राहुल गांधी के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री समेत पाँच मंत्रियों के हस्तक्षेप के मायने

राहुल गांधी

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    • Author, विकास त्रिवेदी
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के पहले भाषण की चर्चा एनडीए की बैठक से लेकर सोशल मीडिया पर भी हो रही है.

राहुल गांधी के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार खड़े हुए और हस्तक्षेप किया.

इससे पहले संभवत: ऐसा कभी नहीं देखा गया था कि कोई सांसद बोल रहा हो और इस दौरान पीएम मोदी ने अपनी सीट से खड़ा होकर कुछ कहा हो.

राहुल गांधी के भाषण के दौरान केंद्र सरकार के पाँच मंत्रियों ने भी अपनी सीट से खड़े होकर विरोध जताया.

इन मंत्रियों में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू हैं.

राहुल गांधी के भाषण के कुछ हिस्सों को संसद की कार्यवाही से भी हटाया गया.

इस बारे में राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा, ''मोदी जी की दुनिया में सच्चाई एक्सपंज (हटाई) जा सकती है लेकिन हक़ीक़त में सच्चाई को एक्सपंज नहीं किया जा सकता. जो मुझे कहना था, कह दिया. वो सच्चाई है. उन्हें जो हटाना है हटाएं, सच्चाई, सच्चाई होती है.''

ऐसे में बीबीसी ने वरिष्ठ पत्रकारों से ये समझने की कोशिश की कि बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का पहला भाषण कैसा रहा और क्यों बार-बार सत्ता पक्ष को खड़े होकर विरोध जताना पड़ा.

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राहुल गांधी के भाषण के कुछ अंश

आइए आपको पहले पढ़वाते हैं कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में किन मुद्दों को छुआ और क्या कहा.

  • हिंदू: हमारे महापुरुषों ने यह संदेश दिया- डरो मत, डराओ मत. शिवजी कहते हैं- डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को ज़मीन में गाड़ देते हैं. दूसरी तरफ़ जो लोग (बीजेपी की ओर इशारा करते हुए) अपने आपको हिंदू कहते हैं वो 24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा..नफरत-नफरत-नफरत... आप हिंदू हो ही नहीं. हिंदू धर्म में साफ लिखा है, सच का साथ देना चाहिए.
  • स्पीकर : जब मैंने आपसे हाथ मिलाया तो आप सीधे खड़े रहे. जब मोदी जी ने हाथ मिलाया तो आप झुक गए और उनसे हाथ मिलाया.
  • अग्निवीर योजना: एक बारूदी सुरंग से एक अग्निवीर शहीद हुआ. मैं उसे शहीद कह रहा हूं लेकिन भारत सरकार और नरेंद्र मोदी उसे शहीद नहीं कहते, उसे अग्निवीर कहते हैं, उसे पेंशन नहीं मिलेगी. उस घर को मुआवज़ा नहीं मिलेगा. शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा.
  • किसान: सरकार को इतना अहंकार हो गया कि किसानों को आतंकवादी कह दिया. हम किसान आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखना चाहते थे लेकिन आपने ये कहते हुए इनकार कर दिया के वे आतंकवादी हैं. सरकार अभी भी उन्हें एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दे पाई है.
  • बीजेपी: आज राजनाथ सिंह जी ने मुझे मुस्कुराकर नमस्ते किया. मोदी जी बैठे हैं, नमस्ते भी नहीं करते हैं. कहीं मोदी जी ना देख लें, दिक़्क़त हो जाएगी. वही कहानी गडकरी जी की भी है. सच्चाई है. अयोध्या की जनता को छोड़ो, ये तो बीजेपी वालों को डराते हैं.
राहुल गांधी

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राहुल गांधी को एनडीए सरकार का जवाब

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समाप्त

राहुल गांधी जब ये भाषण दे रहे थे, तब उस दौरान लगातार सरकार के मंत्री और ख़ुद प्रधानमंत्री ने भी खड़े होकर विरोध जताया.

