नोटबंदी से इनके हुए वारे-न्यारे

- Author, भरत शर्मा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐलान किया था, जिससे 500 के 1716 करोड़ से ज़्यादा नोट और 1,000 रुपए के 685 करोड़ से ज़्यादा नोट कागज़ में बदल गए. लोगों की जेब, घर, बाज़ार और बैंकों में रखी क़रीब 87 फ़ीसदी करेंसी ख़त्म हो गई और डिजिटल लेन-देन पर ज़ोर दिया जाने लगा.
नैसकॉम में इंटरनेट काउंसिल के प्रमुख प्रशांतो के रॉय ने बीबीसी से ख़ास बातचीत में कहा कि पिछले तीन महीने से देश में डिजिटल इको-सिस्टम बदलने को लेकर आक्रामक रुख़ अपनाया जा रहा था और नोटबंदी ने इसे और रफ़्तार दी.
रॉय ने बताया, ''भारतीय अर्थव्यवस्था में 80 फ़ीसदी लेन-देन नकदी में होता है, जिसे साल 2020 के अंत तक 50-60 फ़ीसदी पर लाने का लक्ष्य है. स्वीडन में कैश लेन-देन महज़ दो फ़ीसदी है, ऐसे में हमें लंबा सफ़र तय करना है. ये अंतर कम करने की कोशिश है.''
और नोटबंदी की शक्ल में सामने आई ये कोशिश कुछ लोगों, कारोबारों और कंपनियों के लिए मुनाफ़े का सौदा लेकर आई.
सुपर मार्केट में बहार

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अब किराने की दुकानों और सब्जी मंडी में लगने वाली भीड़ वहां से हटकर सुपर मार्केट की तरफ़ जाने लगी.
रिसर्च फ़र्म नील्सन के अनुसार नोटबंदी ने लोगों को आधुनिक रीटेल या सुपर मार्केट की तरफ़ मोड़ा, जहां भुगतान के डिजिटल विकल्प उपलब्ध थे.
इस अवधि में आधुनिक रीटेलरों के यहां पहुँचने वाले 15-20 फ़ीसदी बढ़ गए और बिक्री में क़रीब 20-25 फ़ीसदी का उछाल आया.
प्रशांतो के रॉय के अनुसार नोटबंदी ने दुकानदारों को डेबिट-क्रेडिट कार्ड और ई-वॉलेट स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, ''देश में 70 करोड़ डेबिट कार्ड और 20 करोड़ क्रेडिट कार्ड हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ़ 10 फ़ीसदी सक्रिय थे. अब इसमें बदलाव आ रहा है.''
दूध कंपनियों के आउटलेट

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शहरों में लोग दूध के लिए दूधवाले भइया पर कम और मिल्क बूथ पर ज़्यादा निर्भर करते हैं. नोटबंदी के इस दौर में दूध और सब्ज़ी बेचने वाले ऐसे बूथ और आउटलेट की ख़ासी चांदी हो गई.
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने ख़ुद बताया था कि मदर डेयरी और सफ़ल आउटलेट पर डिजिटल भुगतान की कुल वेल्यू आठ नवंबर से पहले 13 लाख रुपए रोज़ थी, जो नोटबंदी के बाद 78.84 करोड़ रुपए प्रतिदिन पहुँच गई. प्रशांतो ने कहा कि पहले पेट्रोल से लेकर दूध तक कैश से ख़रीदा जाता था, लेकिन अब इसके लिए डिजिटल भुगतान होने लगा है. झिझक अब दूर हो रही है.
मोबाइल वॉलेट हुआ भारी

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मोदी सरकार ने नोटबंदी का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर रोक बताया था. फिर उसके बाद अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने पर ज़ोर दिया जाने लगा.
ज़ाहिर है, इससे मोबाइल वॉलेट कंपनियों को काफ़ी फ़ायदा मिला.
पेटीएम के मुताबिक 10 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच उसे दो करोड़ से ज़्यादा नए यूज़र मिले हैं. मोबीक्विक की मासिक मर्चेंडाइज़ वेल्यू ने 2017 के लिए अपना लक्ष्य 10 गुना बढ़ाकर 10 अरब डॉलर कर लिया है.
स्नैपडील की इकाई फ़्रीचार्ज का कहना है कि वो अगले 12 महीने में 10 लाख मर्चेंट जोड़ने की तैयारी कर रही है. नैसकॉम के प्रशांतो के अनुसार नवंबर और दिसंबर के बीच ई-वॉलेट कंपनियों को बाज़ार में आए इस बदलाव का ख़ासा फ़ायदा हुआ.
ई-कॉमर्स में लॉग-इन

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पहले लोग जेब में कैश डालकर जाते थे और सामान ख़रीद लाते थे, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों ने महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक में खरीदारी का अंदाज़ बदल दिया.
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इडिया की एक स्टडी के मुताबिक भारत में लोग अब ऑनलाइन शॉपिंग के अलावा मोबाइल शॉपिंग की तरफ़ भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
सालाना 40 फ़ीसदी दर से बढ़ रहा भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार साल 2016-17 में 38 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. नोटबंदी ने हालांकि कुछ वक़्त के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों की रफ़्तार थामी है, लेकिन लंबे दौर में इसका फ़ायदा मिलना तय है.
करेंसी काग़ज़ से फ़ायदा

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पुराने नोटों के जाने से जो जगह खाली हुई है, उसे भरने के लिए नए नोटों की खेप आ रही है. अगले साल हमें 500-2000 के अलावा कम मूल्य के नए करेंसी नोट भी मिलेंगे. इस संबंध में करेंसी पेपर बनाने वाली कंपनियों को काम सौंप दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 27,500 टन करेंसी पेपर सप्लाई करने के लिए इटली, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, रूस, इंडोनेशिया, फ़्रांस और स्विट्ज़रलैंड की कंपनियों ने बिड दाखिल की थीं और उन्हें अंतिम रूप दे दिया गया है.
सरकारी ख़ज़ाना मालामाल

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आम लोगों को भले कुछ परेशानी हुई, लेकिन नोटबंदी से सरकार का फ़ायदा ही होगा. रिज़र्व बैंक के मुताबिक 10 दिसंबर तक बैंकों में 12.4 लाख करोड़ रुपए जमा हो चुके थे. संभावना है कि अब ये रकम 14 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई होगी.
आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के साथ 15.46 लाख करोड़ रुपए की करेंसी ख़त्म हो गई थी, ऐसे में इन दोनों रकम के बीच की रकम सरकार के लिए फ़ायदेमंद साबित होगी. इसके अलावा सरकार को इनकम टैक्स से मिलने वाली कमाई भी काफ़ी बढ़ने वाली है. वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक 19 दिसंबर तक आय कर से मिलने वाला राजस्व 14.4 फ़ीसदी बढ़ गया है.

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नोटबंदी ने विरोधी दलों को मोदी सरकार पर हमला बोलने का बड़ा हथियार दिया. अरविंद केजरीवाल से लेकर राहुल गांधी और ममता बनर्जी से लेकर मुलायम तक, सभी ने नोटबंदी को लेकर नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली पर क़रारा हमला बोला.
पुरानी कहावत है कि एक का नुकसान, दूसरे का फ़ायदा हो सकता है. और नोटबंदी ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया.












