कोरोना: विश्वरूप राय चौधरी की बातों में आप भी तो नहीं आ रहे

विश्वरूप राय चौधरी

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भारत में वैक्सीन के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे एक शख़्स का दावा है कि कोरोना पर मेडिकल साइंस का नज़रिया बिल्कुल ग़लत है.

लेकिन सोशल मीडिया पर पहले से ही काफ़ी मशहूर हो चुका विश्वरूप राय चौधरी नाम का यह शख़्स सिर्फ़ खान-पान से कोविड-19 के इलाज का ग़लत दावा करके लोगों की ज़िंदगियों को ख़तरे में डाल रहा है.

एड मैन और रेहा कन्सारा की रिपोर्ट

विश्वरूप राय चौधरी के दावों का कोई अंत नहीं है.

उनकी वेबसाइट पर अपने एक वीडियो में वह कहते हैं, "मेरे हिसाब से अधिकतर मौतें कोरोना वायरस से नहीं बल्कि इसके इलाज की वजह से हो रही हैं."

चौधरी भारत में सोशल मीडिया के स्टार हैं. कुछ दिनों पहले तक सोशल मीडिया में बेहद लोकप्रिय रहे चौधरी को अब कई प्लेटफॉर्मों पर बैन किया जा चुका है.

उनका दावा है कि मरीज़ों के इलाज में लगने वाली दवाइयां दरअसल, डॉक्टरों और बड़े उद्योग घरानों की जेबें भरने के लिए होती हैं. ये दवाइयां पैसा कमाने की उन लोगों की साज़िश का नतीजा हैं.

मुंबई में कोरोना वायरस के टीकाकरण के लिए लगी लाइन

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चौधरी ने बीबीसी से कहा, "दवाइयां किसी बीमारी को ठीक करने में मदद नहीं करतीं. मैं बड़ी शिद्दत से यह मानता हूं कि इंसान को वैक्सीन की भी कोई ज़रूरत नहीं है."

चौधरी अपने कई वीडियो में यह दावा करते हैं कि फलों और सब्ज़ियों से भरपूर उनका डाइट प्लान न सिर्फ़ कोविड-19 को ख़त्म कर देगा बल्कि वह डाइबिटीज़ और एड्स जैसी बीमारियों का भी इलाज कर देगा.

मेडिकल साइंस इसे बकवास मानता है लेकिन चौधरी ने अपना संदेश फैलाने के लिए कोरोना महामारी के इस दौर का बख़ूबी इस्तेमाल किया है.

विश्वरूप राय चौधरी अपने फ़ॉलोअर्स को बताते हैं कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल जाने पर मरीज़ के ठीक होने के बजाय मरने की आशंका ज़्यादा है. उनका कहना है कि कोविड मरीज़ ऑक्सीजन लेने के बजाय हाथ से झलने वाले पंखे की हवा के सामने बैठें तो ज़्यादा अच्छा महसूस करेंगे.

विश्वरूप के कई आलोचक उन्हें एक ख़तरनाक फ्रॉड बताते हैं. उनका कहना है कि लोगों को दी जाने वाली ऐसी ग़लत सलाहों से भारत में चल रही कोरोना की इस दूसरी भयावह लहर से हालात और ज़्यादा ख़राब होंगे.

भारत में लगातार रोज़ाना 3.5 लाख से अधिक कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं

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भारत की फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ की सीनियर एडिटर डॉ. सुमैया ख़ान कहती हैं, "विश्वरूप राय चौधरी एक झोलाछाप डॉक्टर हैं. उनकी बहुत बड़ी फ़ैन फ़ॉलोइंग है और यह चीज़ उन्हें और ख़तरनाक बना देती है."

विश्वरूप ने अपनी कई किताबों, ऑनलाइन वीडियो, कोर्स और भीड़ भरे लाइव इवेंट्स के ज़रिये प्रशंसकों की बड़ी तादाद जुटाई है.

हालांकि यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने उन्हें पिछले साल बैन कर दिया था. लेकिन इसके पहले ही वह अपने फ़ॉलोअर्स की एक आर्मी तैयार कर चुके थे. यूट्यूब पर उनका अकाउंट डिलीट होने से पहले उनके दस लाख फॉलोअर्स बन चुके थे.

