नीट पेपर लीक: बिहार से शुरू होकर कैसे झारखंड से जुड़ते गए तार

नीट परीक्षा लीक अभियुक्त

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    • Author, आनंद दत्त
    • पदनाम, रांची से बीबीसी हिन्दी के लिए

शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार, 22 जून को नीट-यूजी परीक्षा में कथित गड़बड़ी की जांच सीबीआई को सौंप दी और इस मामले में अब तक पांच राज्यों से 33 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं.

केंद्र सरकार ने नीट की परीक्षा का आयोजन करवाने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के निदेशक सुबोध कुमार सिंह को महानिदेशक के पद से भी हटा दिया है.

उनकी जगह प्रदीप सिंह खरौला को एनटीए के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार दिया है.

संसद से सड़क तक, नीट यूजी-2024 कथित पेपर लीक मामला छाया हुआ है.

पेपर लीक और फिर गिरफ़्तारियों को लेकर बिहार और झारखंड सबसे अधिक चर्चा में है और अब गुजरात भी.

शुरुआती जांच बिहार पुलिस ने की और उसे इसमें सफलता भी मिली. जांच के तार झारखंड तक पहुंचे.

सीबीआई ने बुधवार 3 जुलाई को धनबाद से अमन सिंह नामक युवक को हिरासत में लिया है जिसे मुख्य साज़िशकर्ता संजीव मुखिया का प्रमुख सहयोगी बताया जा रहा है.

अब तक इस पूरे मामले में क्या-क्या हुआ, आइए इसे सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं.

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बिहार में सबसे पहले पता चला

आर्थिक अपराध इकाई, बिहार

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बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने (ईओयू) ने 23 जून को जारी अपने आधिकारिक बयान में इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट जारी की.

पटना पुलिस के शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी अमर कुमार की ओर से पांच मई को शाम 6.30 बजे कराई गई एफ़आईआर के मुताबिक, पांच मई को वो गश्त पर थे और उन्हें दोपहर 2.05 बजे नीट परीक्षा से संबंधित पेपर लीक गिरोह के बारे में सूचना मिली.

इसी दिन नीट की परीक्षा आयोजित की गई थी.

एफ़आईआर के मुताबिक़, सूचना मिलने पर उन्होंने झारखंड नंबर की एक संदिग्ध कार को रोका और तलाशी ली. इस दौरान गाड़ी में सिकंदर यादवेंदू, अखिलेश कुमार, बिट्टू कुमार मिले.

गाड़ी में कुछ छात्रों के एडमिट कार्ड की फोटोकॉपी, एप्पल फोन सहित कुछ अन्य फोन भी बरामद हुए.

अमर कुमार के अनुसार, 'सिकंदर ने बताया कि उसने कुछ छात्रों के लिए पेपर सेट कराया है. इसमें पेपर सेटर संजीव सिंह, रॉकी, नीतीश एवं अमित आनंद के माध्यम से इसे अंजाम दिया जा रहा है.'

पुलिस ने पांच मई को ही पटना में कुल 13 लोगों को गिरफ़्तार किया जिसमें कथित परीक्षा लीक के संगठित गिरोह के सदस्य व अभ्यर्थी शामिल थे.

इसके बाद पटना के शास्त्री नगर थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई.

मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने इसकी जांच को अपने हाथ में लिया और 17 मई को एसआईटी का गठन किया गया.

बिहार आर्थिक अपराध इकाई की जांच में क्या मिला?

सीबीआई ने बलदेव कुमार और मुकेश कुमार को गिरफ़्तार किया.

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इमेज कैप्शन, बलदेव कुमार और मुकेश कुमार को सीबीआई ने रिमांड पर लिया.

आर्थिक अपराध इकाई ने अपने बयान में बताया कि जांच के दौरान पटना के रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र के नंदलाल छपरा स्थित ‘लर्न बॉयज हॉस्टल एंड प्ले स्कूल’ में प्रश्न पत्र लीक के मुख्य सूत्रधारों में से एक बालदेव कुमार उर्फ चिंटू को झारंखड के देवघर जिले के एक फॉर्म हाउस से गिरफ़्तार किया गया.

ईओयू के अनुसार, बालदेव कुमार प्रश्न-पत्र लीक कांड के पेशेवर अपराधी संजीव कुमार उर्फ लुटन मुखिया गिरोह से जुड़ा हुआ है. परीक्षा के सॉल्वड प्रश्न पत्र इसी गिरोह के मोबाईल पर मिले थे.