बीजेपी से जोड़कर हिंदू वाले राहुल गांधी के बयान पर पीएम मोदी ने कहा- ''ये विषय बहुत गंभीर है, पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ये गंभीर विषय है."

हालांकि राहुल गांधी ने फ़ौरन जवाब दिया- "नरेंद्र मोदी जी आप पूरा हिंदू समाज नहीं हैं. बीजेपी पूरा हिंदू समाज नहीं है. आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है."

जब राहुल गांधी अग्निवीर योजना पर बोल रहे थे, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खड़े होकर कहा- ग़लतबयानी कर संसद को गुमराह करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए.

बीजेपी के अंदर भय होने का दावा जब राहुल गांधी ने किया तो इसके बाद पीएम मोदी ने कहा- लोकतंत्र और संविधान ने मुझे सिखाया है कि विपक्ष के नेता को मुझे गंभीरता से लेना चाहिए.

ठीक इसी तरह से राहुल गांधी जब किसानों के बारे में बोल रहे थे, तब शिवराज सिंह चौहान ने खड़े होकर कहा- ''उत्पादन की लागत पर कम से कम 50 फ़ीसदी जोड़कर एमएसपी दी जा रही है और अगर नहीं जा रही है तो ये सत्यापित करें. ये ग़लतबयानी कर रहे हैं.''

राहुल गांधी जब स्पीकर बिरला से झुककर नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाने की बात कह रहे थे, तब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था- ये आसन पर आरोप है.

पीएम मोदी

राहुल के भाषण और सरकार के जवाब पर जानकारों की राय

राहुल गांधी के भाषण और इस दौरान सत्ता पक्ष का रवैया क्या बताता है? राहुल गांधी का भाषण कैसा रहा और सत्ता पक्ष के असहज दिखने के कारण क्या हैं?

बीबीसी ने वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता और विनोद शर्मा से बात की.

स्मिता गुप्ता कहती हैं, ''जिस तरह से राहुल गांधी पेश आए, ये संकेत है कि अब विपक्ष लोकसभा में चुप नहीं बैठेगा. राहुल अब फ्रंटफुट पर ही खेलेंगे. जिस तरह से राहुल ने बीजेपी पर हमला किया, प्रधानमंत्री बहुत ज़्यादा भड़क गए. ऐसा पहले नहीं हुआ था. तीन बड़े नेता राहुल गांधी को जवाब देने के लिए खड़े हो गए. ये एक अच्छा संकेत है.''

वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने कहा, ''राहुल गांधी और विपक्ष के लिहाज़ से ये सटीक भाषण था. काफ़ी लंबा बोले. कांग्रेस ने पहले से अच्छा प्रदर्शन किया, उसके लिहाज़ से बहुत अच्छा भाषण दिया. किसी ने मोदी जी की कार्यशैली के विरोध में ऐसा किया, ये राहुल गांधी हैं. इससे पहले जिसने किया, वो अटल बिहारी वाजपेयी थे. जिसने आंखों में आंखें डालकर मोदी जी को राजधर्म सिखाने की कोशिश की थी. राहुल गांधी के भाषण का प्रभाव वैसा है.''

स्मिता गुप्ता कहती हैं, ''ये विपक्ष के लिए अच्छा संकेत है कि जिन राहुल गांधी को नेता चुना गया है, जिनको बीजेपी पहले पप्पू पप्पू कहकर छोटा करते थे. वो अब फ्रंटफुट पर ही लड़ रहे हैं.''

राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान शिवजी का कई बार ज़िक्र किया.

स्मिता गुप्ता कहती हैं, ''आपने ये भी देखा होगा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पहले कोशिश की कि राहुल को कंट्रोल में लाएं, पर जब राहुल बार-बार शिवजी का चित्र दिखाने लगे तो वो भी थोड़ा चुप रहे. जैसे पहले आते थे और सदन को बहुत कंट्रोल करते थे, वो नहीं दिखा.''

