वो औरतें जिन्होंने तीन तलाक़ को दी चुनौती

    • Author, दिव्या आर्य
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच आज तीन तलाक़ के मुद्दे पर अपना फ़ैसला सुनाएगी.

पांच महिलाओं ने कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा था कि ये प्रथा उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

पढ़िए, इन महिलाओं की आपबीती.

आफ़रीन रहमान, जयपुर, राजस्थान

साल 2014 में आफ़रीन रहमान की शादी जयपुर के एक पांच-सितारा होटल में बहुत धूमधाम से हुई थी.

उस व़क्त आफ़रीन एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी कर रही थीं. लेकिन अपने व़कील पति के साथ ज़िंदगी की एक नई शुरुआत के लिए उन्होंने वो सब छोड़ दिया.

आफ़रीन कहती हैं, "शादी वैसी नहीं निकली जैसी सोची थी, दहेज़ की मांगें कभी ख़त्म ही नहीं हुईं और मना करने पर मारपीट होने लगी, मुझे डिप्रेशन (अवसाद) हो गया."

उनका आरोप है कि शादी के एक ही साल में उनके पति ने उन्हें वापस मायके भेज दिया. कुछ महीने बाद एक भयानक सड़क दुर्घटना में आफ़रीन गंभीर रूप से घायल हो गईं और उनकी मां की मौत हो गई.

आफ़रीन के पिता की मौत कुछ साल पहले ही हो गई थी. अब आफ़रीन ख़ुद को बहुत अकेला पा रहीं थीं.

अभी वो अपनी चोटों से उबर ही रही थीं कि उनके पति ने हाथ से लिखी चिट्ठी उनकी बहन और कुछ और रिश्तेदारों के पास भेजी.

जब आई तलाक़ वाली चिट्ठी

उस पर लिखा था, 'तलाक़ तलाक़ तलाक़'.

आफ़रीन बताती हैं, "मैं सदमे में चली गई, वो बहुत बुरा व़क्त था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं."

तब आफ़रीन की ममेरी बहन ने उनकी मदद की, हिम्मत बंधाई और तलाक़ को ग़लत ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता सुझाया.

उन्होंने ही आफ़रीन के पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा और दहेज़ के लिए परेशान करने के केस दायर करवाए.

ख़ुद के लिए नहीं और बहनों के लिए जंग

आफ़रीन के पति और सास को गिरफ़्तार भी किया गया और चार दिन बाद ज़मानत पर रिहा कर दिया.

आफ़रीन कहती हैं, "हमारे बच्चे नहीं हुए, इसलिए मेरे पास ज़िंदगी को नए तरीके से शुरू करने का मौका है."

लेकिन उनके मुताबिक वो ये केस इसलिए लड़ रही हैं ताकि "अपने पति पर निर्भर अन्य औरतों को ऐसी नाइंसाफ़ी का सामना ना करना पड़े."

अतिया साबरी, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

एक दिन अतिया साबरी के भाई के दफ़्तर में एक एफ़िडेविट आया, तब उन्हें पता चला कि उनका तलाक़ हो गया है.

दस रुपये के स्टैंप पेपर के आख़िर में लिखा था, 'तलाक़ तलाक़ तलाक़'.

अतिया पूछती हैं, "शरिया में लिखा है कि निक़ाह तभी पूरा होता है जब दो लोगों में बातचीत से सहमति बने, तो फिर एक इंसान अकेले तलाक़ देकर कैसे छुट्टी पा सकता है?"

उनके मुताबिक उनके पति ने ना उन्हें फ़ोन किया, ना कोई बात की, इसलिए वो ये तलाक़ क़बूल नहीं करती हैं.

अतिया ने सुप्रीम कोर्ट से इस प्रथा को असंवैधानिक क़रार देने की अपील की है.

इसके साथ ही वो मांग करती हैं कि ऐसा क़ानून बनाया जाए जो मुसलमान महिलाओं को तलाक़ से जुड़े फ़ैसले लेने के समान अधिकार दे.

'तलाक़ के रूप में मिली बेटियां पैदा करने की सज़ा'

अतिया की शादी को सिर्फ़ ढाई साल हुए थे लेकिन उनके रिश्ते में बहुत तनाव था.

अतिया का आरोप है कि उन्हें दो बेटियां पैदा करने की 'सज़ा' दी जा रही थी, उनके पति का परिवार उनके साथ मारपीट करता था और उन्हें ज़हर देने की कोशिश तक की गई.

उन्हें घर से बाहर 'निकाल' दिया गया और अतिया को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. इसके कुछ दिनों बाद ही वो एफ़िडेविट आया.

अतिया ने घरेलू हिंसा की शिकायत पुलिस में की. उनके पति ने आरोपों से इनकार किया पर गिरफ़्तार हुए. और, उन पर मुकदमा चलना अभी बाक़ी है.