एसआईटी के अनुसार, बालदेव कुमार को पांच मई की सुबह मोबाइल पर हल किए गए प्रश्न पत्र की पीडीएफ़ फाइल मिली थी.

इसे स्कूल में रखे वाई-फाई प्रिंटर से उसकी प्रतियां निकाल कर अभ्यर्थियों के ग्रुप बनाकर उन्हें रटवाया गया था.

मामला बाहर न आने पाए, उसके लिए अभ्यर्थियों को लाने, ले जाने की भी व्यवस्था की गई थी.

अभ्यर्थियों को लर्न बॉयज़ हॉस्टल एंड प्ले स्कूल में ले जाने के लिए स्कूल से करीब दो किलोमीटर दूर एक ड्रॉप प्वाइंट निर्धारित किया गया था.

इस प्वाइंट से स्कूल तक बच्चों को ले जाने के लिए एक टैक्सी का उपयोग किया गया, जिसके ड्राइवर और गाड़ी मालिक मुकेश कुमार को गाड़ी सहित गिरफ़्तार किया गया.

मुकेश बिहार शरीफ़ ज़िले के रहने वाले हैं. एसआईटी के मुताबिक़, बीते 23 जून तक कुल 15 संदिग्ध अभ्यर्थियों के रोल कोड का डिटेल मिला है.

इनमें से चार अभ्यर्थियों से पूछताछ की जा चुकी है, बाकि अभ्यर्थी अभी पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं.

जांच के दौरान इसी स्कूल से अधजले प्रश्नपत्र मिले. इसका रेफरेंस क्वेश्चन पेपर एनटीए की तरफ से आर्थिक अपराध इकाई को उपलब्ध करा दी गई.

शुरुआती मिलान में इसे सही पाया गया. इसे फॉरेंसिक जांच के लिए एफ़एसएल भेज दिया गया है.

हज़ारीबाग कनेक्शन

नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग

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इस बीच 20 जून की शाम को एनटीए ने बिहार एसआईटी को अधजले प्रश्न पत्र से संबंधित डिटेल भेजा.

इससे पता चला कि बरामद अधजले जब्त प्रश्न पत्र पर जो सीरियल कोड है, वो झारखंड के हजारीबाग जिले के ओएसिस स्कूल परीक्षा केंद्र का है.

इसके बाद 21 जून को एसआईटी हजारीबाग पहुंच मामले की जांच में जुट गई.

इस दौरान पता चला कि इसी स्कूल से प्रश्न पत्र की पैकिंग ट्रक में छेड़छाड़ की गई है.

पुलिस ने यहां स्थानीय एसबीआई बैंक, बैंक तक कूरियर के माध्यम से प्रश्नपत्र पहुंचाने वाली कंपनी ब्लू डार्ट के रांची स्थित कार्यालय के कर्मियों से पूछताछ की.

देवघर में बालदेव के साथ-साथ तीन और लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

इसमें नालंदा के राजीव कुमार, पंकू कुमार और परमजीत सिंह शामिल हैं.

तीनों ने स्वीकार किया है कि वो पेपर लीक गिरोह को डुप्लीकेट सिम, मोबाइल और ठहरने के लिए जगह मुहैया कराते थे.

पुलिस ने इनसे डुप्लीकेट सिम और मोबाइल बरामद कर लिए हैं.

बालदेव के खुलासे और हजारीबाग में मिले प्रश्नपत्र के संदिग्ध लिफाफे और बॉक्स के आधार पर पुलिस मान रही है कि इस कांड में एक संगठित अंतरराज्यीय पेशेवर गिरोह की संलिप्तता हो सकती है.

इसके बाद 23 जून को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.

सीबीआई की जांच और गिरफ़्तारियां

ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसानुल हक़

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इमेज कैप्शन, हजारीबाग से ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसानुल हक़ को सीबीआई ने गिरफ़्तार किया है.

25 जून को सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम हजारीबाग पहुंची. टीम ने सबसे पहले एसबीआई मुख्य ब्रांच में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और बैंक अधिकारियों से भी पूछताछ की.

इसके बाद 26 जून को ओएसिस स्कूल के प्राचार्य एहसानुल हक़ समेत 10 लोगों को हिरासत में लिया. इधर 27 जून को सीबीआई ने पटना से मनीष प्रकाश और आशुतोष कुमार को गिरफ़्तार किया.

