दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसा: सड़कों पर उतरे छात्र पूछ रहे सवाल, मौतों का ज़िम्मेदार कौन? - ग्राउंड रिपोर्ट

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- Author, चंदन जजवाड़े
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव क़रीब डेढ़ साल पहले दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाक़े में रहने आई थीं.
श्रेया यहाँ एक निजी कोचिंग संस्थान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. उनके पिता किसान हैं, जो खेती-बाड़ी के अलावा पशुपालन का काम भी करते हैं. वहीं उनकी माँ गृहणी हैं.
दिल्ली की सड़कों पर बारिश के बाद रुके पाने ने शनिवार की शाम ने उनके माता-पिता के सभी अरमानों को एक झटके में बहा दिया.
कोचिंग सेंटर की इमारत के बेसमेंट में पानी घुसने से श्रेया की मौत हो गई. इस हादसे में श्रेया के अलावा दो अन्य छात्रों की मौत हो गई.
हादसे में तान्या सोनी नाम की एक छात्रा और नेविन डेल्विन नाम के एक छात्र की भी मौत हुई है. तान्या का परिवार तेलंगाना में रहता है, जबकि नेविन केरल के एर्नाकुलम के रहने वाले हैं.

तान्या का परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला है. उनका पिता तेलंगाना में नौकरी करते हैं.
नेविन डेल्विन के पिता केरल के त्रिवेंद्रम में रहते हैं. वो रिटायर्ड एसीपी हैं, जबकि उनकी माँ कलाडी में प्रोफ़ेसर हैं.
श्रेया का शव घर ले जाने के लिए दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में श्रेया के चाचा धर्मेंद्र यादव ख़ुद मौजूद थे.
उन्होंने बताया, "माता पिता ने श्रेया को अपने सपने पूरे करने के लिए दिल्ली भेजा था. वो कैसे यहाँ आते? मैं आया हूं उसे ले जाने के लिए."
"श्रेया के पिता खेती करते हैं, कुछ जानवर भी रखे हैं. श्रेया ने कभी नहीं बताया कि उसे दिल्ली में कोई परेशानी हो रही है."

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कैसे गई छात्रों की जान

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शनिवार की शाम दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में मौजूद एक इमारत के बेसमेंट में मौजूद हॉल में कुछ छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे या टेस्ट दे रहे थे. ये इमारत सिविल सर्विसेस के लिए तैयारी कराने वाले एक निजी कोचिंग संस्थान की थी.
शाम को भारी बारिश की वजह से यहां की सड़कों पर जल भराव हो गया था. तभी अचानक यहाँ सड़कों पर मौजूद पानी तेज़ी से कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भरने लगा. कुछ ही देर में पूरे बेसमेंट में कई फ़ीट पानी जमा हो गया.
इस कारण कोचिंग सेंटर में मौजूद क़रीब 18 छात्र और वहाँ काम करने वाले कर्मचारी फंस गए. हादसे में तीन छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

इसी कोचिंग सेंटर से पढ़ाई करने वाले राजन नाम के एक छात्र ने बीबीसी को बताया कि बेसमेंट के हॉल में बच्चे टेस्ट देने के लिए आते हैं. वो कहते हैं कि छात्र यहां बैठकर पढ़ाई भी करते हैं.
उनके मुताबिक़, "पहले यहाँ सामान्य दरवाज़ा था, लेकिन कुछ दिन पहले ही उसको हटाकर यहां बायोमेट्रिक सिस्टम वाले दरवाज़े लगा दिए गए हैं. ऐसे लगता है कि पानी भर जाने से बायोमेट्रिक्स सिस्टम फ़ेल हो गया और लोग बाहर नहीं निकल पाए."
कोचिंग सेंटर के सामने मौजूद छात्रों और दुकानदारों का कहना है कि आम तौर पर इस इलाक़े में बारिश के साथ सड़कों पर तीन-चार फ़ुट तक पानी जमा हो जाता है. उनका कहना है कि शिकायत करने के बाद भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इसी कोचिंग सेंटर के ठीक सामने परांठे का ठेला लगाने वाली आशा देवी बताती हैं कि जो छात्र कोचिंग सेंटर में पढ़ने आते हैं उनमें से कई उनके ठेले पर खाने खाते हैं.
शनिवार को जब यह घटना हुई तो आशा देवी वहीं मौजूद थीं.
आशा के मुताबिक़, "यहाँ बहुत पानी जमा हो गया था. यहां से और कोई बड़ी गाड़ी गुज़री जिसके दबाव से पानी कोचिंग के बेसमेंट की तरफ जाने लगा."
वो कहती हैं, "बता रहे हैं कि कोई ड्रेनेज सिस्टम भी टूट गया जिससे अचानक बड़ी मात्रा में पानी बेसमेंट में घुस गया."

