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मंगलवार, 02 जनवरी, 2007 को 05:21 GMT तक के समाचार
 
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एसईज़ेड के ढाई सौ प्रस्ताव अधर में
 
चेन्नई एसईजेड
एसईज़ेड की राह में सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण का है
वाणिज्य और उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि मुआवजे से संबंधित विवादों और अन्य कारणों से विशेष आर्थिक ज़ोन (एसईज़ेड) के 250 प्रस्ताव अधर में लटके हुए हैं.

एसोचैम के सर्वेक्षण के मुताबिक अभी भारत के 21 राज्यों में एसईज़ेड के लगभग 250 से अधिक प्रस्ताव हैं जिनको मंजूरी नहीं मिल पाई है.

उपजाऊ ज़मीन खरीदने पर विवाद और राहत और पुनर्वास पैकेज की गड़बड़ियों के चलते ऐसा हो रहा है.

रिपोर्ट कहती है कि इन सभी एसईज़ेड प्रस्तावों को वर्ष 2006 के अंत तक मंजूरी मिलनी थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

इन सभी 250 एसईज़ेड को बनाने के लिए लगभग 25 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन की ज़रूरत है और इन पर तीन हज़ार करोड़ रुपए का निवेश होगा.

एसोचैम के मुताबिक आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे विकास की राह पर अग्रसर राज्यों में भी एसईज़ेड प्रस्ताव विवादों के घेरे में आ गए हैं.

सिर्फ़ महाराष्ट्र में विशेष ज़ोन के 41 प्रस्ताव अलग-अलग कारणों से अधर में लटके हुए हैं. कर्नाटक में 36 और तमिलनाडु में 33 प्रस्तावों को मंजूरी नहीं मिली है.

एसोचैम के अध्यक्ष अनिल कुमार अग्रवाल का कहना है कि एसईज़ेड बनाने से सरकार को राजस्व के साथ-साथ बेरोज़गारी दूर करने में भी मदद मिलेगी.

उनका कहना है कि अगले पाँच वर्षों में एसईज़ेड में स्थापित होने वाली इकाइयों से लगभग 15 लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा.

 
 
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