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डाओ, निक्केई के बाद यूरोपीय बाज़ार लुढ़के
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अमरीका में न्यूयॉर्क शेयर बाज़ार के डाओ जोन्स में लगातार सातवें दिन गिरावट के बाद, एशियाई शेयर बाज़ारों में अफ़रा-तफ़री मची
है और शुक्रवार को यूरोप के बाज़ारों के खुलते ही वहाँ भी शेयरों की क़ीमतों में भारी गिरावट आई है.
जहाँ टोक्यो का निकेई सूचकांक 9.6 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ. वहीं शुरुआती कारोबार में लंदन, पेरिस, फ़्रैंकफ़र्ट में शेयरों की क़ीमतें दस प्रतिशत गिरी हैं. लंदन में फ़ुटसी-100 सूचकांक 9.8 प्रतिशत गिरकर 3887 अंक तक पहुँच गया. पिछले पाँच साल में पहली बार ऐसा हुआ कि ये सूचकांक 4000 के नीचे गिरा हो. पेरिस के शेयर बाज़ार में नौ प्रतिशत और जर्मनी के बाज़ार में 9.6 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई. उधर रूस में मॉस्कों स्टॉक एक्सचेंज को शुक्रवार को बंद रखने का फ़ैसला किया गया. इससे पहले न्यूयॉर्क में वॉल स्ट्रीट पर कारोबार के आख़िरी घंटे में डाओ जोन्स सूचकांक पाँच साल में पहली बार 9000 से नीचे गिर गया था. पिछले साल की ऊँचाई पर पहुँचने के बाद, डाओं जोन्स पर शेयरों की कीमत अब उस समय के मुकाबले में एक तिहाई रह गई है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि न्यूयॉर्क से शुरु हुआ घटनाक्रम पूरी दुनिया में दोहराया जा रहा है.
एशिया में मंदे हाल एशियाई बाज़ारों में टोक्यो का निक्केई-225 सूचकांक शुक्रवार को एक समय 10.8 प्रतिशत गिरा और बाद में 9.6 प्रतिशत के घाटे से बंद हुआ. निक्केई पर इस हफ़्ते दूसरी बार ऐसा हुआ है.
भारतीय शेयर बाज़ार में मंदी का हाल रहा और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर बीएससी सूचकांक शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में ही लगभग एक हज़ार अंक गिर गया. हालाँकि बाज़ार बाद में कुछ संभला लेकिन गिरावट बरक़रार रही. दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया में शुरुआती कारोबार में सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी. हॉंगकॉंग और सिंगापुर के बाज़ारों में भी मंदी का महौल रहा. सरकारों की कोशिशें नाकाम हाल में दुनिया के सात केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें घटाई थीं ताकि वित्तीय बाज़ारों में कुछ स्थिरता आए.
महत्वपूर्ण है कि अनेक देशों की सरकारों की कोशिशों के बावजूद, निवेशकों को ये विश्वास नहीं हो पा रहा है कि अर्थव्यवस्थाएँ अमरीका में वित्तीय बाज़ार के संकट के असर से जल्द बाहर निकल पाएँगी.
निवेशकों को डर है कि इस वित्तीय संकट के कारण दुनिया भर में शुरु हुआ आर्थिक मंदी का दौर थम नहीं पाएगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने संकट का सामना करने के लिए आपात वित्तीय कदम उठाने के प्रयास शुरु किए हैं. आईएमएफ़ के अध्यक्ष डोमिनिक़-स्ट्रॉस कान ने गुरुवार को कहा था, "कर्ज़ देने की प्रक्रिया के कारण आईएमएफ़ उन देशों की जल्द ही मदद कर पाएगा जो वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. दुनिया मंदी के कगार पर है लेकिन अब भी उससे बाहर आ सकती है." ग़ौरतलब है कि आईएमएफ़ की स्कीम का 1997 के एशियाई वित्तीय संकट के दौरान इस्तेमाल किया गया था. इसी हफ़्ते वॉशिंगटन में दुनिया के सात अमीर देशों जी-7 के वित्त मंत्रियों की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ बैठक होनी है. |
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