मुकेश अंबानी केस में पुलिस ऑफिसर सचिन वाझे की गिरफ़्तारी: कांग्रेस-एनसीपी की चुप्पी का क्या मतलब है?

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- Author, मयूरेश कोन्नूर
- पदनाम, बीबीसी मराठी
मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास एक गाड़ी से विस्फोटकों की बरामदगी के मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे की राष्ट्रीय जांच एजेंसी के हाथों गिरफ़्तारी के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है.
विधानसभा के सत्र के बाद से ही शिवसेना को राजनीतिक आरोपों का सामना करना पड़ रहा है और इसकी वजह सचिन वाझे से उसकी नज़दीकी है.
राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास अघाड़ी की सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के लिए ये एक अजीबोगरीब स्थिति है.
लेकिन महाविकास अघाड़ी की सरकार में बराबर की साझीदार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का इस मुद्दे पर, ख़ासकर सचिन वाझे की गिरफ़्तारी के बाद क्या रुख है, ये फिलहाल स्पष्ट नहीं है.
ख़ास तौर पर एनसीपी की प्रतिक्रिया इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि गृह मंत्रालय उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
'एनसीपी' की आपात बैठक
रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में जवाब देने से परहेज किया और अन्य राज्यों में चल रहे चुनावों के बारे में बात करना पसंद किया.
इसका मतलब ये भी लगाया जा रहा है कि सचिन वाझे का मामला 'राष्ट्रवादियों' और गठबंधन सरकार के लिए आसान नहीं लग रहा है. ये दिख रहा है कि उन्हें अपना स्टैंड लेने में परेशानी हो रही है.
इसी बीच शरद पवार ने सोमवार को मुंबई में पार्टी के सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में सचिन वाझे का मामला, एनसीपी के नियंत्रण में गृह मंत्रालय के प्रदर्शन और अनिल देशमुख के काम पर चर्चा हो सकती है.
अनिल देशमुख के अलावा किसी अन्य वरिष्ठ एनसीपी नेता या मंत्री ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
महाराष्ट्र की राज्य विधानसभा में जब भी देवेंद्र फडणवीस और उनके सहयोगी सरकार पर हमला कर रहे थे तो अनिल देशमुख अकेले उनका सामना कर रहे थे.

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राजनीतिक मुद्दा
शिवसेना के अनिल परब को छोड़कर, एनसीपी और शिवसेना में से किसी ने भी इस मुद्दे पर बात नहीं की है. उद्धव ठाकरे ने सम्मेलन के बाद संवाददाता सम्मेलन में बात की, लेकिन उनके साथ मौजूद अजीत पवार ने कुछ नहीं कहा.
एनसीपी की भूमिका के बारे में उत्सुकता इस तथ्य के कारण भी है कि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि मुंबई पुलिस के लिए सचिन वाझे की गिरफ़्तारी के साथ ही ये मामला रुकने वाला है.
वाझे के बाद संकेत मिले हैं कि उनके कुछ सहयोगियों और मुंबई पुलिस के कुछ अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी.
अगर ऐसा होता है और सचिन वाझे जैसी कोई और कार्रवाई की जाती है, तो यह गृह मंत्रालय का अपमान होगा.
इसके अलावा, देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली भाजपा लगातार इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है. इसीलिए एनसीपी की चुप्पी को उस समस्या के सबूत के तौर पर देखा जाने लगा है जिसमें उनका गृह मंत्रालय फंस गया है.

सचिन वाझे विवादित कैसे बने
25 फरवरी, 2021 को जेलेटिन स्टिक्स से भरी एक स्कॉर्पियो कार भारत के उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर मिली. कुछ दिन बाद इस कार के मालिक मनसुख हिरेन का शव ठाणे में बरामद किया गया.
उसी शुक्रवार को मनसुख हिरेन का शव ठाणे पुलिस ने रेती बंदरगाह के किनारे बरामद किया. उनकी मौत के बाद मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों की बरामदगी के मामले पर अब रहस्य और गहरा गया.
इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने गंभीर आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि इस मामले से मुंबई पुलिस के सचिन वाझे का जुड़ाव क्या महज एक संयोग है? बाद में इस मामले की जांच एनआईए को दे दी गई.
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार शाम मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे से 12 घंटे तक पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है.
वाझे के ख़िलाफ़ आईपीसी की धाराओं 285, 465, 473, 506(2), 120 B के तहत केस दर्ज किया है.
एनआईए के दक्षिण मुंबई स्थित दफ़्तर में जाने से पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश प्रसारित किया, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनके साथी पुलिस अधिकारी उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं.
'सहयोगियों को दोष न दें'
दूसरी ओर, कांग्रेस ने अभी तक सचिन वाझे की गिरफ़्तारी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. मामले की शुरुआत में नाना पटोले ने एक बयान दिया था कि ये मामला एक राजनीतिक साज़िश है.
कांग्रेस नेताओं ने सचिन वाझे की गिरफ़्तारी की परिस्थितियों और मामले से जुड़े परिस्थितिजन्य साक्ष्य जो अभी तक सामने नहीं आए हैं, पर चुप्पी साध रखी है.
लेकिन वे लगातार नाइक मामले और मोहन डेलकर केस पर नज़र बनाए हुए हैं.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. पर वाझे की गिरफ्तारी के बाद अंबानी के मामले में कांग्रेस का रुख अभी भी एक रहस्य है.
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे का कहना है, "फिलहाल, एनसीपी और कांग्रेस इस मामले में शामिल नहीं होंगे और सतर्क रुख अपनाएंगे."
हालांकि इसका राजनीतिक मतलब ये निकाला जा रहा है कि शिवसेना इस मुद्दे के कारण एक बार फिर मुसीबत में है.
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