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शनिवार, 28 अगस्त, 2004 को 19:33 GMT तक के समाचार
 
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शाहरुख़ और आमिर मेरे गुरू हैं: रानी
 

 
 
रानी मुखर्जी
रानी मानती हैं कि उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान बन गई है
'खंडाला गर्ल' रानी मुखर्जी एक कार्यक्रम के सिलसिले में लंदन आईं और ये जानकर हम भी पहुँच गए उनसे मिलने अपने कुछ सवालों के साथ, जिनके जवाब उन्होंने तबियत ठीक नहीं होने के बावजूद उसी परिचित हँसमुख अंदाज़ में दिए. प्रस्तुत हैं ये सवाल-जवाब आपके लिए-

'राजा की आएगी बारात' से लेकर 'हम तुम' तक के फ़िल्मी जीवन में आपको कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?

अभी तो मेरी जो अगली फ़िल्म 'ब्लैक' आ रही है उसमें मेरी भूमिका काफ़ी चुनौती भरी है. मैं उसमें एक गूँगी-अंधी लड़की की भूमिका निभा रही हूँ और ऐसी भूमिका मैंने पहले की नहीं है.

'राजा की आएगी बारात' से लेकर अब तक मैंने काफ़ी भूमिकाएँ की हैं और उनका आनंद भी उठाया है. सब रोल तो मेरे लिए चुनौती भरे नहीं थे मगर हाँ कुछ ज़रूर थे. वैसे कुल मिलाकर मेरे लिए अभी तक का समय अच्छा रहा है.

फ़िल्म इंडस्ट्री में और बाहर प्रशंसकों में आपकी छवि एक हँसमुख और दोस्ताना स्वभाव वाले कलाकार की है. इसके पीछे क्या राज़ है?

ये तो शायद मेरा स्वभाव ही है कि जब मैं किसी से मिलती हूँ तो हँसकर प्यार से मिलती हूँ. इससे लोग समझते हैं कि मेरा स्वभाव काफ़ी दोस्ताना है. इसके अलावा मीडिया ने भी मेरी ये छवि लोगों के सामने पेश की है. मेरे चेहरे पर हमेशा ही हँसी रहती है जिससे लोग समझते हैं कि मुझसे आसानी से घुलामिला जा सकता है.

आपकी आवाज़ की जब बात होती है तो कुछ लोग इसे आपकी कमज़ोरी भी ठहराते हैं और कुछ लोग इसके आपकी पहचान भी बताते हैं. आप ख़ुद क्या सोचती हैं इस बारे में?

मैं तो यही कहूँगी कि मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है. मैं ही नहीं हर व्यक्ति की पहचान आवाज़ से होती है. मेरे लिए मेरी आवाज़ काफ़ी भाग्यशाली रही है. पहली फ़िल्म में मेरी आवाज़ थी फिर ग़ुलाम में मेरी आवाज़ डब की गई. मगर जब मैंने ग़ुलाम देखी तो लगा कि ये मेरा शत-प्रतिशत नहीं है क्योंकि व्यक्तित्व में आवाज़ एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है.

शाहरुख़ ख़ान
रानी मानती हैं कि शाहरुख़ ख़ान ने उनको अभिनय के क्षेत्र में काफ़ी मदद की है

कई जगह जब मैं जाती हूँ तो लोग भले ही एक बार में मुझे न देख पाएँ मगर यदि वो मेरी आवाज़ सुन लेते हैं तो मुड़कर आते हैं और कहते हैं कि आपको आपकी आवाज़ से पहचान लिया है. मेरी आवाज़ मेरी एक संपत्ति की तरह है. पहले मेरी आवाज़ की आलोचना भी हुई मगर लोगों को कुछ न कुछ तो आलोचना के लिए कहना ही होता है तो जब कुछ नहीं मिला तो आवाज़ की ही आलोचना शुरू हो गई.

आपको नहीं लगता कि पहली फ़िल्म से लेकर अब तक आपको बतौर स्थापित कलाकार मान्यता मिलने में काफ़ी समय लगा?

नहीं ऐसा नहीं है क्योंकि मेरी पहली फ़िल्म भले ही न चल पाई हो मगर उससे मुझे इंडस्ट्री में पहचान मिली और मुझे 'ग़ुलाम' के साथ ही 'कुछ कुछ होता है' जैसी फ़िल्मों के ऑफ़र मिले. कहते हैं कि एक कलाकार को आगे बढ़ने के लिए किसी एक फ़िल्म की ज़रूरत होती है तो 'ग़ुलाम' मेरे लिए मेरी ऐसी फ़िल्म बनी.

पहले की फ़िल्मों में महिलाओं को काफ़ी प्रभावी भूमिका मिलती थी और उन पर केंद्रित फ़िल्में भी बनती थीं मगर अब ऐसा नहीं होता. क्या इसमें कलाकार ही ख़ुद को मज़बूती से पेश नहीं कर पा रही हैं या फिर निर्माता-निर्देशकों की ओर से प्रस्ताव ही नहीं आ रहे?

ऐसी बात नहीं है, हाल ही में कई फ़िल्मों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रही है. मैंने चलते-चलते, साथिया या हम तुम में जो भूमिका की है वो काफ़ी प्रभावी थी. निश्चित रूप से इंडस्ट्री पुरुष प्रधान है मगर कहानियाँ महिला प्रधान भी होती हैं. फिर वो चाहे यश चोपड़ा की फ़िल्म हो, संजय लीला भंसाली की फ़िल्म हो या करण जौहर की.

