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मुंबई फ़िल्मोद्योग में पाकिस्तानी सीज़न | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इस बार की मुंबइया गर्मी और बरसात पाकिस्तानी टीवी और फ़िल्मी हस्तियों को खूब रास आ रही है. कराची और लाहौर से आए ये पाकिस्तानी कलाकार पूरे जून सपनों के शहर में जमे रहे. उनका यहाँ खूब स्वागत भी हुआ. साथ में पार्टियाँ हुई, खूब वादे भी हुए और काम भी. हर ख़ुश चेहरा बातचीत में यहाँ-वहाँ वाजपेयी साहब और जनरल मुशर्रफ़ का ज़िक्र ज़रूर करता रहा. 'माहौल बदला है' जैसे जुमले भी खूब तैरते रहे. हर बातचीत में दोनों मुल्कों के फ़िल्म और टीवी उद्योग के बीच हाथ मिलाने की जल्दी दिखती रही. पाकिस्तान के फ़िल्म जगत की सबसे अहम शख्सियत में गिने जाने वाले अभिनेता, निर्माता-निर्देशक जावेद शेख़ ने इसकी वजह भी गिनाई और कहा, "अब तक ये गर्मी तो थी लेकिन ऐसी नहीं थी." उनका दावा है कि अगले छह महीनों के अंदर पाकिस्तान का बाज़ार भारतीय फ़िल्मों के लिए खुल जाएगा. तैयारियाँ जावेद शेख़ की मानी जाए तो पाकिस्तान की सरकार ख़ास फ़िल्मी लोगों से लगातार बातचीत कर रही है. भारतीय फ़िल्मों पर पाकिस्तान में लगी पाबंदी हटाने के लिए एक विधेयक भी तैयार है. ये विधेयक जल्द ही एसेंबली में रखा जाने वाला है. इसलिए जावेद भी अपनी फ़िल्म का पूरा संगीत भारत में भारतीय कलाकारों के साथ ही तैयार कर रहे हैं. माहौल बदला है और इसका असर भी पड़ रहा है. जावेद शेख़ ने इसका तर्क भी दिया, "मैंने अपनी पिछली फ़िल्म में भारतीय गायकों और संगीतकारों से काम लिया था." "सबको मालूम था कि ये आवाज़ें किसकी हैं लेकिन मैं इन भारतीय फ़नकारों का नाम अपनी फ़िल्म के टाइटिल में नहीं दे सका. लेकिन इस बार मुझे ऐसा कुछ करने की ज़रूरत नहीं." "मैं डंके की चोट पर अब बता सकूँगा कि इस फ़िल्म में भारतीय कलाकार कितने हैं और कौन-कौन हैं." जावेद ख़ुद तो भारतीय फ़िल्मों में काम कर ही रहे हैं, आगे ख़ुद भारतीय कलाकारों के साथ फ़िल्म बनाने की योजना भी बना रहे हैं. बैठक और योजनाएँ वैसे हिंदी फ़िल्मों की जानी-मानी हस्ती महेश भट्ट पहले ही पाकिस्तानी साथियों के साथ, और हो सका तो ख़ुद ही पाकिस्तान जाकर फ़िल्म बनाने का ऐलान कर चुके हैं. अब कई और छोटे-बड़े निर्माता भी तेज़ी से ऐसी योजनाएँ तैयार करने में जुटे हैं.
फ़िल्में ही नहीं, टेलीविज़न जगत में भी इन बदलते रिश्तों या हाल में बने रिश्तों का फ़ायदा उठाने की भरपूर कोशिश ख़ूब दिख रही है. पाकिस्तान की नामी टीवी शख़्सियत हुमायूँ सईद ने भारतीय सितारों को साथ लेकर एक बड़ा सीरियल बनाने का ऐलान कर दिया. पाकिस्तान की टेलीविज़न मार्केंटिंग का एक बड़ा नाम अब्दुल्ला कादवानी भी यहाँ के टीवी चैनलों के साथ पाकिस्तान में वितरण के लिए समझौते करते दिखे तो पाकिस्तान के सबसे बड़े निजी टेलीविज़न चैनल जीओ टीवी के मालिक मीर शकील उर रहमान भी भारतीय निर्माताओं से 'कुछ बेहतरीन' बनवाने के लिए काफ़ी उत्साहित दिखे. पाकिस्तान से आए मेहमान जितने उत्साहित थे, उनके भारतीय मेज़बान उससे कतई कम नहीं थे. चाहे बैठक हों, चाहे पार्टियाँ, फ़िल्म ही नहीं, टीवी और मीडिया जगत की लगभग सभी हस्तियाँ कहीं-न-कहीं शामिल ज़रूर रहीं. बाज़ार पर नज़र असल में मिलजुल कर रहने का जज़्बा इन सबमें जितना अहम है, उससे कहीं ज़्यादा अहम तेज़ी से फ़ैलता फ़िल्म और टेलीविज़न का बाज़ार है. भारतीय फ़िल्में पाकिस्तान में काफ़ी लोकप्रिय हैं और लोग वहाँ इन्हें देखते भी हैं. भले ही चोरी से. यानी अभी पाकिस्तान की माँग ग़ैर क़ानूनी ज़रिए से पूरी होती है जिससे भारतीय फ़िल्मोद्योग को तो नुक़सान होता ही है, पाकिस्तान के हाथ से भी बड़ी कमाई बाहर जा रही है. जावेद शेख़ बताते हैं कि उम्मीद और खुशी मेहमानों और मेज़बानों के बीच जिस हवा में तैर रही थी उसी हवा में एक आशंका भी थी. वो ये कि माहौल बदलने के बाद सरकार भी बदल गई, कहीं ये नया दौर ख़त्म तो नहीं हो जाएगा. इसलिए हर कोई अभी जल्दी में है. हालाँकि सीधे-सीधे कहता कोई नहीं. |
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