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भारत को लीबिया में तेल का ठेका | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत की दो तेल कंपनियों को लीबिया में तेल की खोज का ठेका मिला है. सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और ऑयल इंडिया लिमिटिड को तेल से भरपूर सिरटे नदी की घाटी का 7,087 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में तेल की खोज का ठेका मिला है. भारतीय कंपनियों को उत्पादन का 18.4 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा और बाक़ी हिस्सा लीबिया की सरकारी तेल कंपनी को मिलेगा. लीबिया तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक का सदस्य है और पहली बार उसने किसी विदेशी कंपनी को तेल की खोज का ठेका दिया है. अगर इस इलाक़े में तेल का भंडार मिलता है तो लीबिया तेल के भंडार को ढूंढ़ने और उसके विकास के लिए जो ख़र्चा होगा उसके लिए आधा धन देगा. लीबिया के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंध अमरीका ने हाल ही में हटाए थे जिसके बाद लीबिया में विदेशी निवेश का रास्ता साफ़ हो गया था. लीबिया में तेल की खोज के ज़्यादातर ठेके अमरीकी कंपनियों के हाथ लगे हैं जिनमें से तीन कंपनियों ने 15 में से 11 ठेके हासिल किए हैं. दोनों भारतीय तेल कंपनियों ने हाल ही में अन्य देशों में तेल और प्राकृतिक गैस की खोज के ठेकों के लिए संयुक्त रूप से कोशिश करने का फ़ैसला किया था. भारत में सरकारी तेल कंपनियों ने मध्य-पूर्व, अफ़्रीक़ा और रूस में तेल और प्राकृतिक गैस की खोज के अधिकार हासिल किए हैं. लीबिया में सरकार ने लाइसेंस देने का जो नया कार्यक्रम शुरू किया है उसके तहत दुनिया भर की 120 से भी ज़्यादा तेल कंपनियां लीबिया की ओर आकर्षित हुई थीं. लीबिया में हर दिन क़रीब सोलह लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है और इस उत्पादन को इस दशक के अंत तक बढ़ाकर क़रीब 21 लाख बैरल करने की योजना है. |
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