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यूक्रेन में रूस का हमला अब किस प्लान के हिसाब से चल रहा है?
यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी इलाके़ में रूस के अचानक से किए गए हमले और जल्द ही अपने कुछ और इलाक़ों को खोने की संभावना जताने के हफ़्तों बाद भी यूक्रेन के लिए अग्रिम मोर्चे पर बमुश्किल ही बदलाव देखने को मिला है. लेकिन विशेषज्ञ इस सवाल का जवाब खोजने में लगे हैं कि इस हमले में असली फ़ायदा किसका हुआ है?
मई के बीच में रूस ने यूक्रेन के उत्तर-पूर्व से खार्किव इलाके़ पर एक चौंकाने वाला हमला किया था. इस हमले में रूस ने कुछ इलाक़ों पर क़ब्ज़ा कर लिया था. हालांकि बाद में रूस ने इन इलाक़ों को छोड़ दिया था.
विश्लेषकों ने इसे रूस का एक आक्रामक कदम बताया जिसने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया.
रूस और यूक्रेन सीमा से लगभग 5 कि.मी. दूर वोवचंस्क शहर के आसपास भीषण लड़ाई हुई. यूक्रेन के लिए आगे की स्थितियां काफ़ी भयावह होने वाली थीं.
रूस यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव की ओर बढ़ने और शायद उस पर कब्ज़ा करने की तैयारी कर रहा था. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले इस शहर की आबादी 14 लाख थी.
युद्ध के दौरान यूक्रेन गोला-बारूद की कमी से भी जूझ रहा था. इसकी वजह थी कि यूक्रेन ने रूसी हमले का जवाब देने का फ़ैसला करने में महीनों का वक़्त लगा दिया था और पश्चिमी देशों से भी सहायता मिलने में भी देरी हो रही थी.
लेकिन ऐसा भी लग रहा था जैसे रूस ने अपनी पिछली ग़लतियों से सबक़ लिया है जिससे गर्मियों में किए जाने वाले हमले के लिए मंच तैयार करने का मौक़ा मिला.
ब्रिटेन के रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज़ इंस्टीट्यूट के सैन्य विश्लेषक जैक वाटलिंग का कहना है, रूसी हमले का मक़सद केवल पूर्वोत्तर यूक्रेन ही नहीं था, बल्कि डोनबास में रूसी प्रभाव का विस्तार करना भी था.
डोनबास पूर्वी यूक्रेन का एक क्षेत्र है, जिसके कुछ हिस्से 2014 से रूसी सैन्य नियंत्रण में हैं.
क्या कामयाब रहा है हालिया रूसी अभियान
लगभग दो महीने बाद, रूसी सेना लड़ाई के अग्रिम मोर्चे के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ी है, लेकिन रूस वोवचेंस्क और चासिव यार के रणनीतिक शहरों पर पूरी तरह से क़ब्ज़ा करने में नाकाम रहा है.
पिछले छह हफ़्तों में दोनों ही जगहों पर भीषण लड़ाई हुई है. उन पर क़ब्ज़ा करने से रूस को यूक्रेन की सैन्य आपूर्ति लाइनों को काटने और बड़े इलाक़ों में आगे बढ़ने में बड़ा फ़ायदा मिलेगा.
रूस की इस धीमी प्रगति के पीछे की बड़ी वजह है कि उसे आक्रमण जारी रखने के लिए जल्द से जल्द ज़रूरी भंडार जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. इसके अलावा यूक्रेन को भी पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता मिल रही थी जिससे उसे अपना बचाव करने में मदद मिली.
यूक्रेन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ के रिसर्च फ़ैलो मायकोला बिलेस्कोव का कहना है, "अप्रैल में अमेरिकी कांग्रेस के यूक्रेन के लिए 61 बिलियन डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज को मंजू़री दिए जाने के तुरंत बाद रूस ने अपना आक्रमण शुरू कर दिया. अब रूस के लिए काफ़ी कम मौके़ बचे हैं. नए सहायता पैकेज ने रूस की ज़मीनी ताक़त को कम कर दिया है. यही वजह है कि भले ही अभी तक यूक्रेन पीछे हो लेकिन दोनों देशों के बीच शक्ति का अंतर कम हो गया है."
मई के अंत तक खार्किव इलाके़ में भी रूसी हमलों में गिरावट आने लगी. रूसी सैन्य ब्लॉगर अलेक्जेंडर कोट्स के मुताबिक़ यूक्रेन ने वोवचंस्क की रक्षा के लिए ज़रूरी सैन्य भंडारों को तैनात कर दिया है और संकेत दिया है कि जल्द ही बड़े पैमाने पर रूसी हमले की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.
वहीं रूस ने अपनी स्थिति को मज़बूत करने और संभावित जवाबी हमलों के लिए तैयार रहने की योजना बनाई है.
हालांकि यह नहीं समझा जाना चाहिए कि जब आक्रमण धीमा हो गया है और फिर से संगठित यूक्रेनी सेना अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम है तो रूस हार रहा है. इस युद्ध में दो ऐसे कारक हैं जो प्रभावी हैं.
पहला कारक: ग्लाइड बम
ग्लाइड बम इस लड़ाई में रूस के सबसे प्रभावी हथियारों में से एक रहा है. यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि हाल के हफ़्तों में रूसी विमानों ने रोज़ाना 100 ग्लाइड बम गिराए हैं.