'हे राम' और 'साथिया' जैसी भूमिकाएँ आपको अपनी बाक़ी भूमिकाओं से कैसे अलग लगीं और किनसे ज़्यादा संतुष्टि मिली?

रानी मुखर्जी
रानी की भारत से बाहर सबसे पसंदीदा जगह लंदन है

कमल हासन और मणिरत्नम दोनों ही भारत के जाने-माने निर्देशक हैं. मैं भाग्यशाली हूँ कि उन्होंने मुझे अपनी फ़िल्मों में काम करने के लायक़ समझा और माना कि मैं वो किरदार निभा पाउँगी. 'हे राम' मेरी पहली पीरियड फ़िल्म थी और वो एक अलग ही अनुभव था. कमल जी जब ख़ुद निर्देशन कर रहे होते हैं तो चूँकि वो एक कलाकार भी हैं तो ख़ुद हर चीज़ को करके दिखाते हैं जिससे काफ़ी आसानी हो जाती है.

मणि सर के निर्देशन का तरीक़ा भी काफ़ी अच्छा है क्योंकि वह हर कलाकार से कहते हैं कि आपने अब तक के अपने फ़िल्मी जीवन में जो कुछ भी किया है वो तो ठीक है मगर अब कुछ नया करके दिखाओ. दोनों के ही साथ काम करके मुझे बहुत अच्छा लगा.

कोई ऐसी भूमिका है जो अब आप करना चाहती हों?

यूँ तो मैं अभी बहुत सी फ़िल्में कर रही हूँ और अभी बहुत सी फ़िल्में आएँगी. मगर मैं जो भूमिकाएँ कर रही हूँ उनसे मैं काफ़ी ख़ुश हूँ. 'ब्लैक' में जहाँ मैं एक गूँगी-बहरी लड़की की भूमिका कर रही हूँ वहीं यश जी की फ़िल्म में मैं एक वकील की भूमिका कर रही हूँ. इसके अलावा 'राइज़िंग' में मेरी भूमिका अलग ही तरह की है.

इतने निर्देशकों में से यदि आपको किसी एक ऐसे निर्देशक का नाम लेने को कहा जाए जिनके साथ काम करना आपको सबसे ज़्यादा पसंद है तो आप किसका नाम लेना पसंद करेंगी?

मैंने जिनके साथ भी काम किया है सब अच्छे हैं मेरे दोस्त हैं और मैं इनमें से किसी एक का नाम नहीं ले सकती. सबसे मैंने बहुत कुछ सीखा है, मैं सबकी आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे सहन किया और अपनी अच्छी फ़िल्मों में काम करने का मौक़ा दिया.

क्या आपकी यही राय होगी अपने साथी कलाकारों के बारे में भी?

आमिर ख़ान
शाहरुख़ के अलावा रानी आमिर को भी गुरू की तरह मानती हैं

पुरुष कलाकारों की अगर बात करें तो शाहरुख़ ख़ान और आमिर ख़ान हमेशा से ही मेरे पसंदीदा कलाकार रहे हैं. मैं जिस समय इंडस्ट्री में आई उस समय वे स्टार थे. उनके साथ मैंने अपनी पहली फ़िल्में कीं और उन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया, बहुत कुछ सिखाया. मैं उन्हें ही एक तरह से अपना गुरू भी मानती हूँ.

उनके साथ काम करके लगा कि जीवन में स्टार होना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि ज़रूरी है एक अच्छा इन्सान होना, कड़ी मेहनत करने वाला और ध्यान से काम करने वाला होना. आप एक फ़िल्म करें, या फिर 50-100 फ़िल्में करें. ज़रूरी ये है कि आप सभी में उसी लगन के साथ काम करें. मैं जब भी कोई भूमिका करती हूँ तो ये सोचकर कि इसके बारे में शाहरुख़ या आमिर क्या सोचते हैं.

काजोल से आपकी तुलना होती है तो कैसा लगता है?

अच्छा लगता है, वह भी हमारे ही परिवार की है और जब हम एक ही फ़ील्ड में हैं तो तुलना तो होगी ही. मगर मेरे ख़्याल से ये ग़लत है क्योंकि वो मुझसे काफ़ी सीनियर है.

कहा जाता है कि आपको कैमरे के सामने कैसे पेश किया जाए इसे लेकर आपकी काफ़ी चिंताएँ रहती हैं?

हम हमेशा पर्दे पर आते हैं तो ये बहुत ही ज़रूरी है कि हम बेहतर तरीक़े से आएँ क्योंकि वही हमारा काम है. जितना समय हम कैमरे के सामने बिताते हैं वही फ़िल्म के रूप में हमारे सामने आता है तो ज़रूरी है कि हर कलाकार जब भी पर्दे के सामने आए तो लोगों को उससे शिकायत न हो.

भारत से बाहर आपको कौन सी जगह पसंद है?

भारत से बाहर मुझे लंदन पसंद है और मुझे ये जगह मुंबई के ही एक वृहद् हिस्से की तरह लगती है. मुझे ये इसलिए भी पसंद है क्योंकि यहाँ भारतीय खाना मिल जाता है और यहाँ भारतीय चेहरे भी दिखते हैं.

शादी के बारे में आपने अभी कुछ सोचा है?

जब भी कोई कलाकार अच्छा काम करने लगता है तो उसकी शादी की चर्चा होने लगती है. मुझे अभी बहुत काम करना है और बहुत सी फ़िल्में करनी हैं. फिर जब शादी होगी तो आप सब लोगों को पता चल ही जाएगा.

 
 
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