किसान आंदोलन का आईटी सेल 'किसान एकता मोर्चा' क्या सरकार समर्थक प्रोपेगैंडा का सामना कर पाएगा?

किसान आंदोलन
    • Author, अनंत प्रकाश
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

बीते चार महीनों में भारत के तमाम न्यूज़ चैनलों से लेकर अख़बारों और वेबसाइटों पर किसानों का मुद्दा छाया हुआ है.

वहीं, 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से लेकर 'द गार्डियन' जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अख़बार भारतीय किसानों के विरोध को दुनिया भर में पहुँचा रहे हैं.

ट्विटर से लेकर फेसबुक पर किसान आंदोलन का मुद्दा 26 दिनों के बाद भी गरम है. लेकिन जहां एक ओर इस मुद्दे का हल निकलता नहीं दिख रहा है.

वहीं, किसान आंदोलन में शामिल कुछ युवाओं ने 'किसान एकता मोर्चा' नाम से एक आईटी सेल शुरू किया है जिसमें 10 से 15 लोगों की टीम काम कर रही है.

आईटी सेल के मीडिया कॉऑर्डिनेटर हरिंदर हैप्पी बताते हैं कि विरोध प्रदर्शन में शामिल कुछ युवाओं ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी जानकारियों को जनता के बीच पहुंचाने के लिए ये आईटी सेल शुरू किया है.

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चार दिन में पॉपुलर हुए सोशल मीडिया अकाउंट

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ से ग्रामीण विकास की पढ़ाई करने वाले हरिंदर कहते हैं, "हम सभी युवा काफ़ी समय से खेती पर मंडरा रहे संकट को देख रहे हैं. एक तरह से हम ये संकट झेलते हुए बड़े हुए हैं. लेकिन अब इन तीन कृषि क़ानूनों की वजह से किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इस वजह से हम इस संघर्ष में शामिल हुए."

कुछ दिनों पहले शुरू हुए किसान एकता मोर्चे के फेसबुक फॉलोअर्स की संख्या 1.30 लाख के पार पहुंच चुकी है.

वहीं, ट्विटर फॉलोअर्स 94.6 हज़ार के पार पहुँच चुके हैं. यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर्स की संख्या 6.75 लाख हो चुकी है.

और इन सोशल मीडिया अकाउंट्स पर विरोध प्रदर्शन के भाषण, फैक्ट चेक, और काउंटर आर्ग्यूमेंट डाले जा रहे हैं.

लेकिन सवाल ये उठता है कि आख़िर इस आईटी सेल को बनाने की ज़रूरत क्या थी.

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स्थितियां चुनौतीपूर्ण

बढ़ती सर्दी और ज़्यादा काम के साथ साथ हरिंदर जैसे कई युवा अपनी आईटी सेल को चलाने में उपकरणों की कमी का भी सामना कर रहे हैं.

हरिंदर कहते हैं, "हम इस आंदोलन में उस दिन से ही सक्रिय रूप से लगे हैं जब से कॉल आया था कि दिल्ली चलो. इसके बाद से हम घर नहीं गए हैं. अभी चार दिन पहले हमने आईटी सेल शुरू किया है. हमारे किसान नेताओं से लेकर सभी लोग हमारी इस पहल का स्वागत कर रहे हैं. हमें सभी का समर्थन हासिल है क्योंकि ये हमारा व्यक्तिगत नहीं सामूहिक प्रयास है."

"हम चाहते हैं कि हम अपनी आईटी सेल से बीजेपी की आईटी सेल का सामना कर सकें. हमारे पास संसाधन कम हैं. दो तीन लैपटॉप हैं. स्थानीय स्तर पर एक घर किराए पर लेकर वहीं, ये सब काम शुरू किया है हमने. हमारी कोशिश है कि किसान नेताओं के भाषणों को लाइव दिखाया जा सके. इसमें हम फिलहाल समस्या का सामना कर रहे हैं. और स्थितियां चुनौती पूर्ण हैं, ज़्यादा लोगों की ज़रूरत है, ऐसे में हम काम के घंटे बढ़ाकर काम कर रहे हैं."

हरिंदर बताते हैं, "दिल्ली में हमारे साथ कुल दस लोग हैं जो कि आईटी सेल का काम संभाल रहे हैं. इनमें से किसी के पास पाँच साल का अनुभव है तो किसी के पास दस सालों का अनुभव है. ये लोग आईटी बैकग्राउंड से आते हैं. और इस टीम के लीडर बलजीत सिंह हैं. लेकिन ये पर्याप्त नहीं है जिसकी वजह से हमें ज्यादा देर तक काम करना पड़ता है. कभी कभी तो सुबह चार बजे तक काम करना पड़ता है."

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बीजेपी आईटी सेल का सामना?

किसान आंदोलन को बीते 26 दिनों में अलग-अलग ढंग से प्रोपेगैंडा का शिकार होना पड़ा है. और किसान आंदोलन को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने वाली पोस्ट्स भी सामने आई हैं. फैक्ट चैक करने के लिए जानी जाने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने तमाम ख़बरों का खंडन किया है.

लेकिन हरिंदर बताते हैं, "हम उन बातों का खंडन करते हैं जो सरकार की ओर से आती हैं. उदाहरण के लिए अगर प्रधानमंत्री मोदी झूठ बोलते हैं तो हम अपने वीडियो में उनके बाद खंडन लगाते हैं. जिससे लोगों को पता चल जाए कि सही क्या है."

"पहले चल रहा था कि किसान आतंकवादी हैं, खालिस्तानी हैं. तो ऐसे दुष्प्रचारों को हम काउंटर करेंगे. इसके साथ ही सरकार के कुछ नुमाइंदे ये कह रहे हैं कि किसान भ्रमित हो रहा है, और एपीएमसी नहीं हटेगी आदि, इस सबको हम अपने नेताओं की ओर से काउंटर करा रहे हैं. इसके साथ ही पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उसे हम यहां दिखा रहे हैं. उदाहरण के लिए, लोग जियो की सिम हटवा रहे हैं और अपनी ज़मीनों से जियो के टावर उखाड़ रहे हैं. उनमें हम बत्तियां गुल करेंगे. हम इस सबको भी अपने पेज़ पर डाल रहे हैं ताकि बीजेपी आईटी सेल वाले ये सब की जानकारी लें. लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि हम यहां जो कुछ भी दिखा रहे हैं, डाल रहे हैं, वो सब कुछ पूरी तरह सच है."

वीडियो कैप्शन, किसानों ने निकाला अपना अख़बार

लेकिन अगर इस आईटी सेल को सच-झूठ, सही-गलत से परे हटते हुए देखा जाए तो किसान एकता मोर्चा आधिकारिक रूप से किसानों का पक्ष रखने वाले मंच के रूप में उभरता दिख रहा है.

हरिंदर कहते हैं, "हमारे पंजाब में ज़िला स्तर पर भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन वो सब कुछ मीडिया में नहीं आ पाता है. ऐसे में हमने ऐसी सभी जानकारियां इस मंच के ज़रिए पहुँचाने की कोशिश की है."

मोर्चा के नेता बलजीत सिंह भी एक वीडियो में लोगों से आह्वान करते हुए कहते हैं, "अगर लोग किसानों के समर्थन में किसी भी तरह की गतिविधि करते हैं तो उसकी एक छोटी सी वीडियो क्लिप बनाकर किसान एकता मोर्चा के इनबॉक्स में भेज दें ताकि किसान एकता मोर्चा उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचा सके."

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