किसान आंदोलन: दिल्ली पुलिस से मिली ट्रैक्टर परेड की अनुमति

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- Author, सलमान रावी
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
किसान संगठनों और दिल्ली पुलिस के बीच गणतंत्र दिवस के दिन होने वाली ट्रैक्टर परेड को लेकर समझौता हो गया है.
यह समझौता किसान संगठनों और पुलिस के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद शनिवार की शाम को संभव हो पाया.
स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने इस बारे में मीडिया को बताया दिल्ली पुलिस जिस रास्ते पर ट्रैक्टर परेड करने के लिए कह रही है, उस पर किसान राज़ी हो गए हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की ट्रैक्टर परेड का गणतंत्र दिवस के सरकारी कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
वहीं किसान संगठनों ने इस परेड में हिस्सा लेने की इच्छा रखने वाले सभी किसानों से अपील की है कि वो अनुशासन बनाए रखें.
फ़िलहाल के लिए बनी सहमति
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संगठन सचिव अवीक साहा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "पुलिस और किसान संगठनों के बीच रूट (रास्ते) को लेकर सहमति हो गई है. कई दिनों के गतिरोध के बाद समाधान निकल आया है. सिर्फ़ रूट को लेकर कुछ छोटे मसले हैं जिन्हें सुलझा लिया जाएगा. लेकिन अभी सहमति बन गई है."

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दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि किसान संगठन के नेताओं से बातचीत तो सार्थक हुई है मगर रूट को लेकर अभी भी कुछ चीज़ें स्पष्ट की जानी हैं.
किसान संगठनों के जो नेता पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत में शामिल थे उन्होंने आश्वासन दिया है कि रूट तय कर वो पुलिस को बता देंगे.
कौन-कौन सा रूट लिया जाए इसका सुझाव पुलिस ने किसान नेताओं को दिया था जिसपर सहमति बन गयी थी.
किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें प्रस्ताव ठीक लगा है और वो जल्द ही अपने फ़ैसले से दिल्ली पुलिस को अवगत करा देंगे.
दिल्ली पुलिस की तरफ़ से वार्ता में संयुक्त कमिश्नर एस.एस यादव के अलावा विशेष पुलिस कमिश्नर दिपेंद्र पाठक शामिल थे.
पाठक हाल तक अंडमान निकोबार राज्य पुलिस के महानिदेशक थे और उन्होंने दिल्ली पुलिस में अपना कार्यभार हाल ही में संभाला है.
किसान नेताओं में योगेंद्र यादव और गुरनाम सिंह चढ़ूनी के अलावा रमिंदर सिंह पटियाला और दर्शनपाल सिंह वार्ता में मौजूद थे.
दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड राजधानी दिल्ली से बाहर निकाली जाए. इसके लिए दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने संगठनों के प्रतिनिधियों को चार रास्तों का सुझाव भी दिया था, जहाँ किसान संगठन इस रैली को निकाल सकते हैं.
पुलिस का मानना था कि सबसे बेहतर रास्ता 'कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे' होगा, जहाँ ट्रैक्टर परेड की जा सकती है और उसकी वजह से किसी को असुविधा भी नहीं होगी.
वहीं, किसान संगठन दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर परेड निकालने के लिए अड़े हुए थे. जो दूसरा रास्ता पुलिस अधिकारियों ने सुझाया था वो टिकरी-नांगलोई-नजफ़गढ़-धंसा था.
दिल्ली पुलिस में उत्तरी दिल्ली के जॉइंट कमिश्नर एस.एस. यादव के संयोजन में पुलिस अधिकारियों और किसान संगठन के नेताओं के बीच बातचीत का सिलसिला चलता रहा लेकिन ट्रैक्टर परेड के रूट को लेकर गतिरोध बना रहा.

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हरियाणा और यूपी पुलिस भी रही शामिल
किसान संगठनों के साथ चल रही बातचीत में दिल्ली पुलिस के अलावा हरियाणा पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस के भी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे.