आशुतोष उस स्कूल के संचालक हैं, जहां बच्चों को रखा गया था और प्रश्नपत्र रटवाया गया था.

प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई की तरफ से ये पहली गिरफ़्तारी थी.

जांच में यह बात सामने आई है कि मनीष प्रकाश ने चिंटू और संजीव मुखिया के कहने पर खेमनीचक स्थित लर्न्ड एंड प्ले स्कूल और इसके ब्यॉज हॉस्टल में परीक्षार्थियों को नीट परीक्षा के एक दिन पहले 4 मई की रात को ठहराने की व्यवस्था की थी.

यहीं अभ्यर्थियों को नीट के प्रश्न-पत्र एवं उत्तर रटवाये गए थे.

28 जून को सीबीआई ने हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसानुल हक़ के कॉल डिटेल खंगाले. जिसमें पता चला कि परीक्षा से पहले और बाद में स्थानीय पत्रकार जमालुद्दीन से सबसे अधिक बात की गई है.

इसके बाद स्कूल के वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और स्थानीय पत्रकार जमालुद्दीन को गिरफ़्तार कर पटना ले गई.

पूरे प्रकरण पर गिरफ्तार पत्रकार जमालुद्दीन के भाई सलाउद्दीन ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. सलाउद्दीन भी पत्रकार हैं.

पूरे मामले में सीबीआई अब तक छह लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. इसमें तीन झारखंड से, दो बिहार से और एक गुजरात से हैं.

नीट की परीक्षा के परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे.

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इमेज कैप्शन, नीट की परीक्षा के परिणाम चार जून को घोषित किए गए थे.

सीबीआई की टीम ने नीट पेपर लीक मामले में गिरफ़्तार किए गए 16 अभियुक्तों से बेऊर जेल में जाकर पूछताछ की.

टीम 29 जून की सुबह जेल पहुंची और सभी अभियुक्तों से अलग-अलग और कुछ से संयुक्त रूप से पूछताछ की.

कुछ अभियुक्तों से आमने-सामने बैठाकर भी कई सवालों के जवाबों का मिलान किया गया.

इन लोगों से पेपर लीक और प्रश्नपत्र मुहैया कराने वाले सेटरों के बारे में विस्तार से जानकारी ली गई.

मामले में जांच अब भी जारी है. इस सिलसिले में बिहार-झारखंड के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी छापेमारी और गिरफ़्तारियां जारी हैं.

वहीं वर्तमान लोकसभा सत्र के छठे दिन, एक जुलाई को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाया.

उन्होंने कहा, "हम छात्रों को संदेश देना चाहते हैं कि नीट का मुद्दा संसद के लिए महत्वपूर्ण है."

जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "संसद की कार्यवाही नियमों के तहत चलती है. पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, फिर विपक्ष जिस मुद्दे पर चर्चा चाहता है, वो किया जाएगा."

क्या कहते हैं बिहार के पूर्व डीजीपी

बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद कहते हैं, "पेपर लीक एक आर्थिक अपराध हैं. जितने भी आर्थिक अपराध होते हैं, सब में राजनीतिक संरक्षण होता है."

वो आगे कहते हैं, "अगर पेपर लीक स्कैम का आयाम निकाला जाए, तो औसतन एक छात्र पर 50 लाख रुपया तक इनवॉल्व होता है. अगर एक हजार छात्र को भी ले लिया जाए, तो यह आंकड़ा 500 करोड़ हो जाता है. इतनी रकम रख लेना, या कमा लेना संजीव मुखिया जैसे लोगों के बस की बात नहीं है, जो सांसद-मंत्री भी नहीं है."

झारखंड के जाने-माने करियर काउंसलर विकास कुमार कहते हैं, "सीबीएसई जब परीक्षा लेती थी, तब इतनी समस्या नहीं थी. समस्या एनटीए में है, जहां मात्र 25 स्थायी स्टाफ काम करते हैं."

"पेपर केवल बिहार और झारखंड में ही नहीं, देशभर में लीक हुए हैं. सरकार री-नीट नहीं कराना चाहती है, इसलिए इसको बिहार और झारखंड तक केंद्रित रखकर मामले को छोटा बनाना चाहती है."

वो आगे कहते हैं, "साल 2023 में 600 नंबर पर 30 हजार रैंक बना, वहीं साल 2024 में इसी नंबर पर 80 हजार रैंक बना. असली घोटाला तो यहां है."

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