राहुल गांधी के भाषण के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

अश्विनी वैष्णव बोले, ''आज राहुल गांधी ने पहली बार कोई ज़िम्मेदारी संभाली है, इसके बावजूद उन्होंने अति ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दिया है. राहुल जी ने कहा कि अग्निवीर में शहीदों को कोई मुआवज़ा नहीं दिया जाता है. इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता है. रक्षा मंत्री जी ने राहुल के बोलते हुए ही बताया कि शहीदों को एक करोड़ रुपये मुआवज़ा दिया गया.''

वो बोले, ''राहुल जी ने एक संवैधानिक पद स्पीकर को जिस तरह से टिप्पणी की, वो अत्यंत दुखद है.''

उन्होंने कहा- राहुल गांधी ने अयोध्या में मुआवज़े को लेकर भ्रामक बात कही है. 1253 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया गया है.

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राहुल के भाषण पर सरकार का विरोध

सदन के अंदर सरकार के कई मंत्रियों ने राहुल गांधी के भाषण का विरोध किया.

सदन से बाहर एनडीए सरकार के कई मंत्री राहुल गांधी के बयान की छोटी क्लिप साझा कर रहे हैं और उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं.

हालांकि कांग्रेस के हैंडल्स और नेताओं की ओर से इसका जवाब दिया जा रहा है- ''नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं हैं- जो हिंसा और नफ़रत फैलाता है, वो हिंदू हो ही नहीं सकता.''

स्मिता गुप्ता कहती हैं, '' राहुल गांधी के भाषण को जो देख रहे थे, वो समझ रहे थे कि राहुल क्या कह रहे थे. राहुल ने जब हिंदुओं की बात की तो उन्होंने बीजेपी की तरफ संकेत किया. लेकिन जो अख़बारों में सिर्फ़ बयान पढ़ेंगे, वो सोच सकते हैं कि हर हिंदू को राहुल कह रहे हैं. पर टीवी पर जिसने देखा या जो वहां मौजूद थे, उनको साफ-साफ पता लगेगा कि राहुल गांधी का इशारा हिंदुत्ववादियों की तरफ़ था, हिंदुओं की तरफ़ नहीं. सत्ता पक्ष को तो समझ ही आया होगा. सत्ता उससे ध्यान भटकाना चाहती है. बीजेपी का ये पुराना खेल रहा है.''

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विनोद शर्मा इसी मामले में यू-ट्यूबर्स की ओर इशारा करते हैं.

वो कहते हैं, ''मेन स्ट्रीम मीडिया का सहारा बीजेपी लेती रहे. लेकिन जो वैकल्पिक मीडिया उभरा है, जिनको यू-ट्यूबर कहते हैं. उनको भी देखिए. लाखों की संख्या में लोग उन्हें देखते हैं. राहुल का भाषण लाइव चला था और ये लोगों तक पहुंच गया है. वो अपने आप निष्कर्ष निकाल लेंगे. जहां तक सोशल मीडिया की बात है तो वहां बराबर की टक्कर है.''

विनोद शर्मा ने कहा, ''बीजेपी के मंत्री अगर ये ट्वीट कर रहे हैं तो वो राहुल गांधी के विशेषाधिकार का हनन कर रहे हैं. ये संसद में हुआ भाषण है. आप उसको तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हैं. ये आलू से सोना बनाने वाली स्पीच नहीं थी, जो बाहर दी गई थी.''

ओम बिरला और राहुल गांधी

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क्या राहुल गांधी को ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है?

अग्निवीर योजना पर भी जब सत्ता पक्ष सत्यापित करने की बात करता है तो राहुल गांधी कहते हैं- सेना सच जानती है, अग्निवीर सच जानते हैं. सत्यापित भी कर देंगे.

क्या राहुल गांधी को ज़्यादा बेहतर तरीके और तैयारी के साथ अपनी बातें रखनी चाहिए?