किसान संघर्ष समन्वय समिति के अवीक साहा ने बताया कि बैठकों के दौरान पुलिस अधिकारियों का मानना था कि किसान अपनी ट्रैक्टर परेड को टिकरी बॉर्डर, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, धंसा और सिंघु बॉर्डर पर ही अलग-अलग रहकर ही निकालें.
साहा के मुताबिक़, "किसान चाहते हैं कि ट्रैक्टर परेड इस तरह आयोजित हो और ऐसी जगह पर आयोजित हो जहाँ सभी किसान इसमें शामिल हो सकें."
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि किसान संगठनों को पुलिस की तरफ़ से बाहरी रिंग रोड के विस्तार वाली सड़क का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया गया था.
उनका कहना था कि अगर किसान बाहरी रिंग रोड के विस्तार वाली रोड का इस्तेमाल करेंगे तो सिंघु, गाज़ीपुर और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों के ट्रैक्टर मार्च निकाले जाने के फ़ैसले के मद्देनज़र दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय से अतिरिक्त बलों के आवंटन का अनुरोध किया है.
राजपथ, इंडिया गेट और वो पूरा रास्ता जहाँ से गणतंत्र दिवस परेड होकर गुज़रेगी, वहाँ पर कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम किये गए हैं.
दिल्ली पुलिस, राजधानी की उन सरहदों पर और भी ज़्यादा सुरक्षा व्यवस्था का इंतज़ाम करना चाहती है जहाँ जहाँ आंदोलन कर रहे किसानों ने पड़ाव डाल रखा है.
किसान संगठनों का कहना है कि वो गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर होने वाले सरकारी समारोह के बाद ही अपना ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे.
संगठनों का ये भी कहना है कि ट्रैक्टर मार्च सिर्फ़ बाहरी रिंग रोड पर निकाला जाएगा और वो दिल्ली में उस जगह पर नहीं जायेगा जहाँ हर साल सरकारी कार्यक्रम का आयोजन होता है.
फ़िलहाल दिल्ली पुलिस गणतंत्र दिवस से ठीक पहले दिल्ली की सरहदों को सील कर देना चाहती है और दिल्ली आने वाले हर उच्चमार्ग की बैरिकेडिंग करना चाहती है.
राजधानी की सभी सीमाओं पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ वहां पर 'वॉटर कैनन' भी लगाए जाएंगे ताकि किसी भी हिंसा से निपटा जा सके.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है की सभी सीमाओं पर सुरक्षाबलों की 20 अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया जाएगा जिसका नेतृत्व पुलिस उपायुक्त और अपर उपायुक्त जैसे अधिकारी करेंगे.
यह अतिरिक्त सुरक्षा बल सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से लगे हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तरफ़ से भी तैनात किये जायेंगे.
पुलिस के सामने क्या चुनौती होगी?
दिल्ली पुलिस के आयुक्त रह चुके एमबी कौशल ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि किसान आंदोलन से पैदा हुई स्थिति दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस को भी काफ़ी सतर्कता बरतनी पड़ेगी और इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित रैली या मार्च के दौरान कोई अप्रिय घटना न घटे.
उन्होंने अपने कार्यालय के दौरान दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि उस आन्दोलन का नेतृत्व किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत कर रहे थे.
कौशल ने कहा, "हमने उस वक़्त किसान संगठन के प्रतिनिधियों से कई दौर की वार्ता की और लाल किले से पीछे ही उन्हें अपनी रैली को सीमित करने के लिए तैयार कर लिया था. रैली भी हुई और शांतिपूर्वक हुई जिससे किसी को परेशानी भी नहीं हुई."
वो मानते हैं कि दिल्ली पुलिस का नेतृत्व अभी तक बड़े धैर्य से काम ले रहा है जो अच्छी बात है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक रहे प्रकाश सिंह कहते हैं कि दिल्ली पुलिस के सामने चुनौती ये रहेगी कि न्यूनतम बल का प्रयोग करते हुए भी वो इस रैली को किस तरह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करा पाते हैं.
