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बड़ी कंपनियों की नज़र भारतीय भंडार पर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत में हाल ही में खोजे गए गैस के भंडार पर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की नज़रें टिकी हैं, उनमें इसका हिस्सेदार बनने की होड़ मच गई है. बीपी, शेवरॉन और एक्सॉनमोबिल इस सिलसिले में भारत की पेट्रोलियम क्षेत्र की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स से बातचीत कर रही हैं. कृष्णा-गोदावरी बेसिन में मिले इस गैस के भंडार की क़ीमत कम से कम चार अरब डॉलर आँकी गई है. बीपी के प्रमुख लॉर्ड ब्राउन ने कहा है कि उनकी कंपनी भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है, उन्होंने कृष्णा-गोदावरी गैस भंडार को एक बहुत अहम खोज बताया है. लॉर्ड ब्राउन ने फाइनेंशियल टाइम्स अख़बार से बातचीत में कहा है कि उनकी कंपनी भारत में तेल की खोज, उत्पादन और शोधन के क्षेत्र में अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है. कृष्णा गोदावरी गैस भंडार के बारे में उन्होंने कहा, "बहुत अच्छा होगा अगर बीपी को वहाँ प्रतिनिधित्व मिल जाए." अहम भंडार रिलायंस ने इस गैस भंडार की खोज तीन वर्ष पहले की थी और उसने इसका 10 प्रतिशत हिस्सा पहले ही कनाडा की कंपनी निको रिसोर्सेज़ को बेच दिया है. जानकारों का कहना है कि रिलायंस को गहरे पानी से तेल निकालने का बहुत कम अनुभव है इसलिए वह भी चाहती है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अनुभव का लाभ उठाया जाए. हालाँकि वर्ष 2008 से पहले गैस का निकालने का काम शुरू नहीं पाएगा लेकिन इसे बहुत ही आकर्षक परियोजना माना जा रहा है. वुड मैकेन्ज़ी वित्तीय संस्था में वरिष्ठ विश्लेषक प्रवीण मार्टिस कहते हैं, "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो यह बहुत बड़ी खोज नहीं है लेकिन यह 1970 के बाद से भारत में गैस की सबसे बड़ी खोज है." वे कहते हैं, "यह भारत के लिए बहुत अहम है क्योंकि भारत की ज़रूरतें बढ़ रही हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क़ीमतें भी ऊपर जा रही हैं." अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि अगर भारत को अपनी विकास की दर बनाए रखनी है तो उसे अपनी ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करने का इंतज़ाम करना होगा. एक्सॉनमोबिल ने भी कहा है कि वह भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है. |
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