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ओडिशा में 'मिशन-120' के लिए कितनी तैयार है भारतीय जनता पार्टी
- Author, संदीप साहू
- पदनाम, भुवनेश्वर से, बीबीसी हिंदी के लिए
भारतीय जनता पार्टी के 'हेडमास्टर' अमित शाह ने अप्रैल में अपनी पिछली 'क्लास' में अपने छात्रों (कार्यकर्ताओं) को जो 'होमवर्क' दिया था, रविवार को वो उसका जायज़ा लेंगे. आज के इम्तेहान को लेकर 'छात्र' कुछ आशंकित ज़रूर हैं, लेकिन उन्हें विश्वास है कि परीक्षा में उन्हें अच्छे नंबर मिलेंगे.
शाह के ओडिशा दौरे के बारे में केंद्रीय मंत्री जुएल उरावं ने कहा, "हमने अपना होमवर्क किया है. थोड़े डरे हुए ज़रूर हैं, लेकिन हम निश्चिंत हैं कि हमें 90 प्रतिशत से भी अधिक नंबर मिलेंगे."
भाजपा राज्य इकाई के उपाध्यक्ष समीर महंती ने बताया कि अमित शाह पार्टी की 'कोर टीम', राज्य पदाधिकारियों और विस्तारकों से अलग-अलग मिलेंगे और पिछले दो-ढाई महीनों में उन्होंने क्या किया है, उसकी समीक्षा करेंगे.
पार्टी का हालिया प्रदर्शन
ओडिशा से एकमात्र गैर-बीजद सांसद उरावं भले ही 90% नंबर का दावा कर रहे हों, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले एक वर्ष में राज्य के भीतर पार्टी की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ी है.
हाल में हुए दो चुनाव तो कम से कम ये ही इशारा कर रहे हैं. फ़रवरी में बिजापुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा ने अपना सब कुछ झोंक दिया था, लेकिन इसके बावजूद बीजद उम्मीदवार रीता साहू ने भाजपा के प्रत्याशी अशोक पाणिग्राही को 40 हज़ार से भी अधिक वोटों से हरा दिया.
इसके दो महीने बाद अताबिरा और हिंदोल एन.ए.सी (नगरपालिका) चुनावों में भाजपा केवल हिंदोल के एक वार्ड में ही जीत दर्ज़ कर पाई जबकि बाकी सभी वॉर्ड सत्तारूढ़ बीजद के खाते में गए.
पूरा होगा शाह का मिशन?
मार्च 2017 में हुए पंचायत चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद काफी उत्साहित नज़र आए अमित शाह ने पिछले वर्ष सितंबर में अपने ओडिशा दौरे में पार्टी के 'मिशन 120' (राज्य विधान सभा के 147 सीटों में से 120 सीटों में जीत का लक्ष्य) की घोषणा कर डाली थी, लेकिन पिछले नौ महीनों में महानदी में काफ़ी पानी बह गया है.
बीजद की सफल चाल से लोगों में अब यह धारणा बनती जा रही है कि महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच चल रहे विवाद में भाजपा और केंद्र सरकार दोनों छत्तीसगढ़ का साथ दे रहे हैं.
ऐसी धारणा बनने में भाजपा की अपनी करनी और कथनी ने भी पूरा योगदान दिया है. नतीजा यह हुआ है कि महानदी के मुद्दे पर बीजद सरकार की सारी ग़लतियों के बावजूद आज भाजपा ही कठघरे में खड़ी है.
नवीन पटनायक की योजना
दूसरी तरफ़ पंचायत चुनाव में झटके के बाद बीजद ने अपने आपको संभाला है और अपनी सोची, समझी रणनीति से बाज़ी पलट दी है. नवीन पटनायक सरकार लोगों को लुभाने के लिए एक के बाद योजनाओं की घोषणा कर रही है.
हाल ही में राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा शुरू की गई 'आयुष्मान भारत' योजना को ठुकराते हुए अपनी 'बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना' की घोषणा की.
15 अगस्त से शुरू होनेवाली इस योजना के तहत राज्य के 70 लाख परिवारों को सरकारी अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज मिलेगा. महिलाओं के लिए यह रकम 7 लाख रुपये होगी.
पंचायत चुनाव के झटके के बाद आम तौर से लोगों से दूरी बनाए रखने वाले नवीन पटनायक ने अब वह करना शुरू किया है जो उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व के पहले 17 सालों में कभी नहीं किया.
आजकल वे लोगों से खुलकर मिलते हैं, युवाओं के साथ बेझिझक सेल्फ़ी खिंचवाते हैं, ट्विटर पर बहुत ही 'एक्टिव' हैं और तो और, इन दिनों वे पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हैं और उनसे हंसकर बातें भी करते हैं. पिछले एक वर्ष में उन्होंने अपनी छवि में भारी बदलाव किया है और लोगों पर इसका असर भी दिखाई दे रहा है.
भाजपा में बड़े नेता की कमी
भाजपा की एक बड़ी समस्या यह है कि नवीन के मुकाबले का कोई नेता उसके पास नहीं है. पार्टी ने अनौपचारिक रूप से केंद्रीय पेट्रोलियम और दक्षता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में पेश किया है, लेकिन नवीन के सामने वे फीके नज़र आ रहे हैं.
आत्मविश्वास से भरे बीजद को अमित शाह के दौरे के बारे में टिप्पणी करना भी गवांरा नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता प्रताप केसरी देव कहते हैं, "यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है. इस पर हम क्या टिप्पणी करें? लेकिन इससे हमें कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है."
नवीन की कायापलट के अलावा भाजपा के लिए अब एक और नई समस्या खड़ी हो गई है. पूर्व मंत्री निरंजन पटनायक को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद सालों से अंतर्विवाद से जूझ रही कांग्रेस पार्टी अब एकबार फिर एकजुट होने लगी है. वर्षों से निर्जीव पार्टी का संगठन अब हरकत में आता हुआ नज़र आ रहा है.
निरंजन कहते हैं कि अमित शाह के दौरे से उनकी पार्टी बिलकुल परेशान नहीं है. वे कहते हैं, "यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भाजपा की हालत खस्ता है, इसलिए अमित शाह एक बार नहीं, कई बार आएंगे. ख़ुद मोदी भी आएंगे लेकिन इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला."
मज़े की बात यह है कि कांग्रेस में बढ़ी इस हलचल से नवीन की चिंताएं बढ़ने के बजाय कम होंगी क्योंकि वे जानते हैं कि दो राष्ट्रीय दलों की इस लड़ाई में आखिरकार फ़ायदा उन्हें ही होनेवाला है.
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