वो कहते हैं, "चुनौती ये है कि किस तरह पुलिस ये सुनिश्चित कर पाती है कि किसान परेड के दौरान अराजकता न फैले. कम से कम बल का प्रयोग करते हुए राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को भी बनाए रखा जाए. दिल्ली में अगर रैली अनियंत्रित हो जाती है, तो फिर अराजकता फैल जायेगी. इसलिए पुलिस को बहुत ही सावधानी से काम लेना पड़ेगा."
कैसा होगा किसानों का मार्च?
किसान संगठनों ने देश भर के किसानों से अपनी ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने का आह्वान किया है जिसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान अपने ट्रैक्टर लेकर या फिर व्यक्तिगत रूप से ख़ुद शामिल होने के लिए दिल्ली की तरफ़ बढ़ रहे हैं.
पंजाब, उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा से भी किसानों के जत्थे ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सीमा की तरफ़ पहुँचना शुरू हो रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सिर्फ़ ट्रैक्टर ही नहीं, बहुत से किसान पैदल और घोड़े पर मार्च भी करेंगे.
पंजाब से आने वाले किसान सिंघु और टिकरी बॉर्डर से ट्रैक्टर और पैदल परेड निकालेंगे जबकि दूसरी सीमाओं से हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों से आने वाले किसान परेड निकालेंगे.
इसी वजह से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तादाद हर रोज़ बढ़ रही है.
अधिकारियों का कहना है कि वो किसानों को सीमाओं तक ही सीमित रखना चाहते हैं क्योंकि 'अगर ये ट्रैक्टर मार्च दिल्ली के अंदर प्रवेश करता है तो अराजकता फैलने की आशंका' हो सकती है.
यह बात दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के सामने जो अपना हलफ़नामा दाख़िल किया था उसमें भी कही गयी है.
इस बीच शुक्रवार की देर शाम सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने पत्रकारों के सामने एक नकाबपोश व्यक्ति को पेश किया जिसने आरोप लगाया कि वो और उसके कुछ सहयोगी 'किसान आन्दोलन को बदनाम करने के लिए गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली पुलिस पर हमला करने की योजना बनाए हुए थे.'
किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि पकड़े गए व्यक्ति ने कहा आरोप लगाया कि उसे ऐसा करने के लिए हरियाणा पुलिस के एक थाना प्रभारी ने कहा था.
हालाँकि नकाबपोश व्यक्ति ने पत्रकारों के सामने जिस पुलिस अधिकारी का नाम लिया, उस नाम का कोई अधिकारी उस थाने में तैनात ही नहीं है.
किसानों ने पकड़े गए व्यक्ति को हरियाणा पुलिस के कोंडली पुलिस स्टेशन के हवाले कर दिया है जहाँ उसे गिरफ़्तार कर लिया गया.
शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना था कि गिरफ़्तार व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है.
हालाँकि गिरफ़्तार व्यक्ति का शनिवार को एक दूसरा वीडियो सामने आया जिसमें उसने किसान नेताओं पर उसे बंधक बनाने का आरोप लगाया.
उसने यह आरोप भी लगाया कि कुछ किसान नेताओं ने उसे पुलिस पर आरोप लगाने वाला बयान देने के लिए बाध्य किया था. हरियाणा पुलिस मामले की जांच कर रही है.
झाँकियाँ भी होंगी शामिल
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर पूरे देश में किसान अपने अपने इलाक़ों में परेड निकालेंगे जिसमें झाँकियों को भी शामिल किया जाएगा.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के अनुसार दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन निकाली जाने वाली ट्रैक्टर परेड का कोई एक निर्धारित रूट नहीं होगा क्योंकि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग परेड निकाली जायेगी.
रूट के सवाल पर किसान संगठनों की पुलिस के अधिकारियों के साथ एक और बैठक होने वाली है.
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