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गुरुवार, 16 अक्तूबर, 2008 को 06:04 GMT तक के समाचार
 
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सुधरने के बाद लुढ़का बीएसई सूचकांक
 
निवेशक
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज़ में पिछले दिनों बनी तेज़ी बुधवार और गुरुवार को मंदी में बदल गई
न्यूयॉर्क के डाओ जोन्स और टोक्यो के निक्केई में भारी गिरावट के बाद गुरुवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज़ (बीएसई) के संवेदी सूचकांक में 277.63 अंक यानी 2.11 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

महँगाई के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद दोपहर में बीएसई में कुछ सुधार आया था. यह बहुत देर तक स्थायी न रहा सका. कारोबार बंद होते समय बीएसई का सूचकांक 10581.49 अंक पर था.

बीएसई के संवेदी सूचकांक में जहाँ बुधवार को 674.28 अंक यानी 5.87 फ़ीसदी की गिरावट आई थी. गुरुवार को कारोबार की शुरुआत के पहले घंटे में ही सूचकांक 600 से ज़्यादा अंक लुढ़क गया था.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी गुरुवार को 2.49 फ़ीसदी गिरकर 3255.30 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान निफ़्टी का सूचकांक 3338.85 के उच्च स्तर तक पहँचा था.

बुधवार को बीएसई में कारोबार होने के समय सूचकांक 10809.12 पर था. गुरुवार सुबह एक समय बीएसई सूचकांक 10017 अंक तक लुढ़क गया लेकिन फिर कुछ संभला और भारतीय समयानुसार दोपहर एक बजे तक वह 10263 पर जा पहुँचा था.

माना जा रहा है कि बाज़ार के कुछ हद तक संभलने का कारण महँगाई की दर के आंकड़े सार्वजनिक होना है. चार अक्तूबर को ख़त्म हुए हफ़्ते के बाद महँगाई 11.80 से घट कर 11.44 प्रतिशत हुई है.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ़्टी भी गुरुवार सुबह लुढ़का और शुरुआती कारोबार में ही लगभग 200 अंकों की गिरावट दर्ज हुई है.

प्रयासों का असर नहीं

ग़ौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के हाल के उठाए कदमों और वित्तीय बाज़ार में लगभग 65 हज़ार करोड़ रुपए डालने की घोषणा के बावजूद बीएसई में गिरावट देखने को मिली है.

रिज़र्व बैंक ने जहाँ 40 हज़ार करोड़ बैंकिग व्यवस्था में सीआरआर यानी कैश-रिज़र्व-रेशो घटाने के रूप में डाला है, वहीं बैंकों के कृषि संबंधी कर्ज़ माफ़ करने के लिए भी 25 हज़ार करोड़ रिज़र्व बैंक उपलब्ध करा रहा है.

महत्वपूर्ण है कि अमरीकी, यूरोपीय और जापानी अर्थव्यवस्थाओं में भी वहाँ की सरकारों ने ख़ासा पैसा लगाने की घोषणाएँ की थीं लेकिन इनका असर केवल मंगलवार को ही दिखाई दिया.

पर्यवेक्षकों का मानना है कि निवेशकों को ये विश्वास नहीं हो रहा है कि सरकारों की घोषणाओं के बावजूद दुनिया अमरीकी वित्तीय संकट के असर से जल्द बाहर आ सकती है.

उनका कहना है कि विदेशी निवेशक बैंकिग क्षेत्र, कैपिटल गुड्स, तेल, गैस, ऊर्जा क्षेत्र के शेयर धड़ाधड़ बेच रहे हैं और इसीलिए बीएसई को ये गिरावट देखनी पड़ रही है.

 
 
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