स्मिता गुप्ता जवाब देती हैं, ''राहुल गांधी को अपने शब्द सावधानी पूर्वक चुनने चाहिए. इस बार के चुनाव नतीजे को देखें तो लोग समझने लगे हैं कि ये लोग किस तरह धर्म का इस्तेमाल राजनीति के लिए करते हैं. पर हां राहुल गांधी को सोच समझकर पेश आना चाहिए, ताकि उनको गलत समझे जाने की संभावनाएं ना रहें. कांग्रेस को बीजेपी से मुकाबला करना है तो उनको आगे आकर ही लड़ना होगा. पर जो शब्दों का इस्तेमाल करें, वो तैयारी के साथ करें.''

स्मिता कहती हैं, ''जिस तरह राहुल गांधी के भाषण पर प्रतिक्रियाएं आई हैं, उससे लगता है कि वो सही रास्ते पर हैं. पर हां और तैयारी करेंगे तो अच्छा रहेगा.''

राहुल गांधी

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हिंदू वाले बयान पर कौन हो सकता है हावी?

अतीत में राहुल गांधी से जुड़ी कई फ़ेक न्यूज़ फैलीं, क्या इस मामले में भी राहुल गांधी के लंबे भाषण से सिर्फ़ एक अंश की क्लिप के सहारे बीजेपी नैरेटिव गढ़ना चाहेगी?

स्मिता गुप्ता कहती हैं, ''अयोध्या में जो नतीजा आया, जहां इतना बड़ा मंदिर बनवाया, उसी अयोध्या में ये हार गए. मुझे लगता है कि लोगों को समझ आ रहा है. जो कट्टरवादी हैं, जो आरएसएस को मानते हैं, वो तो नहीं बदलेंगे. जो लग रहा था कि और लोग भी इसमें शामिल हो रहे हैं, वो इस चुनाव में ग़लत साबित हो गया है.''

राहुल गांधी जब लोकसभा में शिवजी की तस्वीर दिखा रहे थे, तो कैमरा उनसे दूर जाता दिखा. इस बारे में राहुल गांधी ने भी आपत्ति दर्ज की थी.

स्मिता गुप्ता बोलीं, ''शिवजी के जो भक्त हैं देश में, जो ग़रीब हैं, उनके लिए शिवजी ज़्यादा मायने रखते हैं. बीजेपी को भी डर होगा कि उनका जो कार्ड है, उनके ख़िलाफ़ ही इस्तेमाल ना हो जाए.''

राहुल गांधी के भाषण को विनोद शर्मा एकदम दुरुस्त बताते हैं.

वो कहते हैं, ''राहुल गांधी हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ नहीं हैं, वो हिंदू धर्म के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ हैं. राहुल गांधी ने संसद में शिवजी का शांत स्वरूप दिखाया न कि हनुमान जी का ग़ुस्से वाला रूप.''

वो बोले- ''आप उम्मीद करते हैं कि राहुल गांधी गुड बॉय बनकर संसद में भाषण दें. वहां कुछ ना बोलें, इनके धार्मिक ध्रुवीकरण को देखते रहें. लेकिन धर्म को जो गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, उसको कहीं तो सुधारना होगा.''

लोकसभा में दो जुलाई की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण दे सकते हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी के भाषण में राहुल गांधी की कही बातों का भी जवाब दिया जाएगा.

विनोद शर्मा कहते हैं, ''विपक्ष की आक्रामकता का बीजेपी तोड़ निकालने की कोशिश करेगी. पर राहुल के भाषण ने दिखा दिया है कि जब तक बीजेपी सत्ता में है तब तक विपक्ष का क्या रुख़ रहने वाला है. मज़बूत विपक्ष है, बीजेपी को लपेटने में सक्षम है. ये साबित हो गया है. अब पता चलेगा कि प्रधानमंत्री का क्या रवैया है.''

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