कोरोना लॉकडाउन: एलओसी और कश्मीर में क्या हो रहा है?

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    • Author, माजिद जहांगीर
    • पदनाम, श्रीनगर से, बीबीसी हिंदी के लिए

भारत प्रशासित कश्मीर के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर अप्रैल के पहले हफ़्ते में भारतीय सेना और चरमपंथियों के बीच भारी गोलीबारी हुई. एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक़ इसमें पांच हथियारबंद चरमपंथी मारे गए.

अधिकारी का कहना है कि चरमपंथियों का एक समूह कश्मीर घाटी में घुसपैठ की कोशिश कर रहा था. इस ऑपरेशन में एक जूनियर कमीशनड ऑफ़िसर (जेसीओ) समेत भारतीय सेना के पांच जवान भी मारे गए.

नियंत्रण रेखा पर पिछला एक महीना उथल-पुथल भरा रहा है. भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच हुए संघर्षों का नतीजा सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों और सैनिकों के रूप में देखने को मिला है.

सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले दोनों देशों के लोगों ने सैनिकों से कोरोना संक्रमण जैसे मुश्किल वक़्त में गोलीबारी न करने अपील की है. भारतीय सुरक्षाबलों का कहना है कि पाकिस्तान कोरोना संकट का फ़ायदा उठाकर चरमपंथियों को कश्मीर भेज रहा है.

श्रीनगर स्थित सैन्य प्रवक्ता राजेश कालिया ने बताया कि किस तरह से इस कोशिश में भारतीय सैनिकों ने पांच चरमपंथियों को मार गिराया.

उन्होंने बताया, "पांच अगस्त, 2019 के बाद कश्मीर घाटी में शांति और तसल्ली की स्थिति थी. किसी की कोई मौत नहीं हुई. इससे पाकिस्तान हताश हो गया. लेकिन अब पाकिस्तान कोरोना संकट का फ़ायदा उठा रहा है. आप देखिए, हर दिन नियंत्रण रेखा से सटे रिहाइशी इलाक़ों को निशाना बनाया जा रहा है. हमने हाल ही में नियंत्रण रेखा के पास चरमपंथियों के एक गुट को समाप्त किया है."

राजेश कालिया के मुताबिक चरमपंथी कैंपों में थे और वे कश्मीर में तबाही फैलाने के उद्देश्य के लिए घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय सेना के दावे के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से इस साल अब तक 650 बार युद्धविराम का उल्लंघन हो चुका है. 2003 में दोनों देशों के बीच युद्धविराम को लेकर समझौता हुआ था.

नियंत्रण रेखा विवादित कश्मीर को दो हिस्सों में बांटता है और यद दोनों देशों के बीच मौजूदा सीमा रेखा भी है.

कश्मीर घाटी में क्या हो रहा है?

पिछले एक महीने के दौरान सैन्य बलों ने कम से कम 28 चरमपंथियों को मार गिराने का दावा किया है. जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के ट्वीटर हैंडल के मुताबिक इनमें दो चरमपंथियों के सहयोगी शामिल थे.

कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ मुहिम के लिए लॉकडाउन लागू होने से इलाके में सख्त पाबंदी लागू है. पुलिस के मुताबिक कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भी चरमपंथी गतिविधियां जारी हैं. पुलिस प्रवक्ता ने राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का हवाला देते हुए बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के समय में भी कश्मीर घाटी में चरमपंथी अभियान जारी है, इससे पूरे जम्मू-कश्मीर में अशांति की स्थिति बन गई है.

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स्रोत: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां

आंकड़े कब अपडेट किए गए 5 जुलाई 2022, 1:29 pm IST

कोरोना लॉकडाउन से पहले पुलिस चरमपंथियों के शव को दफ़नाने के लिए उनके परिवार वालों को सौंप देती थी. कोरोना लॉकडाउन के दौरान निर्धारित प्रोटोकोल के तहत पुलिस इनकाउंटर के दौरान मारे गए चरमपंथियों की पहचान जारी नहीं कर रही है.

सोपोर में आठ अप्रैल को पुलिस ने जैश कमांडर को मार गिराने का दावा किया और उसके शव को परिवार वालों को सौंप दिया. कोरोना लॉकडाउन की पाबंदियों के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

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लॉकडाउन की पाबंदियों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस मामला दर्ज करने वाली है.

