पंजाब चुनाव से पहले घर में ही क्यों घिरे कैप्टन अमरिंदर सिंह

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- Author, सरबजीत सिंह धालीवाल
- पदनाम, बीबीसी पंजाबी के लिए
पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को विपक्ष के साथ-साथ अपनी ही पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है.
कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह से बरगाड़ी बेअदबी मामले समेत कई अन्य मुद्दों पर कार्रवाई ना करने पर सवाल उठाते रहे हैं. सिद्धू के बाद अब कांग्रेस के कई मंत्री और विधायकों ने भी कैप्टन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी शुरू कर दी है.
कांग्रेस की पंजाब इकाई में अंतर्कलह का मामला दिल्ली दरबार तक पहुंच गया है और विवाद को ख़त्म करने के लिए हाईकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी तैयार की है. राहुल गांधी ख़ुद भी विधायकों और सांसदों की राय ले रहे हैं.
धार्मिक ग्रंथ बेअदबी मामले में अब तक कार्रवाई ना करने के मुद्दे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह अब अपनी ही पार्टी के दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने के ताज़ा फ़ैसले के कारण सुर्खियों में हैं.
कैप्टन के फ़ैसले के कारण पंजाब में नया सियासी बवाल मच हुआ है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पंजाब सरकार ने हाल ही में कैबिनेट की बैठक में अपनी ही पार्टी के दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव पास किया है.
कैबिनेट ने ये फ़ैसला इस आधार पर किया है क्योंकि दोनों विधायकों के पिता पंजाब में चरमपंथी लहर के दौरान मारे गए थे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार और विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर लगाया गया है.
इसे लेकर पंजाब कांग्रेस के नेता और विधायक सवाल उठा रहे हैं.
विधायक नवजोत सिंह, परगट सिंह, कुलबीर सिंह जीरा, बरिंदर ढिल्लों, अमरिंदर सिंह राजा बडिंग और कई विधायक इस मुद्दे पर सरकार से नाराज़ हैं.

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नवजोत सिंह सिद्धू के सवाल
कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल किया कि विधायकों के बेटों को नौकरी क्यों दी गई? जिनके घर में कोई कमाने वाला नहीं है, उनको नौकरी क्यों नहीं?
हाल ही में उन्होंने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मेरे लिए कांग्रेस के दरवाज़े बंद करने वाले कप्तान कौन हैं? सब कुछ हाईकमान तय करेगा,
उन्होंने कहा कि अब यह राजशाही व्यवस्था नहीं लोकतंत्र है. कई साल पहले सरदार पटेल राजशाही ख़त्म कर चुके हैं. सिद्धू ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पंजाब में सत्ता का हैंडओवर हो रहा है, एक की बारी ख़त्म और दूसरे पक्ष की बारी शुरू.

