श्रीनगर जेवन हमला: 'अब्बू का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन वो आए कफ़न ओढ़ कर'

गुलाम हुसैन बट की बेटी

इमेज स्रोत, Majid Jahangir/BBC

    • Author, माजिद जहांगीर,
    • पदनाम, रामबण से बीबीसी हिंदी के लिए

"मैं तो अपने अब्बू का इंतज़ार कर रही थी कि वह आएंगे तो उनसे मुलाक़ात होगी. लेकिन वह तो आ गए कफ़न ओढ़ कर. अब किसको गले लगा लो. अपने पोतों को ज़ोर से गले लगाने के बारे में मुझे फ़ोन पर कुछ दिन पहले बता रहे थे. लेकिन वह तो लाश की शक्ल में घर पहुंच गए हैं."

ये शब्द पच्चीस वर्षीय महिला ज़ुबैदा के हैं जिनके पिता गुलाम हुसैन बट सोमवार को श्रीनगर में एक चरमपंथी हमले में मारे गए.

श्रीनगर से क़रीब 140 किलोमीटर दूर ज़िला रामबण के बृथंड गांवों की ख़ूबसूरत वादियों से घिरे गुलाम हुसैन के घर की दीवारों से परिवारवालों की सिसकियाँ, दर्द और आंसू टकरा कर उन्हें ही घायल कर रहे थे.

गुलाम हुसैन का घर

इमेज स्रोत, Majid Jahangir/BBC

तिरंगे में लिपटा शव पहुंचा घर

गुलाम हुसैन के दो मंज़िला मकान के अंदर और बाहर रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों की भीड़ उमड़ी हुई है.

तिरंगा में लिपटे गुलाम हुसैन के शव को लोगों की एक बड़ी तादाद देखने आ रही थी और नम आँखों से लोग उनको अलविदा कह रहे थे.

छोड़िए YouTube पोस्ट
Google YouTube सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में Google YouTube से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले Google YouTube cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

चेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट YouTube समाप्त

कमरे के एक कोने में सिमटी ज़ुबैदा बताती हैं, "ये कश्मीर में ही हालात ख़राब क्यों रहते हैं. जब भी कुछ न्यूज़ सुनते हैं तो वह कश्मीर के ख़राब हालात की ख़बर होती हैं. हम तो इंसाफ़ चाहते हैं. दुःख में डूबी ख़बरें तो कश्मीर से ही आती हैं. पूरे हिंदुस्तान की सुरक्षा कश्मीर में ड्यूटी है और हमारे पापा भी कश्मीर में ड्यूटी पर थे और उनको भी मारा गया."

"इस कश्मीर ने दुनिया को खाया लेकिन इसको किसी ने नहीं खाया. जब कोई कश्मीर में मर जाता था तो हम कहते थे कि अब उसके परिवार वालों का क्या होगा. लेकिन हमें क्या पता था कि हमारे पापा को भी कश्मीर में ही मारा जाए गए. अब अपने पापा को हम कहां देख पाएंगे. हम तो इंसाफ़ चाहते हैं."

ये भी पढ़ें -

वह बस जिस पर हमला किया गया

इमेज स्रोत, MOHSIN ALTAF

इमेज कैप्शन, वह बस जिस पर हमला किया गया

370 हटने के बाद सबसे बड़ा चरमपंथी हमला

सोमवार को श्रीनगर के जेवन में तीन चरमपंथियों ने जम्मू -कश्मीर पुलिस की एक बस पर हमला किया जिसमें पुलिस के तीन जवान मारे गए और जबकि 11 अन्य घायल हुए हैं.

पुलिस के मुताबिक़, जिस बस पर चरमपंथियों ने हमला किया, उस बस में पुलिस के पच्चीस जवान सवार थे. ये बस जेवन से पन्था - चौक की तरफ़ जा रही थी.