व्हॉट्सऐप और टेलीग्राम पर अब भी उनके ऑफ़िशियल चैनल बरकरार हैं. यहां विश्वरूप के फ़ैन प्रॉक्सी अकाउंट्स पर उनके कंटेंट अपलोड करते हैं. इसके ज़रिये उनका कंटेंट फैलता रहता है.

व्हॉट्सऐप ने हमें बताया कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कोरोना वायरस से जुड़ी ग़लत जानकारियों को फैलने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है. लेकिन टेलीग्राम ने इस मामले में प्रतिक्रिया मांगने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया.

प्रचार के सहारे हासिल की लोकप्रियता

विश्वरूप चौधरी ख़ुद को एक ऐसे उपेक्षित लेकिन बहादुर शख़्स के तौर पर पेश करते हैं जो जनता को ठगने वाले मेडिकल प्रतिष्ठानों के ख़िलाफ़ खड़ा है.

वह कहते हैं कि कोविड-19 किसी भी आम फ्लू जैसा ही है, इस तथ्य के बावजूद कि यह वास्तव में बेहद घातक है. इस बात के तमाम सबूतों के बावजूद वह दावा करते हैं कि फ़ेस मास्क से वायरस को रोकने में कोई मदद नहीं मिलती. उल्टे यह मास्क लोगों को और बीमार बना देता है.

भारत में दमन के ख़िलाफ़ अलग-अलग समुदायों की ओर से उछाले जाने वाले नारे 'आज़ादी' को उन्होंने लपक लिया है और अब 'मास्क से आज़ादी' का नारा दे रहे हैं.

चौधरी दावा करते हैं कि मास्क ज़हरीले हैं

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कोरोना वायरस पर पब्लिश की गई उनकी कई ई-बुक्स में से एक में उन्होंने उस शख़्स को एक लाख रुपए देने का दावा किया है जो उनके सामने यह साबित कर दे कि 'बीमारी ठीक करने में टीकों ने उसकी मदद की है.'

जबकि हक़ीक़त यह है कि पिछले कई दशकों से मेडिकल रिसर्च से जुड़े तमाम प्रकाशनों में इस बात का दस्तावेज़ीकरण किया गया है कि टीकों ने किस तरह से पूरी दुनिया में बीमारियों को रोकने और उन्हें ख़त्म करने में मदद की है. लेकिन चौधरी इसे पूरी तरह ख़ारिज कर देते हैं.

सिर्फ़ खान-पान से इलाज का दावा

विश्वरूप चौधरी ने लगभग एक दशक पहले सभी बीमारियों का इलाज करने वाला अपना डायट प्लान तैयार किया था.

वह काफ़ी अलबेले शख़्स हैं और इसके पहले कई करियर में दांव आज़मा चुके हैं. इंजीनयरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने फ़िल्म मेकिंग के ज़रिये बॉलीवुड में भी हाथ आज़माया.

एक फ़िल्म में उन्होंने ख़ुद को हीरो के तौर पर भी कास्ट किया. वह इंडिया और एशिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के चीफ़ एडिटर और फ़ाउंडर भी हैं. यह गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तर्ज़ पर ही बना है लेकिन उससे संबंधित नहीं है.

टेक्नोलॉजी वेबसाइट 'रेस्ट ऑफ वर्ल्ड' में काम करने वाले पत्रकार नीलेश क्रिस्टोफ़र बताते हैं कि एक बार चौधरी की पत्नी को फ्लू हुआ लेकिन यह ठीक नहीं हो रहा था. उसी दौर में चौधरी ने पोषण से जुड़े प्रयोग करने शुरू किए थे.

क्रिस्टोफ़र बताते हैं, "चौधरी ने मुझे बताया कि उनकी पत्नी का फ्लू ठीक नहीं हो रहा था. इसे ठीक करने के लिए वह यहां से वहां दौड़ रहे थे. डॉक्टरों का चक्कर लगा रहे थे. किसी भी तरह इसका इलाज पता करना चाहते थे लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही थी.''

"तब उन्होंने ख़ुद प्रयोग करने का फैसला लिया. उनका दावा है कि ख़ुद करके सीखने की प्रक्रिया में उन्होंने कुछ रिसर्च पेपर पढ़े और फिर एक जादुई नुस्खा तैयार किया और वह था नारियल पानी, खट्टे फलों और कुछ सब्ज़ियों का मेल. "

भारत में आयुर्वेदिक दवाओं की पुरानी परंपरा है. इसमें भोजन और जड़ी-बूटियों से बीमारियों का इलाज किया जाता है.

