बिहारी चार्ली चैपलिन राजन कुमार जो दुनिया भर में करते हैं कार्यक्रम

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- Author, मधु पाल
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए
बिहार के रहने वाले राजन कुमार ने शायद ही सोचा था कि हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन का उन पर इस कदर प्रभाव होगा कि उनकी ज़िंदगी बदल जाएगी.
राजन कुमार मुंगेर ज़िले के टेटियाबम्बर गांव के रहने वाले हैं और वो चार्ली चैपलिन की तरह अभिनय करते हैं. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है.
टूथब्रश जैसी मूंछों, बॉलर हैट, बांस की छड़ी और हंसा देने वाले चलने के अंदाज के साथ-साथ निर्देशन की दूरदर्शी सोच ने चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन को विश्व सिनेमा में चार्ली चैपलिन के रूप में अमर कर दिया.
बिना एक शब्द बोले दुनिया के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले चार्ली चैपलिन को अभिनेता राजन कुमार भगवान का दर्जा देते हैं.
वो कहते हैं कि उन्होंने 21 सालों से चार्ली चैपलिन के किरदार को इतनी बार जिया है जिसके चलते उनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है.
राजन कुमार को आज सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चार्ली चैपलिन 2 के नाम से जाना जाता है.
अपनी इस पहचान के बारे में बात करते हुए राजन कहते हैं, ''आज मैं जो कुछ भी हूं वो चार्ली चैपलिन 2 नाम की वजह से हूं. अलग-अलग जगहों पर मेरे फैन्स ने मुझे बुलाना शुरू किया और पिछले 21 साल से मैं इस किरदार को जी हूं. 5000 से ज़्यादा शो करने के बाद भी इस किरदार को करते हुए मुझमें एनर्जी आ जाती है.''

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बंदरों से सीखा अभिनय
किसान परिवार से आने वाले राजन का बचपन से ही अभिनय की तरफ़ रुझान था. वो कहते हैं, ''मैं आज जो कुछ भी हूं उसमें मेरे गांव के लोगों का बहुत सहयोग रहा है. वो लोग मेरा हौसला बढ़ाते रहे हैं. बचपन से ही मुझे बंदरों के हाव भाव की नकल करना पसंद था. बंदर की एक्टिंग से मुझे काफी प्रेरणा मिली थी. मैंने तय कर लिया था कि एक्टिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना है.''
राजन कुमार ने पद्म विभूषण सत्यदेव गुरु से अभिनय की शिक्षा ली है. इसके बाद थिएटर, टेलीविजन और फ़िल्मों में काम किया है.

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जब पहली बार बने चार्ली चैपलिन
चार्ली चैपलिन के अभिनय की शुरुआत को लेकर राजन कुमार बताते हैं, ''बिहार से जब में पहली बार काम की तलाश और अभिनय सीखने के लिए दिल्ली आया तो मेरे पास कुछ भी नहीं था. तब मेरे एक मित्र ने काम बताया. जहां मुझे रेस्टोरेंट के प्रचार के लिए पम्पलेट को अलग तरीके से बांटना था. तब मैंने सोचा कि क्यों ना चार्ली चैपलिन बनकर पम्पलेट बांटा जाए.''
''मैं चार्ली चैपलिन के गेटअप में सड़क पर खड़ा हो गया और पम्पलेट बांटना शुरू कर दिया. सड़क से गुजर रहे लोग इस भेष को देखकर आकर्षित हुए. उस दिन पैसे तो नहीं मिले लेकिन भर पेट खाना ज़रूर मिला.''
वहीं से राजन कुमार के चार्ली चैपलिन बनने की शुरुआत हुई. उन्होंने रेस्टोरेंट वालों से वो ड्रेस मांग ली और फिर चार्ली चैपिलन की तरह अभिनय करना शुरू कर दिया. लोगों ने प्रोग्राम के लिए भी बुलाने लगे.
इसके बाद राजन कुमार को एक होटल में चार्ली चैपलिन बनकर लोगों का मनोरंजन करने की नौकरी मिल गई है. कुछ साल होटल में काम करने के बाद वो मुंबई आ गए.

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डर से नहीं गए गांव
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए राजन कहते हैं कि मुंबई आया तो कुछ साल गांव में किसी से संपर्क नहीं किया क्योंकि वहां लोगों को लगता था कि इस तरह चार्ली चैपलिन बनकर क्या कर पाएगा. लेकिन, बाद में 2005 में वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ और लगातार परफॉर्मेंस के रिकॉर्ड बनते गए और मेरा हौसला बढ़ता गया.
राजन से चार्ली बनने में उन्हें करीब तीन घंटे का समय लगता है. लेकिन, मेकअप के अलावा खुद में आए सुधार के बारे में भी राजन बताते हैं.
वह कहते हैं, ''नई-नई चीजें खुद-ब-खुद आती गईं. पहले आंखें इस तरह से घूमती नहीं थीं लेकिन फिर अभ्यास करते-करते आ गया, छड़ी के साथ भी कलाबाज़ी करना सिख गया. कई विदेशी दर्शक कहते थे कि चार्ली चैपलिन ने कभी लाइव शो नहीं किया. उनके जो भी प्रोग्राम थे वो रिकॉर्ड होते थे. वहीं, से मेरा नाम चार्ली चैपलिन 2 पड़ गया. लोग मुजे बिहारी चार्ली भी कहते हैं जो मुझे बहुत अच्छा लगता है.''

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राजन कहते हैं कि लाइव शो करना आसान नहीं है क्योंकि यहां हमें रिटेक करने का मौका नहीं मिलता. अगर आप अपने किरदार से थोड़ा भी बाहर निकले तो काम ख़राब हो जाता है. कई बार लोग परफॉर्मेंस के दौरान नोट के बंडल दिखाते हैं जिनसे मैं उनके पास आ जाऊं लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं. मैं अपने किरदार में ही रहा.
चार्ली चैपलिन के लाइव शोज करने के साथ-साथ राजन कुमार ने कई टीवी सीरियल सीआईडी, ये हवाएं, हीरो, लापतागंज और चिड़ियाघर और सीआईडी में काम किया है.
वो 'एजेंट विनोद' और 'बंटी बबली' जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं. उन्हें पद्मश्री नेपाल महतो के मार्गदर्शन में छऊ नृत्य के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला था.
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