ग्राउंड रिपोर्ट: हरियाणा सरकार से नाराज़ लोगों ने राम रहीम के लिए मांगी उम्रक़ैद
- Author, फ़ैसल मोहम्मद अली
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, पंचकुला से
पंचकुला में शुक्रवार की हिंसा के बाद शनिवार को माहौल शांतिपूर्ण रहा. शुक्रवार को हिंसा के दौरान करोड़ों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा.
पंचकुला में हुई हिंसा के बाद शनिवार को बंद सा माहौल रहा, सड़कों पर जले हुए वाहन नज़र आ रहे थे. हालांकि शनिवार को स्थानीय लोग बाहर निकले. बीबीसी ने पंचकुला के स्थानीय लोगों के बीच जाकर यहां के माहौल का जायजा लिया.
स्थानीय निवासी करनैल सिंह ने बीबीसी को बताया कि उनकी नई मोटरसाइकिल भी हिंसा का शिकार हो गई. उनके मोटरसाइकिल को भीड़ ने आग लगा दी.

गाड़ियों, ऑटो, बैंक में लगाई आग
सेक्टर 16 की लक्ष्मी ने बताया कि डेरा समर्थकों ने पांच गाड़ियों, ऑटो और बैंक में भी आग लगाई. उन्होंने कहा, "राम रहीम के समर्थकों ने कपड़े में आग लगाकर गाड़ी के अंदर फेंका और गाड़ी धू धू कर जलने लगी. लोग बाहर के थे. उनके पास बैग में पत्थर भरे थे."
पटियाला में पढ़ाई कर रही रीटा अपने रिश्तेदार के घर पंचकुला पहुंची हैं. उन्होंने कहा, "इन सभी चीज़ों के लिए बाबा राम रहीम दोषी हैं."
बाबाओं में लोगों की इतनी भक्ति क्यों है यह पूछे जाने पर रीटा ने कहा, "इसकी मुख्य वजह लोगों में गरीबी. जिसकी वजह से लोग इन बाबाओं के झांसे में आ जाते हैं."
जब इनसे पूछा गया कि उम्मीद की जा रही है कि इन्हें सात साल की सज़ा सुनाई जाएगी तो इन दोनों ने कहा कि ये कम है. इन्होंने कहा, "सात साल नहीं इनको उम्रकैद होनी चाहिए."

सारे बाबाओं को बंद करे सरकार
पंचकुला की एक दुकानदार महिला बबीता शर्मा ने कहा कि सिरसा में ही फ़ैसला किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा, "सज़ा भी साथ ही सुनाई जानी चाहिए थी क्योंकि जो हिंसा पंचकुला में हुई है वो सज़ा सुनाने के दिन फ़िर रोहतक में भी होगी. सारे बाबाओं को अंदर बंद किया जाना चाहिए. लोगों में अंधविश्वास बहुत ज़्यादा है."
वहीं प्रदीप शर्मा ने बताया, "सरकार की ग़लती है. इतने बड़े हुज़ूम को इक्ट्ठा होने दिया. कल बंद था. हमें पता था कि फ़ैसला आने के बाद कुछ ग़लत होने वाला है. डेरा के समर्थकों ने इसकी तैयारियां कर रखी थीं. उनके पास डंडे थे. वो तैयारियों के साथ आए थे."

उपद्रवी घरों में घुस गए
सेक्टर 11 में रहने वाली किरण ने कहा, "गली में लोग भागते रहे, पत्थर मार रहे थे."
सेक्टर 20 के रहने वाले एक सेवानिवृत बैंक कर्मचारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "सारा दिन घर पर थे. जो कुछ भी हो रहा है वो बुरा है. अक्लमंदी घर में बैठने में है. ऐसे में प्रशासन की मदद करने का तरीका ये भी है कि हमें अपने अपने घरों में ही बैठना चाहिए. भीड़ की हिस्सा क्यों बनना है."
सेक्टर 4 के रहने वाले सरकारी कर्मचारी हरीश ने बताया कि उन्हें ऑफ़िस से जल्दी घर जाने को कहा गया. उन्होंने कहा, "बाबाजी के अनुयायियों में ग़ुस्सा था. उनके पास बैग में पत्थर रखे थे. भीड़ बेकाबू हो गई थी. उपद्रवी घरों में भी घुस गए थे. यहां दूध की कमी हो गई थी."

पहली बार पंचकुला में देखा ये सब
सेक्टर 11 में रहने वाले साहिल ने कहा, "तीन दिनों से ऑफ़िस से जल्दी निकल रहे थे. स्थिति भयावह थी. मैं यहां बचपन से रह रहा हूं और इतने सालों से ऐसा कुछ देखा नहीं था. शुक्रवार की दोपहर ऑफिस नहीं गए. टीवी देख रहे थे. शोर सुनकर छत पर गए. फायरिंग की आवाज़ आ रही थी. धुंआ उठ रहा था. कल कर्फ़्यू था, बाहर नहीं निकले. आज बाहर निकले हैं."
यह पूछने पर कि धारा 144 के बावजूद इतने लोग जमा कैसे हो गए. साहिल ने कहा, "लोग फ़ुटपाथ पर भरे हुए थे. प्रशासन कह रहा था कि सब कुछ नियंत्रण में है. लेकिन कल जो कुछ हुआ उसे देख कर लग नहीं रहा कि प्रशासनिक तैयारियां थीं."
चंडीगढ़ से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे पंचकुला में शुक्रवार को डेरा प्रमुख राम रहीम को 2002 में दो महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी पाया गया. अदालत का फ़ैसला आने के बाद डेरा समर्थकों ने शहर में हिंसा और उत्पात मचाए जिसमें अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है.

पंचकुला में फ़्लैग मार्च कर रही सेना
शनिवार को फौज की डोगरा बटालियन पंचकुला में लगातार गश्त करती रही. अर्धसैनिक बल के जवान भी तैनात हैं. सेक्टर-2 में जहां सीबीआई की विशेष कोर्ट है वहां आस-पास कड़ी व्यवस्था है.
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