विश्वरूप राय चौधरी का दावा है कि पंखे के आगे बैठने से ऑक्सीजन ठीक होती है

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लेकिन विश्वरूप राय चौधरी ने लगातार अपने नुस्खों के बारे में चौंकाने वाले ज़बरदस्त दावे किए हैं. उनका कहना है कि उनकी सलाह मानने वाले लोगों पर इसका चमत्कारिक असर हुआ है. क्रिस्टोफ़र कहते हैं कि निश्चित तौर पर वह इस समय भारत के सबसे बड़े नीम-हकीमों में से एक हैं.

जब पहली बार कोरोना का हमला हुआ तो विश्वरूप ने तुरंत इसे "इन्फ्लुएंज़ा जैसी बीमारी" घोषित कर दिया और कहा कि इस तरह की बीमारी उनकी थ्री स्टेप वाली फ्लू डाइट से ठीक हो जाएगी.

वह मरीज़ों को एक डाइट प्लान देने के लिए 500 रुपये लेते हैं.

क्रिस्टोफ़र बताते हैं, "विश्वरूप ने ऑनलाइन न्यूट्रीशिन कोर्स, सर्टिफिकेशन प्रोग्राम और कंस्लटेंसी सर्विस के ज़रिये एक बहुत बड़ा डिजिटल साम्राज्य खड़ा कर लिया है. यही उनका बिज़नेस मॉडल है. कोई भी बीमारी हो, वह एक ही तरह से इलाज करते हैं. इलाज का यह मॉडल कभी बदलता नहीं है."

विश्वरूप राय चौधरी दावा कते हैं कि उन्होंने कोविड-19 के 50 हज़ार मरीज़ों का इलाज किया है. एक की भी मौत नहीं होने दी. लेकिन डेल्ही मेडिकल काउंसिल के प्रेसिडेंट डॉ. अरुण गुप्ता कहते हैं कि अधिकतर लोग वायरस का शिकार होने के बाद ठीक हो जाते हैं. उनके ठीक होने में इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वे क्या खा रहे हैं."

वह कहते हैं, "आप 100 मरीज़ों को लीजिये. मैं दावा करूंगा कि मैं इन सबको ठीक कर दूंगा. आप देखेंगे कि 97 फ़ीसदी बग़ैर किसी इलाज के ख़ुद ब ख़ुद ठीक हो रहे हैं."

डॉ. गुप्ता कहते हैं कि इस तरह के दुष्प्रचार को रोकने के लिए और ज़्यादा कोशिश करने की ज़रूरत है. "यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इस पर ध्यान दे और ऐसे लोगों को ऐसी भ्रामक जानकारियां फैलाने से रोकें."

लेकिन विश्वरूप राय चौधरी इलाज के अपने तरीक़े का पुरज़ोर समर्थन करते हैं. चौधरी इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं कि उनकी बताई बातों से लोगों की सेहत खतरे में पड़ जाती है. बीबीसी से उन्होंने कहा, "मैंने लोगों को जो बातें बताई हैं, उसके ग़लत असर का कोई सबूत वे मेरे सामने पेश कर पाएंगे? मुझे नहीं लगता कि वो ऐसा कोई सबूत दे पाएंगे."

चौधरी के ख़िलाफ़ आपराधिक शिकायत

हालांकि एक मामले में विश्वरूप राय चौधरी के ख़िलाफ़ जांच चल रही है. इस मामले में चौधरी के ख़िलाफ़ यह आरोप लगाया गया है कि उनके इलाज से एक महिला की मौत हो गई.

दिल्ली के एक इंजीनियर जयदीप बिहानी ने चौधरी के ख़िलाफ़ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है. बिहानी ने अपनी मां शांति की मौत के लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया है. बिहानी की मां की 2017 में मौत हो गई थी.

बिहानी ने बीबीसी से कहा कि उन्होंने अपनी मां शांति की मौत के लिए पूरी तरह चौधरी को ज़िम्मेदार माना है.

