You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
दलित होना पढ़ाई में बाधा नहीं रहा: आईआईटी टॉपर कल्पित वीरवाल
- Author, रजनीश कुमार
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, नई दिल्ली
राजस्थान के 17 साल के कल्पित वीरवाल ने इतिहास रच दिया है. आईआईटी जेईई के मेन्स में कल्पित ने 360 में से 360 अंक हासिल किए हैं. कल्पित ऐसा करने वाले देश के पहले छात्र हैं.
कल्पित की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि वह दलित स्टूडेंट हैं.
कल्पित ने फ़ोन पर बीबीसी से कहा कि नियमित पढ़ाई और आत्मविश्वास के कारण उन्हें ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) मेन्स 2017 में यह कामयाबी मिली.
कल्पित के पिता सरकारी हॉस्पिटल में कंपाउन्डर हैं और मां राजस्थान में उदयपुर के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं.
कल्पित का कहना है कि अब उनका ध्यान जी अडवांस पर है जो अगले महीने होने वाला है.
कल्पित के दलित होने की बात को बहुजन समाज पार्टी यानी बीएसपी ने ट्वीट किया, ''जो कहते हैं कि दलितों में मेरिट नहीं है उनके मुंह पर करारा तमाचा है. कल्पित वीरवाल सामान्य और अनुसूचित जाति में टॉप आए हैं.''
जब बीबीसी ने कल्पित से बहुजन समाज पार्टी के ट्वीट को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि पढ़ाई में इसे (दलित होने) लेकर उन्हें कोई दिक़्क़त नहीं हुई.
उन्होंने कहा, ''मेरे घर में इस तरह का माहौल नहीं था. मुझे इसे लेकर पढ़ाई में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा.''
देश में कभी आईआईटी और सिविल सेवा की परीक्षाओं में सवर्णों के दबदबा रहता था, लेकिन इसमें अब बदलाव साफ़ महसूस किया जा सकता है.
2015 की आईएएस परीक्षा में टीना डाबी टॉप आई थीं. टीना डाबी भी दलित समुदाय से ही हैं. कुछ दिन पहले ही भूषण अहीर महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा में टॉप आए थे. भूषण भी दलित समुदाय से ही हैं.
देश की अहम परीक्षाओं में हाशिए के समुदाय के छात्रों के टॉप आने पर प्रमुख दलित चिंतक कांचा इलैया ने कहा कि आने वाले वक़्त में ओबीसी और दलित समुदाय के छात्र ब्राह्मणों और बनियों के बच्चों पर भारी पड़ने वाले हैं.
कांचा ने कहा, ''दलित और ओबीसी छात्रों में समझ का स्तर सवर्णों से कहीं ज़्यादा है. उनका दृष्टिकोण ज़्यादा गहरा होता है. इन्हें मौका मिला तो वे सवर्णों की बराबरी नहीं बल्कि उन्हें पीछे छोड़ देंगे. वह वक़्त दूर नहीं जब किसी दलित को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.''
कल्पित ने कहा कि वह हर दिन पांच से छह घंटे ईमानदारी से पढ़ाई करते थे.
कल्पित ने कहा, ''मैंने भविष्य को लेकर कोई बड़ी तैयारी नहीं की है. मुझे आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लेना है. उसके बाद ही फ़ैसला करूंगा कि आगे क्या करना है.''
सिविल सर्विस में जाने को लेकर कल्पित ने कहा कि इंजीनियरिंग के बाद ही इस पर सोचा जाएगा.
कल्पित के बड़े भाई एम्स में मेडिकल छात्र हैं. उनके पिता पुष्कर लाल वीरवाल उदयपुर के महाराणा भूपाल सरकारी अस्पताल में कंपाउन्डर हैं और मां पुष्पा वीरवाल सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)