अंडमान: प्रतिबंधित द्वीप पर पहुंचे अमरीकी की हत्या

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अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के नॉर्थ सेंटिनेल नामक एक द्वीप में एक अमरीकी व्यक्ति की हत्या का मामला सामने आया है.
बताया जा रहा है कि ये मामला 18 नवंबर का है और ये हत्या उस इलाके में हुई है जहां संरक्षित और प्राचीन सेंटिनेली जनजाति के लोग रहते हैं.
अंडमान निकोबार में लंबे समय तक काम कर चुके बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुबीर भौमिक ने बीबीसी संवाददाता मानसी दाश को इस मामले में अधिक जानकारी दी है.
मारे गए व्यक्ति का नाम जॉन एलिन शाओ बताया गया है. जॉन अमरीका के अल्बामा के निवासी थे. 27 साल के जॉन ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए कई बार अंडमान आते रहते थे.
हत्या के इस मामले में सात मछुआरों को गिरफ्तार भी किया गया है, जिन्होंने शाओ को अवैध रूप से द्वीप तक पहुंचाया.
सुबीर भौमिक ने बताया कि जॉन स्थानीय मछुआरों की मदद से चार या पांच बार उत्तरी सेंटिनेल जा चुके थे.

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कौन हैं सेंटिनेली लोग?
अंडमान के नॉर्थ सेंटीनेल द्वीप में रहने वाली सेंटिनेली एक प्राचीन जनजाति है, इनकी आबादी 50 से 150 के क़रीब ही रह गई है.
स्थानीय पुलिस से इसकी पुष्टि की गई है कि जॉन किसी मिशनरी के लिए काम करते थे और इस जनजाति के लोगों को ईसाई धर्म में बदलवाने के लिए उनके पास आते थे.
सुबीर भौमिक के मुताबिक, "अब तक गिरफ़्तार किए गए लोग इस जनजाति से नहीं आते क्योंकि इस जनजाति के लोगों से संपर्क करना तक मना है. ऐसे में उनकी गिरफ़्तारी बिल्कुल नहीं हो सकती. इस जनजाति के लोग मुद्रा का इस्तेमाल भी नहीं जानते."
साल 2017 में भारत सरकार ने अंडमान में रहने वाली जनजातियों की तस्वीरें लेना या वीडियो बनाने को ग़ैरक़ानूनी बताया था जिसकी सज़ा तीन साल क़ैद तक हो सकती है.
उत्तरी सेंटिनेल द्वीप एक प्रतिबंधित इलाका है और यहां आम इंसान का जाना बहुत मुश्किल है. यहां तक कि वहां भारतीय भी नहीं जा सकते.

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समाचार एजेंसी एएफ़पी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉन ने पहले 14 नवंबर को इस द्वीप पर जाने की कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे, इसके दो दिन बाद उन्होंने दोबारा वहां जाने की कोशिश की.
रिपोर्ट में बताया गया है, ''जॉन पर तीर से हमला किया गया लेकिन वे द्वीप के भीतर जाते रहे. मछुआरों ने देखा कि जनजाति समूह के लोग जॉन के गले में रस्सी बांधकर उन्हें घसीटकर ले जा रहे थे, यह देखकर मछुआरे घबरा गए और वहां से भाग गए.''
20 नवंबर को जॉन का शव बरामद हुआ और उसके बाद यह मामला दर्ज़ किया गया.
सुबीर कहते हैं कि ये बताना आसान नहीं कि सेंटिनेली जनजाति के लोगों ने जॉन को क्यों मारा होगा, क्योंकि वे पहले भी उनके पास जाते रहते थे. ऐसे में यह बात साफ़ है कि वे उनके लिए अजनबी नहीं थे.
हालांकि सुबीर आशंका जताते हैं कि इनके बीच कम्युनिकेशन की एक समस्या हो सकती है. सेंटिनेली जनजाति की भाषा इतनी मुश्किल होती है कि बहुत ही कम लोग समझ पाते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाली इन छोटी-छोटी जनजातियों को भारत सरकार ने सबसे प्राचीन बताया है.

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बीबीसी संवाददाता गीता पांडे ने भी सेंटिनेली जनजाति के साथ अपने अनुभवों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि साल 2004 में जब हिंद महासागर में सुनामी आई थी तब प्रशासन ने मीडिया को बताया था कि इस जनजाति के कुछ लोग इस तबाही से बचने में कामयाब रहे.
नेवी का एक हेलिकॉप्टर उत्तरी सेंटिनेल इलाक़े में गश्त कर रहा था. यह हेलिकॉप्टर जैसे ही थोड़ा नीचे की तरफ उतरने लगा तो इस जनजाति के लोगों ने हेलिकॉप्टर पर तीरों से हमला करना शुरू कर दिया.
इस हमले के बाद पायलट ने बताया, 'इस तरह हमें पता लगा कि वहां रहने वाले लोग सुरक्षित हैं.'
वैज्ञानिकों का मानना है कि सेंटिनेली जनजाति के लोग करीब 60 हज़ार साल पहले अफ़्रीका से पलायन कर अंडमान में बस गए थे. भारत सरकार के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इस जनजाति को बचाने की कोशिशें कर रहे हैं.
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