ग्लाइड बम फ्री-फॉल बम हैं, जिनमें से कई सोवियत काल और यहां तक कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय के हैं. उन्हें विंगलेट्स और जीपीएस नेविगेशन के साथ आधुनिक बनाया गया है. इसके बाद इन बमों को लक्ष्य तक पहुंचाने में आसानी हो रही है. रूसी विमान रूसी हवाई क्षेत्र में उड़ते समय भी ग्लाइड बम गिराते रहते हैं.
आकार में छोटे और कम गर्मी निकालने वाले ग्लाइड बमों को एयर डिफ़ेंस सिस्टम के ज़रिए रोकना भी लगभग नामुमकिन है.
एयर डिफेंस सिस्टम से अकसर मिसाइलों और ड्रोन को रोका जा सकता है. यहां तक कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने एक अमेरिकी न्यूज़पेपर के सात अपने हालिया इंटरव्यू में इस मुद्दे को उजागर किया था.
विश्लेषक मायकोला बिलेस्कोव ने बताया कि यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से रूसी क्षेत्र में हमलों के लिए विदेशी उपकरणों का उपयोग करने के लिए अनुमति मांगी है. विशेष रूप से ग्लाइड बमों से पैदा ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए रूसी सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया जाएगा.
दूसरा कारक: रूस के ख़िलाफ़ हमले
यूक्रेन की अग्रिम मोर्चे पर नाक़ामी और उसके बिजली ढांचे पर चल रहे रूसी हमलों ने यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों को इस्तेमाल करने पर फिर से सोचने पर मजबूर किया है.
शुरू में यूक्रेन को खार्किव क्षेत्र के पास रूसी क्षेत्र में सैन्य ठिकानों के ख़िलाफ़ अमेरिका के दिए हथियारों को इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई थी.
जून के अंत तक अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने इस समझौते का विस्तार करते हुए कहा कि जहां रूसी सेनाएं यूक्रेनी क्षेत्र में कब्ज़ा करने की कोशिश करने के लिए सीमा पार करने की कोशिश कर रही हों, वहां कहीं भी यूक्रेनी सेना अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर सकती हैं.
हालांकि यह अमेरिकी मंज़ूरी आसानी से नहीं मिली. अमेरिका और पश्चिमी देशों में कई लोग रूस के साथ सीधे तनाव से बचना चाहते हैं.
रूस ने कहा था कि यूक्रेन को रूसी ठिकानों के ख़िलाफ़ अमेरिका के सप्लाई किए गए हथियारों के इस्तेमाल की मंज़ूरी देना अमेरिका की युद्ध में गहरी भागीदारी को दिखाता है.
कब तक चलेगी लड़ाई
भले ही रूसी हमले ने अभी तक कोई बड़ी क्षेत्रीय बढ़त हासिल ना की हो लेकिन स्थितियां भी बहुत साफ़ नहीं हो पाई हैं. रूस के मुक़ाबले यूक्रेनी सेना को काफ़ी ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा है.
एक सीनियर यूक्रेनी जनरल के मुताबिक़, "कुछ क्षेत्रों में रूस को फ़ायदा हो सकता है. इसके बावजूद रूस को भी काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ रहा है."
बीबीसी रूस की तरफ से पुष्ट किए गए सैन्य नुक़सानों की चल रही जांच से पता चला है कि हाल के हफ़्तों में रूस को होने वाला नुक़सान बढ़ा है. ऐसा हालिया किए गए हमलों की वजह से हो सकता है.
फरवरी 2022 में बड़े पैमाने पर हमलों की शुरुआत के बाद से ही कई चीज़ें योजना के हिसाब से नहीं चल पाई हैं. लेकिन यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों के समर्थन को मात देने के लिए रूस का संकल्प हमेशा की तरह मज़बूत बना हुआ है.
क्या कहते हैं रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव
रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने यूक्रेन के लिए अमेरिकी कांग्रेस के नए सैन्य सहायता पैकेज अपनाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम निश्चित रूप से जीतेंगे, भले ही 61 बिलियन डॉलर बर्बाद हो गए हों. बल और सत्य हमारे पक्ष में हैं."
टेलीग्राफ़ के संपादक और इसके "यूक्रेन: द लेटेस्ट" पॉडकास्ट के प्रेज़ेंटर फ्रांसिस डियरनली यूक्रेन में युद्ध की अवधि पर टिप्पणी करते हुए पश्चिमी देशों के प्रतिक्रियावादी रुख़ की आलोचना करते हैं.
फ्रांसिस डियरनली अमेरिका के उस नज़रिए की बात भी करते हैं जिसमें वह धीरे-धीरे यूक्रेन को हथियार और उनके इस्तेमाल की मंज़ूरी दे रहा है. जिसके बारे में अमेरिका का मनना है कि सहायता और हथियार इस युद्ध में यूक्रेन के टिके रहने के लिए काफ़ी है. हालांकि ये निर्णायक जीत हासिल करने के लिए काफ़ी नहीं है.
फ्रांसिस डियरनली कहते हैं, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस युद्ध में यूरोप में सबसे ज़्यादा खून बहा है और इसकी पीड़ा अनुमान से कहीं लंबे समय तक जारी रहने वाली है."
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