शोपियां गांव के दो परिवार वालों ने दावा किया है कि दायरू गांव में उनके चरमपंथी बेटों को मार डाला गया है. पुलिस ने प्रेस रिलीज में बताया कि एनकाउंटर की जगह से दो अज्ञात शव बरामद किए गए.

पुलिस और सेना ने दो मामलों को छोड़कर हाल में एनकाउंटर में मारे गए चरमपंथियों की पहचान ज़ाहिर नहीं की है.

शोपियां के बोनागाम इलाक़े के एक परिवार ने दावा किया कि उनके बेटे आसिफ़ अहमद डार की हत्या 17 अप्रैल को शोपियां के दायरू गांव में एनकाउंटर के दौरान हो गई थी. हालांकि परिवार को उनके बेटे का शव नहीं दिया गया.

मारे गए युवक के बड़े भाई रफीक़ अहमद डार ने बीबीसी को बताया कि एनकाउंट वाले दिन उनके पास आसिफ़ का फ़ोन आया था, जिसे उनके छोटे भाई ने रिसीव किया था. रफीक़ के मुताबिक आसिफ़ ने बताया था कि वह राहिल के साथ किसी एनकाउंटर में फंस गया है. सोशल मीडिया पर परिवार वालों ने आसिफ़ की तस्वीर देखी हैं.

रफीक़ ने बताया, "अपने भाई की ख़बर सुनने के बाद हम पुलिस स्टेशन गए. इसके बाद शोपियां के डीसी ऑफिस गए. हम तीन लोगों को कहीं आने जाने के लिए मूवमेंट पास दिया गया. हम बारामुला गए और वहां डीसी के सामने आवेदन दिया. उन्होंने कहा कि आप लोग जाइए, आपका आवेदन बारामुला के एसपी के पास जाएगा. डीसी ने यह भी कहा कि आपका आवेदन शोपियां के एसपी के पास भी जाएगा. हाल ही में हम शोपियां के एसपी के पास गए थे, उन्होंने कहा जब उन्हें फाइल मिलेगी तो वे हमें सूचना देंगे. लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है."

रफीक़ ने यह भी कहा, "हमने पुलिस को कहा कि केवल परिवार के सदस्य ही अंतिम संस्कार में भाग लेंगे लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए." शोपियां के ग्वानपोरा गांव के एक परिवार ने दावा किया है कि मारे गए चरमपंथियों में उनका बेटा राहील हमीद उर्फ़ आशिक भी शामिल था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों चरमपंथियों को चुपके से अगले ही दिन बारामुला के गांटमुल्ला कब्रिस्तान में दफ़ना दिया गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कश्मीर में पिछले एक महीने के दौरान जो चरमपंथी मारे गए हैं उनमें से अधिकांश को बारामुला के गांटमुल्ला कब्रिस्तान या गांदरबेल ज़िले के सोनामार्ग में दफ़नाया गया है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक बारामुला के गांटमुल्ला कब्रिस्तान विदेशी और अज्ञात चरमपंथियों के लिए अधिकृत है.

राहील के पिता हमीद ने बताया, "जिस दिन हमारे पड़ोसी गांव में एनकाउंटर हुआ, उस दिन हमें सोशल मीडिया से पता चले कि एनकाउंटर में हमारे बेटे की भी मौत हो गई. हम पहले स्थानीय पुलिस के पास गए तो उन्होंने बताया कि किसी चरमपंथी का शव नहीं आया है. उन्होंने हमें शोफियां पुलिस स्टेशन जाने को कहा. हम फिर वहां गए तब एसएचओ ने कहा कि दो अज्ञात शव बरामद हुए हैं."

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हमीद ने बताया, "अगले दिन शोपियां के डीसी आफिस ने हमें मूवमेंट पास दिया. हम अगले दिन बारामुला गए और बारामुला के डीसी से मिले. उन्होंने हमसे कहा कि उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है और मामला ऊपर तक चला गया है. हमने उनसे अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान तक जाने की इजाज़त मांगी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया."