कोचिंग सेंटरों का केंद्र?
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाक़े में सकड़ के दोनों तरफ सिविल सर्विसेस की तैयारी कराने वाले दर्जनों कोचिंग संस्थानों की कतार नज़र आती है.
कोचिंग सेंट्रर्स के साथ ही यह इलाक़ा किताबों की दुकान, होटल और अन्य व्यवसाय का बड़ा केंद्र बन गया है.
इलाक़े में ख़भों से लेकर दीवारों तक आईएएस और आईपीएस की तैयारी से जुड़े कोचिंग संस्थानों के दावे और इश्तेहार नज़र आते हैं.
गलियों में खंभों से लटकते बिजली के तार और टूटी-फूटी सड़कों के बीच आँखों में सपने लेकर गुज़रते हज़ारों छात्र और छात्राएं यहां की सड़कों की पहचान बन गए हैं.
एक दिन भारत की सबसे बड़ी परीक्षा पासकर सरकारी अधिकारी की नौकरी के लिए चुना जाना इन छात्रों का सपना है.
लेकिन शनिवार की शाम तीन छात्रों के परिवारों का सपना हमेशा के लिए ख़त्म हो गया.

कोचिंग के लिए इलाक़े में रह रहे छात्र यहीं पर किराए पर रहना पसंद करते हैं. छात्रों का कहना है कि यहां के स्थानीय मकान मालिक किराये के तौर पर छोटे कमरे के लिए भी उनसे अच्छी क़ीमत वसूल करते हैं.
यहां गलियों में मौजूद गंदगी और जहां-तहां फेंके गए कूड़े के अलावा लटकते हुए बिजली के तार भी काफ़ी ख़तरनाक दिखाई देते हैं.
उत्तर प्रदेश के मेरठ से राजेंद्र नगर पहुंची एक छात्रा ने बताया कि इलाक़े की एक बड़ी समस्या है यहां रूम लेने के लिए प्रापर्टी एजेंट या ब्रोकर को कमीशन देना.
वो बताती हैं, "हमसे छोटे-छोटे कमरों में लगाए गए एक बेड के लिए 20 हज़ार रुपये तक वसूले जाते हैं, नहीं तो रहने को जगह नहीं मिलती. रिहाइशी जगहों का कमर्शियल इस्तेमाल होता है."
"हमसे कमर्शियल रेट में बिजली के बिल और पानी का चार्ज लिया जाता है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता."
ज़िम्मेदारी किसकी?
इस घटना के बाद इलाक़े में छात्रों में भारी आक्रोश है. उन्होंने इसके ख़िलाफ़ रविवार को दिनभर प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग है कि इसके लिए दोषी लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.
हमने यहां किसी छात्र से बात की, तो सुना की उनकी शिकायतों और आक्रोश में कई सवाल मौजूद थे.
यहां हर तरफ से कानों तक एक ही आवाज़ आ रही है कि इन मौतों का 'ज़िम्मेदार कौन है?'
विक्रम नाम के एक छात्र का कहना है, "हम कोचिंग संस्थानों को लाखों रुपये फ़ीस में देते हैं, उसके बाद हम रहने के लिए भी मोटा ख़र्च करते हैं, बदले में हमें क्या मिलता है. सिविल सर्विसेस के लिए चुना जाना बाद की बात है, लेकिन आप हमें क्या दे रहे हैं...मौत."
दिल्ली में कोचिंग कर रहे छात्रों के साथ हादसे का यह पहला मामला नहीं है. कुछ दिन पहले राजेंद्र नगर के पास ही मौजूद पटेल नगर में एक छात्र की मौत करंट लगने से हो गई थी.

पिछले साल मुखर्जी नगर भी ऐसी ही एक घटना का गवाह बना था. मुखर्जी नगर सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए दिल्ली में सबसे बड़ा केंद्र है.
पिछले साल जून के महीने में यहां एक कोचिंग संस्थान की इमारत में आग लग गई थी जिसके बाद कई छात्रों को बिजली के तार के सहारे नीचे उतरना पड़ा था. कुछ लोगों ने छत पर से कूदकर अपनी जान बचाई थी.
इस घटना की तस्वीरें उस वक्त सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई थीं.
राजेंद्र नगर की घटना के बाद पुलिस ने कोचिंग सेंटर और बिल्डिंग के मैनेजमेंट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है.
दिल्ली पुलिस के डीसीपी सेंट्रल एम हर्षवर्धन के मुताबिक़, "इस मामले में कोचिंग सेंटर के मालिक और इसके संयोजक को हिरासत में लिया गया है. जांच में जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे उ"के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाई की जाएगी."
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फ़िलहाल हादसे के बाद दिल्ली में सियासत भी जारी है. बीजेपी ने इस मामले में दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम पर काबिज़ आम आदमी पार्टी की सरकार को ज़िम्मेदार बताया है.
वहीं इलाक़े से आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक का कहना है कि इलाक़े में 15 साल से बीजेपी के विधायक थे, उन्होंने ड्रेनेज सिस्टम क्यों नहीं बनाया.
हालांकि इस मामले में स्थानीय छात्र दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को भी दोषी ठहरा रहे हैं.
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