भारत के लिए संदेश है कि अगर 'आप सही कदम नहीं उठाते हैं तो ये पूरे क्षेत्र के लिए घाटे की बात होगी लेकिन सबसे ज़्यादा नुक़सान भारत को होगा.'
पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति में भारत की ओर से मौजूद ख़तरों में 'ग़लत जानकारी फ़ैलाने, हिंदुत्व और घरेलू राजनीति में लाभ पाने के लिए आक्रामक नीति आजमाने को गिनाया गया है.'

इमेज स्रोत, @PTI OFFICIAL
इमरान ख़ान ने क्या कहा?
इसके पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने शुक्रवार को नई नीति (2022-2026) का एक हिस्सा जारी किया और कहा, "सबसे बड़ी सुरक्षा ये है कि लोग देश के लिए खड़े हों. समावेशी विकास के जरिए ये स्थिति लाई जा सकती है."
इमरान ख़ान ने कहा कि नई सुरक्षा नीति का फोकस देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर है और अब से विदेश नीति में भी 'आर्थिक कूटनीति' को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा.
पाकिस्तान सरकार के मुताबिक ये नीति सैन्य और नागरिक प्रसाशन की सहमति से तैयार की गई है और ये साल 2014 से तैयार की जा रही थी. बीते महीने इस नीति को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और इस पर नेशनल सिक्योरिटी कमेटी ने भी सहमति की मुहर लगा दी थी.
नई नीति का सौ पन्ने वाला मूल संस्करण गोपनीय रखा गया है.
पाकिस्तान सरकार का दावा है कि पहली बार 'नागरिक हितों को वरीयता' देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तैयार की गई है और इसके जरिए पाकिस्तान अपनी ख़स्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहता है. वो दुनिया में अपनी तस्वीर भी बेहतर करना चाहता है.
पहले पाकिस्तान की सुरक्षा नीति सिर्फ़ सैन्य क्षमताओं के विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती थी. ये आम राय है कि पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति में सेना का बड़ा दखल होता है. पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से आधे से ज़्यादा वक़्त तक देश की कमान सैन्य शासकों के हाथ रही है.
इमरान ख़ान ने कहा, "हमारी सशस्त्र सेनाएं हमारा गौरव हैं. ये पूरे देश को एकजुट रखती हैं. इस क्षेत्र में हमारे सामने जो ख़तरे हैं और जिस तरह के ख़तरे बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए उन्हें हमारी ओर से और ज़्यादा अहमियत और समर्थन मिलता रहेगा."

इमेज स्रोत, AFP
किन मुद्दों पर है ध्यान?
इमरान ख़ान ने कहा कि नए दस्तावेजों में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा की साफ़ तौर व्याख्या की गई है.
इमरान ख़ान ने कहा कि उनकी सरकार का 'ध्यान संवेदनशील तबके पर है और उनकी सरकार ग़रीबों के लिए हेल्थ कार्ड लेकर आई है. उन्होंने कहा कि तरक्की और खुशहाली के लिए क़ानून का राज कायम करना भी ज़रूरी है.'
इमरान ख़ान ने नई नीति की अहमियत बताते हुए कहा, "हम दबाव में आईएमएफ़ के पास जाते हैं और कर्ज़ लेने के लिए उसकी कड़ी शर्तें मंजूर करते हैं. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है. भले ही इसका संबंध सुरक्षा बलों से न हो लेकिन आपको अपने लोगों पर बोझ डालना होता है. "
उन्होंने कहा, "सरकार की नज़र में लोगों की सुरक्षा ही पाकिस्तान की सुरक्षा है. लोगों को अच्छा प्रशासन मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेशनल सिक्योरिटी कमिटी लगातार इसकी प्रगति की समीक्षा करेगी."
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद यूसुफ ने कहा कि जिन मुद्दों ने पाकिस्तान की सुरक्षा पर असर डाला है, नई नीति में उन सब पर ध्यान दिया गया है. पाकिस्तान की सुरक्षा और दुनिया में इसकी स्थिति मजबूत करने के लिए 'भू रणनीतिक और भू राजनीतिक पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है.'

इमेज स्रोत, Getty Images
बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री का विश्लेषण
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान की जो सुरक्षा नीति जारी की, उसमें नीति का एक हिस्सा सार्वजनिक नहीं किया गया है.
ये एक ऐसा दस्तावेज होगा जो पाकिस्तान की भविष्य की दिशा को ज़ाहिर करेगा. इसमें सबसे अहम बात यही है कि हमेशा से पाकिस्तान का फोकस रहा है एक 'सिक्युरिटी स्टेट' के तौर पर लेकिन पहली बार 'सिक्युरिटी स्ट्रक्चर' के कोर को बदल दिया गया है.
इस लेख में X से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले X cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.
पोस्ट X समाप्त
ये कहा जा रहा है कि ये फ़ोकस 'जियो पॉलिटिक्स' से बदलकर 'जियो इकोनॉमिक्स' पर रखा जाएगा. पाकिस्तान में ये समझ बन रही है कि सैन्य रूप से पाकिस्तान जितना भी मजबूत हो लेकिन अगर इसकी अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी तो ये अपनी आज़ादी और संप्रभुता की हिफाजत नहीं कर सकता है. 'जियो इकोनॉमिक्स' में सबसे महत्वपूर्ण पहलू 'रीजनल कनेक्टिविटी' है.
इसमें कहा गया है कि कनेक्टिविटी पर बहुत ध्यान दिया जाएगा. पाकिस्तान को 'ट्रेड और एनर्जी कॉरिडोर' के तौर पर विकसित किया जाएगा.
पाकिस्तान के पड़ोसी देश चीन और भारत हैं. ये बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. इन्हें ऊर्जा के मामले में संपन्न मध्य एशिया के देशों के साथ जोड़ा जा सकता है.
इस नीति में भारत या किसी देश विशेष को लेकर तो कुछ नहीं कहा गया है कि उनसे किस तरह के रिश्ते रखे जाएंगे.
लेकिन नेशनल सिक्योटिरी डिवीजन के बहुत सीनियर अधिकारियों से जब हमने बात की तब उन्होंने ये कहा कि पाकिस्तान अपने सभी पड़ोसी देशों से शांतिपूर्ण रिश्ते चाहता है.
ये सब समझते हैं कि भारत के साथ रिश्ते और अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता दोनों रिजनल कनेक्टिविटी के लिए अहम हैं लेकिन अभी ऐसा लगता कि निकट भविष्य में इस दिशा में प्रगति की संभावना दिखाई नहीं देती है, ख़ासकर भारत के साथ रिश्तों के मामले में, जहां भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार पाकिस्तान का इस्तेमाल घरेलू राजनीति में कर रही है. भारत की सरकार अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ रिश्तों के मुद्दे का राजनीति में इस्तेमाल करती है.
अधिकारियों का कहना है कि अगर रिश्ते बेहतर नहीं होते हैं तो नुक़सान सिर्फ़ पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत का भी होगा.
ये भी पढ़ें
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)