राहील की मां ने रूंधे गले से रुक रुक कर बताया, "हम अपने बेटे का शव मांग रहे थे ताकि हमलोग उसका चेहरा देख सकें, उसे दफना सके. मैं इससे ज़्यादा क्या बताऊं, बात नहीं कर सकती. अगर हमारे बेटे का शव हमें दे दिया जाता तो हम हर सुबह और शाम की नमाज़ पढ़ते."

हमीद कहते हैं कि अगर उन्हें उनके बेटे का शव मिल जाए तो वे उसे गांव के शहीद क्रबिस्तान में दफ़नाएंगे.

शोपियां के डीसी दफ्तर के एक शीर्ष अधिकारी ने बीबीसी से बताया कि शोपियां के उन तीन परिवारों को मूवमेंट पास दिए गए थे जिन्होंने ये दावा किया था कि मारे गए चरमपंथियों में उनके बेटे शामिल थे. इनमें दो परिवार को बारामुला तक आने जाने के लिए और एक परिवार को गांदरबेल आने जाने की अनुमति दी गई थी.

कोरोना वायरस के लॉकडाउन से पहले चरमपंथियों के जनाज़े में स्थानीय लोगों की भारी भीड़ नजर आती थी. कई बार इस मौके पर चरमपंथी और मौलवी जनाज़े में शामिल लोगों को संबोधित भी किया करते थे.

कोरोना लॉकडाउन से पहले चरमपंथियों के जनाजे को स्थानीय महिलाएं शानदार फ़ेयरवेल दिया करती थीं, मारे गए चरमपंथी के शव पर पर फूलों की बारिश होतीं तो कभी टॉफी, कैंडी उछाला करतीं.

किसी भी इलाके में चरमपंथियों के शव पहुंचने पर लोग नारे लगाया करते थे, "हम क्या चाहते, आज़ादी."

हालांकि कश्मीर में विदेशी चरमपंथियों के अंतिम संस्कार पर पाबंदी लगी हुई है.

चरमपंथियों का परिवार की बात

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक चरमपंथियों का अंतिम संस्कार सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बन गया था. अधिकारियों के मुताबिक ऐसे अंतिम संस्कारों से स्थानीय युवाओं में चरमपंथ के प्रति रूझान बढ़ने लगा था.

कश्मीर में कई साल तक चरमपंथ विरोधी अभियान से जुड़े रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार को चरमपंथियों के शव नहीं देने की शुरुआत 1989 में हुई थी.

बारामुला

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "इस बात में कोई शक नहीं है कि कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए परिवार वालों को चरमपंथियों के शव नहीं दिए जा रहे हैं क्योंकि जनाज़े में काफ़ी भीड़ जमा हो जाती. लेकिन इसकी दूसरी वजह भी है, जो कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है. इन अंतिम संस्कारों की वजह से युवा चरमपंथ की ओर उन्मुख हो रहे थे. इससे चरमपंथ और चरमपंथी को लेकर समाज में आकर्षण बढ़ रहा था."

हालांकि अभी तक इसको लेकर कोई आधिकारिक नीति नहीं बनी है लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इसको लेकर आधिकारिक नीति जारी कर देनी चाहिए क्योंकि चरमपंथियों के अंतिम संस्कारों से कश्मीरी युवाओं में कट्टरता बढ़ी है.

सैन्य प्रवक्ता राजेश कालिया के मुताबिक एक महीने में हर दिन एनकाउंटर देखने को मिले हैं, जिसमें कई चरमपंथी मारे गए हैं.

परिवार वालों को चरमपंथियों के अंतिम संस्कार से इनकार किए जाने संबंधी सवाल पर कालिया ने बताया, "मैं आपको दावे से कह सकता हूं कि परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान ले जाया गया है."

इस मामले में बीबीसी ने कश्मीरी ज़ोन के आईजी विजय कुमार से बात करने की कोशिश की. विजय कुमार ने व्हाट्सऐप पर सवाल मंगवाए लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है.

हालांकि आईजी पुलिस ने दूसरे मीडिया आउटलेट्स से कहा है कि शव की पहचान करने वाले परिवार वालों को अंतिम संस्कार की जगह ले जाया गया है.