शांति बिहानी डायबिटीज़, हृद्य और थायरॉइड संबंधित दवाएं लेती थीं

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जयदीप बिहानी की 56 वर्षीया मां शांति बिहानी डाइबिटीज़ की मरीज़ थीं. वह हृदय रोग और थायरॉइड से भी जूझ रही थीं.

जयदीप बिहानी को इंटरनेट से चौधरी के बारे में पता चला. इसके बाद जयदीप हज़ारों रुपये ख़र्च करके अपनी मां को चौधरी के एक कार्यक्रम में ले गए. इस तीन दिन के कार्यक्रम में चौधरी डाइबिटीज़ का इलाज बताते हैं.

यह कार्यक्रम दिल्ली के बाहर एक शांत और खुली जगह पर आयोजित किया गया था. पहली शाम के कार्यक्रम के वीडियो में चौधरी लोगों को कहते दिख रहे हैं कि आप दवाइयां लेना बंद कर दें.

वीडियो में वह आगे कहते हैं, "मेरे पास एक बक्सा है. इसका नाम है मेडिकल ऑरेंज बॉक्स. हम सारी दवाइयां इसमें रख कर ताला लगा देंगे. इसके बाद मुझे नहीं लगता कि आपको किसी दवा की ज़रूरत पड़ेगी."

चौधरी ने वहां आए लोगों से कहा कि बेहद ख़राब सेहत वाली शांति बिहानी जैसी मरीज़ों पर नज़र रखी जाएगी और ज़रूरत पड़ी तो कुछ दवाइयां दी जाएंगी. लेकिन जो भोजन हम बताएंगे, वही आगे चल कर उनकी प्रमुख दवा बन जाएगा.

चौधरी लोगों को दावे से कहते हैं कि वे उनकी दवाओं को एक बक्से में बंद कर देंगे

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चौधरी वहां जमा लोगों से कहते हैं, "जिस वक्त से आप हमारी बताई पहली डायट लेना शुरू करेंगे उसी वक़्त से हार्ट अटैक प्रूफ़ हो जाएंगे."

शांति बिहानी पहले से ही कई दवाइयां ले रही थीं लेकिन वे सभी उन्होंने उस ऑरेंज बॉक्स में डाल दी थीं, जिसमें ताला जड़ दिया गया था. अगले दिन उन्होंने सिर चकराने की शिकायत की और फिर गिर पड़ीं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.

जयदीप बिहानी ने चौधरी के ख़िलाफ़ अपनी शिकायत में कहा है कि मेडिकल प्रैक्टिशनर होने का उनका दावा झूठा है. वह फर्ज़ी इलाज करते हैं.

डाइबिटीज़ का इलाज बताने के लिए आयोजित कार्यक्रम में चौधरी उनकी मां को इमरजेंसी केयर देने में नाकाम रहे. लेकिन चौधरी ने आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया.

शांति बिहानी डायबिटीज़ कोर्स के अगले दिन

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विश्वरूप की वेबसाइट में उनकी जिन डिग्रियों की लिस्ट है, उनमें सबसे प्रमुख है डाइबिटीज़ में ऑनररी पीएचडी. यह डिग्री ज़ाम्बिया की अलायंस यूनिवर्सिटी की है.

इस संस्थान की वेबसाइट में कहा गया है कि इसका मुख्यालय अफ्रीका में नहीं बल्कि किसी कैरिबियाई देश में है. ऐसा लगता है इसी डिग्री की बदौलत विश्वरूप ख़ुद को डॉक्टर कहते हैं. हालांकि उन्होंने इस पर पूछे गए हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया.

जयदीप बिहानी के आरोपों के जवाब में विश्वरूप चौधरी के प्रवक्ता ने कहा कि बिहानी की मां काफ़ी बीमार थीं और हर वक़्त पान मसाला चबाती रहती थीं. लेकिन जयदीप इससे इनकार करते हैं. चौधरी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि बिहानी ने इलाज को ख़ुद पर भी आज़माया था. लेकिन बिहानी इससे इनकार करते हैं.

जयदीप बिहानी का कहना है कि जो लोग भी चौधरी से सलाह लेने जा रहे हैं उन्हें मेरे अनुभव को एक चेतावनी की तरह लेना चाहिए.

वह कहते हैं, "इस उम्र में अपने पिता और अपने बच्चों को बग़ैर दादी के देखकर मैं जो महसूस कर रहा हूं, उसे आपको बताना मुश्किल है."

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