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गुरुवार, 20 नवंबर, 2008 को 08:01 GMT तक के समाचार
 
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मंदी के डर से दुनिया के शेयर बाज़ार गिरे
 
टोक्यो शेयर बाज़ार
निर्यात की घटती माँग और अमरीका में आर्थिक मंदी के डर की ख़बरों के बाद निक्केई लुढ़का
वित्तीय संकट से विश्व में आर्थिक मंदी के डर से गुरुवार को दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में गिरावट आई है.

दिन के कारोबार में लंदन का फ़ुट्सी सूचकांक 1.7 प्रतिशत नीचे चल रहा था जबकि जर्मनी और फ़्रांस के बाज़ारों में भी ऐसा ही रुझान था.

एशिया के शेयर बाज़ारों में दिन भर भारी गिरावट दिखी और जापान और दक्षिण कोरिया के बाज़ार सात प्रतिशत गिर कर बंद हुए हैं.

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक भी दोपहर तक के कारोबार में लगभग 400 अंक गिरा था और फिर 323 अंक नीचे 8451 पर जाकर बंद हुआ. बीएसई कारोबार के लगातार सातवें दिन गिरा और गुरुवार को तीन साल के न्यूनतम स्तर पर था.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़टी भी 81 अंक गिर कर 2553 पर बंद हुआ.

डाओ से शुरुआत, एशिया पर असर

विश्व में लंबी चलने वाली आर्थिक मंदी के डर का साया बुधवार को ही शेयर बाज़ारों पर तब पड़ा जब अमरीका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व ने अमरीकी अर्थव्यवस्था के आगामी दिनों में बुरे दौर का आकलन किया.

इसका असर न्यूयॉर्क के डाओ जोंस सूचकांक पर बुधवार को साफ़ नज़र आया जब वह पाँच साल के न्यूनतम स्तर तक जा गिरा.

पर्यवेक्षकों के अनुसार इसी कारण गुरुवार को विश्व में अन्य शेयर बाज़ार गिरे हैं. जापान और दक्षिण कोरिया में सात प्रतिशत और हॉंगकॉंग में चार प्रतिशत की गिरावट आई है.

जापान से ख़बर आई कि जापानी निर्यात की माँग घटी है और दूसरी बार इस तिमाही में भी जापानी निर्यात घटा है. इसके बाद टोक्यो का निक्केई सूचकांक अचानक 4.7 प्रतिशत गिरा और फिर ये गिरावट सात प्रतिशत तक पहुँच गई.

बीबीसी संवाददाता डंकन बार्टलेट का कहना है कि जापान, सिंगापुर और हॉंगकॉंग समेत पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था पहले ही आर्थिक मंदी के दौर में पहुँच चुकी है.

उनका कहना है कि ऐसे समय अमरीकी अर्थव्यवस्था के बारे में नकारात्मक ख़बरें वहाँ शेयर बाज़ार में खलबली पैदा करने के लिए पर्याप्त हैं.

टोयोटा और निन्तेंदो जैसी जापानी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े के लिए अमरीकी बाज़ार पर निर्भर हैं.

 
 
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