भारतीय हॉकी टीम का कप्तान रह चुके और कांग्रेस के विधायक परगट सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मैं यह नहीं समझ पा रहा कि जो विधायकों के बेटों को नौकरी देने का आधार क्या है? ऐसे विधायकों के बेटों को नौकरी देने से सरकार और पार्टी की छवि ख़राब होती है."
परगट सिंह के मुताबिक़ कैबिनट के पांच मंत्रियों ने कैप्टन के इस फ़ैसले का विरोध किया पर विरोध के बावजूद इन नौकरियों को मंज़ूरी दे दी गई.
वोट कैसे मांगेंगे
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के काम करने के तरीके से कांग्रेसी ज्यादा परेशान हैं. साथ ही उनका कहना है कि अमरिंदर सिंह के लिए नवजोत सिंह सिद्धू कोई चुनौती नहीं हैं क्योंकि उनके साथ कोई विधायक नहीं है.
उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस की वर्तमान लड़ाई मुद्दों को लेकर है क्योंकि इसमें से ज्यादातर हल नहीं हुए इसलिए विधायक और मंत्री इस बात से डरते हैं वे आगामी विधानसभा चुनावों मे लोगों से वोट कैसे मांगेंगे.
बरगाड़ी बेअदबी मामले में किसी पर भी कोई कार्रवाई न होने के कारण कांग्रेस विधायकों को डर है कि पार्टी को नुकसान होगा.
पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद ख़ालिद के अनुसार, "कैप्टन अमरिंदर सिंह वर्तमान में आंतरिक और बाहरी दोनों चुनौतियों का सामना कर रहे हैं."
प्रो ख़ालिद के अनुसार अगर पार्टी में एकता नहीं होगी तो बाहरी चुनौतियां और गंभीर हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां कम नहीं होंगी, बल्कि आने वाले दिनों में और बढ़ेंगी क्योंकि चुनाव नज़दीक आते ही पार्टी के भीतर आंतरिक विरोध और तेज़ हो सकता है.
कैप्टन का तर्क
दूसरी तरफ़ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नौकरियां देने के फ़ैसले को सही ठहराया है.
कैप्टन का तर्क है कि इन परिवारों ने पंजाब के लिए बलिदान दिया है और सरकार ने नीति के मुताबिक़ ही नौकरी दी है.
सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा था कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.
मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में, राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी, जो जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं, जिनकी 1987 में चरमपंथी गुटों ने हत्या कर दी थी.
कांग्रेस नेताओं में इस मुद्दे का विरोध होते देख, पंजाब सरकार की ओर से 20 जून को एक प्रेस नोट जारी किया गया जिसमें कुछ कांग्रेसी सांसदों और विधायकों ने फतेह जंग सिंह बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को नौकरी देने के कैबिनेट के फ़ैसले का समर्थन किया.
क्या है कैप्टन की घर-घर रोज़गार योजना का हाल
पंजाब में किसान आंदोलन के अलावा कई अन्य आंदोलन भी अलग-अलग मांगों के लेकर इस समय चल रहे हैं.
शिक्षक की नौकरी पाने के इम्तिहान पास कर चुके सुरिंदरपाल, गर्मी के बावजूद पिछले 94 दिनों से पटियाला में एक टावर पर चढ़ कर सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं.
सुरिंदरपाल सिंह का तर्क है कि कांग्रेस के साढ़े चार साल के शासन के बावजूद, सरकार ने नौकरियों का अपना वादा पूरा नहीं किया है. सुरिंदर पाल के मुताबिक़ नौकरी मिलने के बाद ही वो टावर से नीचे उतरेंगे.
मोहाली में अस्थाई शिक्षकों ने हाल ही में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के भवन पर हंगामा किया था. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव में सरकार आने पर घर-घर जाकर रोज़गार देने का वादा किया था.
कांग्रेस सरकार का दावा है कि उसने राज्य में 17.60 लाख युवाओं को रोज़गार दिया, जिसमें से 62,743 को सरकारी नौकरी दी गई. इसके अलावा 7,01,804 युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार प्रदान किया गया. सरकार का दावा है कि एक लाख नौजवानों के नौकरी देना का काम चल रहा है.
कैप्टन पर हमलावर विपक्ष
नौकरी के मामले को लेकर शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार की तीखी आलोचना की है.
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने इस मामले में पंजाब के राज्यपाल के हस्तक्षेप करने की मांग की है.
मजीठिया के मुताबिक़, यह राजकोष की लूट है और कैप्टन अपने असंतुष्ट विधायकों को खुश करने और अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा है कि अगर पंजाब सरकार को सरकारी नौकरी देनी है तो चरमपंथ के दौरान जान देने वाले 35 हजार परिवारों के बच्चों को नौकरी देनी चाहिए.
आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर कैप्टन को घेरने की कोशिश की है.
बरगाड़ी बेअदबी मामला
साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वादा किया था कि उनकी सरकार आने पर बरगाड़ी बेअदबी घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा दी जाएगी.
इस मुद्दे पर विधानसभा का सत्र भी हुआ जिसमें सभी विधायकों और मंत्रियों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा.
सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया लेकिन हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने न केवल एसआईटी की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया बल्कि जांच दल के मुख्य अधिकारी कंवर विजय प्रताप सिंह पर ही सवाल खड़े कर दिए. अब कंवर विजय प्रताप सिंह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं.
सरकार ने एक नई जांच टीम का गठन किया है. अदालत के फ़ैसले के बाद कांग्रेस के भीतर से एक कड़ी प्रतिक्रिया आई. ख़ास तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मामले को लेकर कैप्टन अमरिंदर पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं.
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