आधार कार्ड ना बनवाने की सात वजहें

टेक्स रिटर्न भरने की हिदायत

इमेज स्रोत, Thinkstock

    • Author, ऋतिका खेड़ा
    • पदनाम, अर्थशास्त्री

मेरा मानना है कि आधार कार्ड ना बनवाएं और अगर बनवा लिया है तो उसकी जानकारी जहां तक हो सके कहीं ना दें. मेरे पास ये सुझाव देने के ठोस कारण हैं.

मोबाइल, आयकर के लिए भी ज़रूरी

ताज़ा निर्देश में सरकार ने कहा है कि आपके मौजूदा मोबाइल के लिए भी अब आधार की जानकारी देना अनिवार्य होगा.

इसके लिए एक साल की मोहलत है वर्ना मोबाइल इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. इसी तरह आयकर भरने के लिए भी अब आधार को अनिवार्य कर दिया गया है.

इससे पहले अनिवार्यता की ये शर्त सिर्फ़ कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ी गई थी पर अब अमीर तबके पर इसका असर पड़ने से ये बहस राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में जगह बना पाई है.

हमारी जानकारी, सरकार की कमाई

आधार कार्ड

सरकार चाहती है कि वो आपके बारे में जानकारी जुटाकर हर 'डेटाबेस' में डाल दे. मसलन दिल्ली में बैठे वो ये जान ले कि मेरा मोबाइल कहां-कहां गया, मैंने कहां की रेल टिकट बुक करवाई, कितना पैसा कहां ख़र्च किया.

मौजूदा क़ानून में लिखा है कि अगर कोई किसी नागरिक के आधार कार्ड की जानकारी मांगे तो 'बायोमेट्रिक्स' (उंगलियों, अंगूठे और पुतलियों की छाप) के अलावा सरकार बाक़ि जानकारी कंपनियों से पैसा लेकर दे सकती है.

ऋतिका खेड़ा

इमेज स्रोत, FACEBOOK

इमेज कैप्शन, बीबीसी हिन्दी के फ़ेसबुक लाइव में ऋतिका खेड़ा

तो सरकार हमारी जानकारी जुटा ही नहीं रही, बल्कि उसे बेचकर पैसा कमा रही है.

ऐसा नहीं कि सरकार बिना आधार कार्ड के हमारी जानकारी नहीं जुटा सकती थी पर इससे ये आसान हो रहा है और इसे रोकना ज़रूरी है.

अमरीका के 'सोशल सिक्योरिटी नंबर' जैसा नहीं

बुज़ुर्ग महिला

इमेज स्रोत, Thinkstock

अमरीका में नागरिकों को पेंशन की सुविधा के लिए 'सोशल सिक्यूरिटी नंबर' देने की पहल हुई थी और फिर उस नंबर को अन्य सुविधाओं से जोड़ा गया.

इस नंबर और आधार नंबर में सबसे बड़ा फ़र्क ये है कि अमरीका में क़ानून ने ये तय किया हुआ है कि उस नंबर को कौन मांग सकता है और उसका क्या उपयोग होगा.

आधार कार्ड के बारे में ऐसा कुछ भी निश्चित नहीं है.

बेघरों के लिए नई पहचान नहीं

इंडिया गेट

सरकार का दावा है कि देश की वयस्क जनता का 98 फ़ीसदी आधार कार्ड बनवा चुकी है.

लेकिन सूचना के अधिकार से मांगी जानकारी में पता चला है कि 99.99 फ़ीसदी लोगों ने आधार कार्ड अपने मौजूदा किसी आईडी के आधार पर ही बनवाया है.

आधार बनवाने के लिए आपको अपना 'पहचान पत्र' और घर के पते का 'आईडी प्रूफ़' लेकर जाना होता है.

यानी ये ग़लतफ़हमी है कि आधार कार्ड के ज़रिए उन लोगों को पहचान पत्र मिल रहा है जिनके पास कोई भी और पहचान पत्र नहीं है.

सरकारी योजनाओं के लिए क्यों ज़रूरी?

आधार का सरकारी विज्ञापन

इमेज स्रोत, UIDAI

आधार कार्ड बन जाने से राशन और पेंशन जैसी योजनाओं का फ़ायदा नहीं मिलने लगेगा.

वो आपको तभी मिलेगा जब आप उस विभाग और मंत्रालय में अपना नाम लिखवाएंगे और उपयुक्त राशन या पेंशन कार्ड बनवाएंगे.

बल्कि सरकार के नए निर्देश के मुताबिक अब राशन या पेंशन कार्ड हो तो भी इन योजनाओं का पैसा लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा.

चोरी रोकने में भूमिका नहीं

मोबाइल

इमेज स्रोत, Thinkstock

आधार की तकनीक बहुत कारगर नहीं है, अक़्सर 'सर्वर' या इंटरनेट ना चलने से या मशीन के सही 'फ़िंगरप्रिंट' ना पहचान पाने से ये परेशानी की वजह ही बनती है.

मसलन मैं अधिकारी के सामने हूं, पूरा गांव मेरी पहचान कर रहा है पर मशीन मेरी पहचान नहीं करती तो मैं अपने हक के राशन से वंचित हो जाती हूं.

कई राज्यों में तकनीक के अलग इस्तेमाल से चोरी रोकने के अन्य कारगर तरीके ढूंढे गए हैं और उनका इस्तेमाल करना चाहिए, पर चोरी रोकने के नाम पर आधार जैसे एक कार्ड को हक की सुविधाएं लेने के लिए अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट की खिल्ली

सुप्रीम कोर्ट

इमेज स्रोत, AP

सुप्रीम कोर्ट ने सात आदेश निकाले हैं जिनमें कहा गया है कि आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.

साल 2015 में कोर्ट ने सिर्फ़ छह योजनाओं के लिए आधार के इस्तेमाल को अनुमति दी थी वो भी स्वेच्छा से पर सरकार आज उसको ना सिर्फ़ अनिवार्य बना रही है बल्कि उन छह योजनाओं से काफ़ी आगे जा चुकी है.

सरकार का ये दावा भी ग़लत है कि ये आदेश पिछले साल मार्च में क़ानून बनने से पहले आए थे.

पिछले साल सितंबर में भी कोर्ट ने ये कहा था कि जबतक हम इसपर फ़ैसला नहीं लेते, हमारे पिछले सभी आदेश लागू माने जाएं.

मेरी मांग भी यही है कि अगर ये प्रोजेक्ट जारी भी रखना है तो इसमें से अनिवार्यता की शर्त हटा दें और स्वेच्छा का उसूल वापस लाएं.

(बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य से बातचीत पर आधारित)

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)