विजय कुमार ने एक मीडिया आउटलेट से कहा है, "जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के कई आदेश के तहत अंतिम संस्कार के वक्त सख़्त लॉकडाउन की व्यवस्था बनाए रखनी है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमें आइसोलेशन में और सुरक्षित जगहों पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कश्मीर के पुलिस प्रमुख होने के नाते लोगों की सुरक्षा की ड्यूटी मेरी है."

विजय कुमार ने मीडिया से कहा, "अगर परिवार वाले मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव को पहचान लेते हैं तो हम उन्हें अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दे रहे हैं. हम रिकॉर्ड के लिए फोटोग्राफ़ भी रख रहे हैं. इतना ही नहीं अज्ञात चरमपंथी का अंतिम संस्कार भी धार्मिक रिवाजों के तहत करते हैं."

भारत सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को धारा 370 को निरस्त कर जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था. इसके बाद कश्मीर के लोगों को छह महीने तक कर्फ्यू और पाबंदियों के बीच रहना पड़ा था. इस दौरान संचार के सभी साधन बंद रखे गए. इससे कारोबार, पर्यटन, शिक्षा और परिवहन उद्योग सब पर असर पड़ा.

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धारा-370 हटाए जाने के बाद छह महीनों में कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 18 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

लॉकडाउन लागू होने के बाद बीते एक महीने के दौरान अज्ञात बंदूक़धारियों ने चार आम लोगों की हत्या कर दी है. हालांकि पुलिस इन हत्याओं के लिए चरमपंथियों को ज़िम्मेदार ठहरा रही है.

लॉकडाउन के दौरान चरमपंथियों ने सुरक्षाबल के कई दस्ते को निशाना बनाया है जिसमें कई सुरक्षाबल के जवान मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं.

कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में चरमपंथियों ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान दो पुलिसकर्मियों का उनके घरों से अपहरण कर लिया है. इसमें एक को चरमपंथियों ने छोड़ दिया तो दूसरे को सैन्य बल ने रिहा कराया.

कश्मीर घाटी में पिछले साल पांच अगस्त से अब तक हाई स्पीड इंटरनेट की सेवा शुरू नहीं हो पाई है. पिछले कुछ दिनों में श्रीनगर स्थित तीन पत्रकारों को उनके कामकाजी गतिविधियों और सोशल मीडिया पोस्ट के चलते गिरफ़्तार किया गया है, जिसको लेकर लोगों में आक्रोश भी दिखा है.

वैसे कश्मीर घाटी में अब तक कोविड-19 के 639 संक्रमण के मामले सामने आ गए हैं जबकि सात लोगों की मौत हुई है.

भारत में कोरोनावायरस के मामले

यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती है, हालांकि मुमकिन है इनमें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नवीनतम आंकड़े तुरंत न दिखें.

राज्य या केंद्र शासित प्रदेश कुल मामले जो स्वस्थ हुए मौतें
महाराष्ट्र 1351153 1049947 35751
आंध्र प्रदेश 681161 612300 5745
तमिलनाडु 586397 530708 9383
कर्नाटक 582458 469750 8641
उत्तराखंड 390875 331270 5652
गोवा 273098 240703 5272
पश्चिम बंगाल 250580 219844 4837
ओडिशा 212609 177585 866
तेलंगाना 189283 158690 1116
बिहार 180032 166188 892
केरल 179923 121264 698
असम 173629 142297 667
हरियाणा 134623 114576 3431
राजस्थान 130971 109472 1456
हिमाचल प्रदेश 125412 108411 1331
मध्य प्रदेश 124166 100012 2242
पंजाब 111375 90345 3284
छत्तीसगढ़ 108458 74537 877
झारखंड 81417 68603 688
उत्तर प्रदेश 47502 36646 580
गुजरात 32396 27072 407
पुडुचेरी 26685 21156 515
जम्मू और कश्मीर 14457 10607 175
चंडीगढ़ 11678 9325 153
मणिपुर 10477 7982 64
लद्दाख 4152 3064 58
अंडमान निकोबार द्वीप समूह 3803 3582 53
दिल्ली 3015 2836 2
मिज़ोरम 1958 1459 0

स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

11: 30 IST को अपडेट किया गया

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