हमले की जगह से उनका बेस कैंप महज़ तीन किलोमीटर दूर है. जिस इलाक़े में ये हमला किया गया उस इलाके में पुलिस और सुरक्षाबलों के कई कैंप और दफ़्तर स्थित हैं.

पुलिस ने ये भी बताया कि चरमपंथी पुलिस बस के अंदर दाख़िल होने की फ़िराक़ में थे और पुलिस जवानों से हथियार छीनना चाहते थे.

पुलिस ने ये भी बताया है कि जैश मोहम्मद के ऑफ़शूट संगठन कश्मीर टिगर्स ने इस हमले को अंज़ाम दिया है.

आर्टिकल 370 हटाने और पुलवामा हमले के बाद अभी तक का ये सबसे बड़ा चरमपंथी हमला था.

ये भी पढ़ें -

गुलाम हुसैन बट की बेटी

इमेज स्रोत, Majid Jahangir/BBC

इमेज कैप्शन, गुलाम हुसैन बट की बेटी ज़ुबैदा

तीन सालों में होना था रिटायरमेंट

गुलाम हुसैन बीते पैंतीस वर्षों से पुलिस में नौकरी कर रहे थे और अभी अस्सिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के पद पर थे. वे साल 2024 में रिटायर होने वाले थे.

गुलाम हुसैन के छोटे बेटे शाहिद ने जब अपने पिता का शव ताबूत में देखा तो वह कांप रहे थे.

अपने पिता को कफ़न में लिपटता देख वे ज़मीन पर गिर गए.

वह सिर्फ़ चीख रहे थे और उनके इर्द -गिर्द लोग उन्हें पानी पीला रहे थे. वह कोई बात नहीं कह पा रहे थे जैसे उनकी सारी दुनिया लुट चुकी थी.

गुलाम हुसैन की पत्नी शरीफ़ा कमरे में महिलाओं के बीच में किसी गहरे सोच में डूबी थीं और अपनी दुनिया उजड़ने का मातम उनकी आंखें और उनके सूखे होंठ बयां कर रहे थे.

शरीफ़ा की आँखों में जैसे आंसू रुक गए थे और शायद अपने बच्चों को हौसला देने के लिए वह अंदर ही अंदर मर रही थीं.

ये भी पढ़ें -

गुलाम हुसैन बट की पत्नी शरीफ़ा

इमेज स्रोत, Majid Jahangir/BBC

इमेज कैप्शन, गुलाम हुसैन बट की पत्नी शरीफ़ा

'देश के लिए जान देने का शुक्र'

हुसैन के बड़े भाई गुलाम हसन बट अपने भाई के मर जाने से अकेले पड़ गए हैं.

वह बताते हैं, "मेरा भाई और मैं बीते पचास वर्षों से एक साथ रहते थे. चार महीने पहले हम अलग-अलग रहने लगे. लेकिन अब मुझे अकेला छोड़ गए. अब इस बात पर इत्मिनान है कि वह देश के बहादुर सिपाही माने जाएंगे. अगर वह भागते तो गद्दार कहलाते. शुक्र है देश के लिए उन्होंने जान दी."

ये पूछने पर कि कश्मीर में ड्यूटी देने से आप लोग कितने चिंतित रहते थे.

वह बोले, "ये तो हमें पता है कि जिसने बेल्ट पहनी और बंदूक़ उठाई. उसको गोली का सामना करना पड़ता है. जब भी हम सुनते थे कि कश्मीर में एनकाउंटर हो रहा है तो हमारी नब्ज़ ढीली हो जाती. कश्मीर में ड्यूटी करना बहुत मुश्किल है."

गुलाम हुसैन अपने पीछे बच्चे और पत्नी छोड़ गए हैं. उनका एक बेटा भारतीय सेना में काम करता है.

जम्मू -कश्मीर के राजनैतिक दलों ने जेवन हमले की सख़्त निंदा की है और पीड़ित परिवार वालों के साथ शोक वक़्त किया है.

ये भी पढ़ें -

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)