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सोमवार, 12 मार्च, 2007 को 09:32 GMT तक के समाचार
 
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फ़िल्मों में फिर सुनाई देंगी प्यारेलाल की धुनें
 

 
 
प्यारेलाल
लक्ष्मीकांत की मौत के बाद प्यारेलाल फिर से वापसी की तैयारी में हैं
पाँच सौ से ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत देने वाली लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी तो लक्ष्मीकांत की मौत के साथ टूट गई है लेकिन प्यारेलाल अब वापसी के लिए कमर कस चुके हैं.

बीबीसी से विशेष बातचीत में प्यारेलाल ने कहा,''आप देखिएगा आने वाले दो सालों में हर तीसरी फ़िल्म का संगीत प्यारेलाल का होगा.''

प्यारेलाल अकेले ही अपनी यादगार जोड़ी की याद को लोगों के जेहन में ज़िंदा रखने की भरपूर कोशिश कर रहें हैं. हाल ही में उन्होंने फ़रहा ख़ान की फ़िल्म में एक गाने के लिए संगीत भी दिया है.

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने राज कपूर, बी आर चोपड़ा, यश चोपड़ा, देव आनंद, मनमोहन देसाई, सुभाष घई, मनोज कुमार जैसे हर बड़े फ़िल्मकारों और लता मंगेशकर, मो. रफ़ी, किशोर कुमार जैसे बड़े गायकों के साथ काम किया है.

एक ज़माने में इस जोड़ी ने सात फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीतकर अपने संगीत का परचम लहरा दिया था. इनके कई गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर चढ़े रहते हैं.

प्यारेलाल ने वेस्टर्न क्लासिकल संगीत की शिक्षा ली है. 8 साल की उम्र से ही वो रोज़ाना 8-10 घंटे वायलिन पर अभ्यास किया करते थे लिहाज़ा 12 साल की उम्र में स्टूडियो में वायलिन बजाने का मौका मिल गया.

वापसी

हाल ही में प्यारेलाल ने फ़राह ख़ान निर्देशित फ़िल्म 'ओम शांति ओम' में मेहमान संगीतकार के रूप में एक गाना रिकॉर्ड किया है.

अपनी वापसी पर उत्साहित प्यारेलाल कहते हैं, ''दरअसल इस फ़िल्म का संगीत विशाल-शेखर का है लेकिन फ़राह ख़ान को सत्तर के दशक का असल गाना चाहिए था और उन्होंने किसी नए संगीतकार से उसकी नकल करवाने से अच्छा उसी समय के संगीतकार को लेने का फ़ैसला किया. उनके कहने पर मैं अपनी शर्तों पर एक गाना करने के लिए तैयार हो गया.''

 आप देखिएगा आने वाले दो सालों में हर तीसरी फ़िल्म का संगीत प्यारेलाल का होगा.
 
प्यारेलाल

आजकल टेलीविज़न पर चलने वाले रियलटी शो को लेकर पूछ गए सवाल के जवाब में प्यारेलाल कहते हैं, ''असल में ये लोग जो कर रहें हैं बहुत सही कर रहे हैं. लेकिन मेरे ख़याल से कुछ चीज़े ग़लत भी हो जाती हैं. इमसें कई बार ऐसा होता है कि जो अभी मिल रहा है उसे ले लो बाद का किसने देखा है.''

उन्होंने कहा,'' इस बार का इंडियन आइडल मुझसे मिलने आया था. जींस, कॉलर ऊपर करके, हाथ में चेन पहने था और छोटी सी टाढ़ी थी. उससे मैंने एक ही बात पूछी कि आप अपने आपको 'इंडियन आइडल' नाम देते हैं. लेकिन ये तो 'इंडियन' नहीं हैं और अगर ये लोग 'इंडियन आइडल' हैं तो लताजी और बाकी क्लासिकल गायक क्या हैं. ये लोग अगर थोड़ा गंभीर हो जाए तो अच्छा कार्यक्रम बन सकता है.''

नए संगीतकार

हर किसी को कहीं न कहीं से प्रेरणा मिलती है फिर चाहे वह कविता हो या फिर संगीत.

प्यारेलाल कहते हैं,''इंसान का दिमाग 24 घंटे चलता रहता है और नई चीज़ें आती रहती हैं. मेरा दिमाग बाथरूम में नहाते समय या फिर स्टूडियो जाते समय बहुत चलता है और नई धुनें वहीं से बनती हैं. लक्ष्मीजी अपने पास एक रिकॉर्डर रखा करते थे लेकिन मैं पेपर पैड और कलम साथ रखता हूँ.''

आजकल के संगीतकारों के बारे में प्यारेलाल कहते हैं,''वे बहुत अच्छे हैं और काम भी अच्छा कर रहें हैं. अभी इनको काम करते करते भी बहुत समय नहीं हुआ है इसलिए धीरे-धीरे ये लोग सीख जाएंगे. सबसे अच्छी बात मुझे इन लोगों के अंदर जो लगती है वो ये कि ये सब लोग अपने बड़ों की इज्जत करते हैं और उन्हें बड़े ही अदब से पेश आते हैं.''

हालांकि संगीतकारों की नई पीढ़ी से प्यारेलाल को थोड़ी शिकायत भी है. वे कहते हैं, ''कुछ कंपोजर्स को अभी और सीखना चाहिए, उन्हें अपने बड़े बुज़ुर्गों के बारे में पता होना चाहिए. इन्हें आमिर खां साहब और ग़ुलाम अली साहब के बारे में कम और माइकल जैकसन के बारे में ज़्यादा पता होता हैं. इसके अलावा वेस्टर्न संगीत का ज़्यादा ज्ञान है और हमारी अपनी संगीत का ज्ञान कम होता है.''

लक्ष्मीकांत के बाद

प्यारेलाल कहते हैं, ''हम दोनों ने पहले से यही तय किया था कि कुछ भी होता है जिंदगी में तो हम ग़म नहीं करेंगे. आज भी जब मैं काम करने बैठता हूँ तो अपने-बगल में आज भी लक्ष्मीजी को पाता हूँ.''

वे कहते हैं, '' इसके बावजूद मेरे घर में न ही लक्ष्मीजी का एक भी फोटो है और न ही मेरे पिताजी का, मैं बीती हुई बातों पर यकीन नहीं रखता हूँ. मैं उनकी दिल से बहुत इज़्जत करता हूँ और करता रहूँगा. उन्होंने कभी मुझे किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया.''

सालों से संगीतकार जोड़ियों की परंपरा पर प्यारेलाल कहते हैं,'' जोड़ी बनाना कोई ज़रूरी नहीं है, अच्छा काम ज़्यादा ज़रूरी है. जैसे एक बार किसी कंपोजर ने कहा था कि आज तो दो हैं कल तीन हो जाएंगे. मैंने उनसे यही कहा था कि जो भी संगीतकार अकेले संगीत देता है उसके साथ भी कई सहायक होते हैं.''

रीमिक्स गानों पर प्यारेलाल कहते हैं इसमें कोई ग़लत बात नहीं है लेकिन कई बार इसका वीडियो इतना भद्दा होता है कि देखते नहीं बनता. इस पर रोक लगनी चाहिए.

वे कहते हैं,''उन गानों की हमें रॉयाल्टी तो मिलती है लेकिन ये ही काफ़ी नहीं हैं. मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन यह ज़रूर कहूँगा कि कुछ लड़कियों ने इंडस्ट्री का नाम ख़राब कर दिया है. मैं इसके बारे में बात न ही करूँ तो अच्छा है.''

 
 
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