अतिया कहती हैं, "मेरे अंदर से आवाज़ आई कि अगर मैं डर गई या हार गई तो मेरी बेटियों का क्या होगा? मुझे उनके लिए लड़ना है और अपना हक़ हासिल करना है."

शायरा बानो, काशीपुर, उत्तराखंड

शायरा बानो के मुताबिक, "एक बार में दिया तीन तलाक़ औरत की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देता है और उसके बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर देता है."

शायरा इलाज के लिए अपने मां-बाप के घर आई हुईं थीं जब उनके पति ने स्पीड पोस्ट से उन्हें चिट्ठी भेजी जिसपर 'मैं तुम्हें तलाक़ देता हूं' तीन बार लिखा था.

बस एक झटके में 15 साल का रिश्ता ख़त्म हो गया.

शायरा के दोनों बच्चे, एक बेटा और एक बेटी, उनके पति के पास थे जब उन्होंने अक्तूबर 2015 में तलाक़ वाली चिट्ठी भेजी.

उनका आरोप है कि वो तबसे उन्हें नहीं मिल पाई हैं. वो कहती हैं, "मैं तो इस प्रथा का शिकार हुई लेकिन ये नहीं चाहती कि आने वाली पुश्तें भी इसे झेलें, इसीलिए मैंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इसे असंवैधानिक क़रार दिया जाए."

ख़ुद को लड़ने के क़ाबिल बना रही हैं शायरा

उन्होंने एमबीए के कोर्स में दाख़िला लिया है ताकि नौकरी कर सकें. साथ ही उन्होंने स्थानीय अदालत से अपने बच्चों को मिलने की अनुमति भी ले ली है.

शायरा का आरोप है कि, "मेरे पति मुझे बहुते मारते-पीटते थे, यहां तक कि घर से बाहर भी नहीं निकलने देते थे, मैं ये सब सिर्फ़ अपने बच्चों के लिए बर्दाश्त करती रही."

उनके पति ने पिछले साल दूसरी शादी कर ली.

शायरा कहती हैं कि अब उनका शादी पर से विश्वास ही उठ गया है.

वो पूछती हैं, "इसका क्या भरोसा कि दूसरी शादी में पति मेरे साथ ऐसा बर्ताव नहीं करेगा?"

अपनी बेटी के लिए उनके पास एक ही हिदायत है, "उसे तभी शादी करनी चाहिए जब वो अपना गुज़र-बसर ख़ुद चलाने लायक हो."

इशरत जहां, कोलकाता, पश्चिम बंगाल

इशरत जहां का दिल टूट गया जब दुबई से उनके पति ने फ़ोन कर तीन बार 'तलाक़' कहा और 15 साल की उनकी शादी ख़त्म कर दी.

उनका रिश्ता लंबा तो था पर ख़ुशहाल नहीं था.

इशरत का आरोप है, "एक के बाद एक तीन बेटियां होने की वजह से वो मुझे ज़लील करता था और यहां तक कि अपने भाई के साथ शारीरिक रिश्ता बनाने पर मजबूर किया."

आखिरकार साल 2014 में इशरत के बेटा हुआ.

वो बताती हैं, "लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मेरे पति ने दूसरी शादी करने का मन बना लिया था और साल 2015 में मुझे फ़ोन पर तीन तलाक़ देकर उन्होंने उससे शादी कर ली."

क़ुरान में नहीं है एक बार में तीन तलाक़ देने का जिक्र

कुछ ही दिनों में उनके पति ने उनके बच्चों का 'अपहरण' कर लिया और उन्हें दूसरी पत्नी के पास ले गए.

इशरत जहां अनपढ़ हैं. पर इतना समझती हैं कि क़ुरान में एक बार में तीन तलाक़ दिए जाने का ज़िक्र तक नहीं है.

उनके मुताबिक, "क़ुरान में तो ये भी लिखा है कि अगर एक मर्द दूसरी शादी करना चाहे तो उसे अपनी पहली पत्नी से अनुमति लेनी होगी."

एक स्थानीय ग़ैर-सरकारी संस्था ने उनकी मदद की तो वो अपना केस सुप्रीम कोर्ट तक ले जा पाईं.

अब इशरत ने अपने पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा और उनके भाई के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई है.

इस सबके बावजूद वो अपने पति के पास वापस जाना चाहती हैं.

इशरत कहती हैं, "अगर मेरे पति मेरे साथ बिल्कुल नहीं रहना चाहते तो उन्हें मुझे ये आमने-सामने कहना होगा ताकि हम इस बारे में बात कर सकें."

वो चाहती हैं कि पति-पत्नी के बीच में चाहे जो फ़ैसला हो, कम से कम बच्चों को रखने का अधिकार उन्हें मिल जाए.

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