उत्तर प्रदेश: पाबंदियों के बीच संभल से मेरठ तक कैसे पढ़ी गई ईद की नमाज़

उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों से ईद के दौरान नमाज़ को लेकर प्रशासन के कुछ फ़ैसले चर्चा का विषय बने थे. इन फ़ैसलों में सड़क पर नमाज़ न पढ़ने का फ़ैसले सबसे अहम बताया जा रहा था.

मेरठ पुलिस ने सड़क पर नमाज़ न पढ़ने का आदेश दिया था और अगर ऐसा हुआ तो पासपोर्ट रद्द करने की बात कही थी.

यूपी का संभल ज़िला पिछले साल नवंबर में हुई हिंसा के बाद से लेकर अब तक सुर्खियों में बना हुआ है. यहां ईद के दौरान छत पर नमाज़ अदा न करने का आदेश दिया गया था.

लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह पहुंचे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखि‍लेश यादव ने कहा कि उन्होंने कभी इतनी बैरिकेडिंग नहीं देखी.

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उन्होंने दावा किया, "पुलिस ने मुझे यहां आने से रोका. बड़ी मुश्किल से मैं आ सका. किसी अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं था. यह तानाशाही है कि दूसरे धर्म के लोगों के त्योहार में शामिल न हो सका."

इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लोगों को ईद-उल-फ़ितर की शुभकामनाएं दी थीं.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा, "ईद-उल-फ़ितर खुशी और मेल-मिलाप का संदेश लेकर आता है. ये त्योहार सामाजिक एकता को मज़बूत करने के साथ ही, आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ाता है."

कुछ दिन पहले सड़क पर नमाज़ न पढ़ने के फ़ैसले की आलोचना बीजेपी के सहयोग राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) प्रमुख जयंत चौधरी ने की थी.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों से अपील की थी कि वे सोमवार को वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक के विरोध में बांह पर काली पट्टी बांधकर नमाज अदा करें.

ईद के दिन बीबीसी के सहयोगी पत्रकार पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने वहां के हालात का जायज़ा लिया.

मेरठ में सड़क पर नमाज़ हुई या नहीं?

(बीबीसी के सहयोगी पत्रकार अजय चौहान की रिपोर्ट)

मेरठ में पुलिस ने आदेश दिया था कि सड़क पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी और इस आदेश का असर भी दिखा.

पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईदगाह परिसर में देवबंद से आए मौलाना वसीफ़ ने नमाज़ अदा कराई.

हालांकि, पुलिस के सख़्त रुख़ से कुछ जगहों पर नमाज़ी नाराज़ भी दिखे और वो हाथ पर काली पट्टी बांधकर नमाज़ अदा करने पहुंचे.

सिवालखास निवासी इंतज़ार अली का कहना है कि पुलिस का आदेश है कि अगर सड़क पर नमाज़ हुई तो आधार कार्ड और पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए जाएंगे, यह ग़लत है.

इंतज़ार अली बताते हैं, "यह व्यवहारिक नहीं है. हम भी नहीं चाहते कि अव्यवस्था हो, लेकिन जब मैदान छोटा पड़ जाता है तो ऐसे में मजबूरी में ही लोग सड़क पर नमाज़ करने के लिए मजबूर होते हैं."

शहर में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक हल्के और भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक रही. संवेदनशील क्षेत्र, मिश्रित आबादी और मस्जिदों के आसपास सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल तैनात रहा.

फ़लस्तीन के पक्ष में पोस्टर

नमाज़ के बाद कुछ युवा हाथ में पोस्टर लिए दिखाई दिए. एक पोस्टर पर लिखा था- सड़कों पर सिर्फ़ मुस्लिम नमाज़ नहीं पढ़ते हैं. इसके आगे लिखा था- हिन्दू होली सड़कों पर मनाता है, शिवरात्रि सड़कों पर मनाई जाती है और कांवड़िए सड़क पर निकलते हैं.

इसके अलावा मेरठ ईदगाह में ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद कुछ युवाओं ने फ़लस्तीन के पक्ष में बैनर दिखाए.

रास्तों में बैरिकेट लगाए जाने से एक दो स्थान पर छिटपुट झड़पें भी हुईं लेकिन पुलिस ने शांतिपूर्वक नमाज़ियों को ईदगाह की ओर भेज दिया.

एससपी विपिन ताडा का कहना है, "हमने नमाज़ियों को अच्छी व्यवस्था मिले, इसके लिए धर्म गुरुओं से भी बात की थी. सभी का सहयोग मिला, नमाज़ सकुशल शांति पूर्वक सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई."

जानकारी के मुताबिक़, मेरठ में क़रीब 164 ईदगाहों और 515 मस्जिदों में भी ईद की नमाज़ शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई.

संभल में कैसा था माहौल?

(संभल से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार ज़की रहमान की रिपोर्ट)

पिछले साल से संभल लगातार चर्चा में बना हुआ है. नवंबर, 2024 में संभल की शाही जामा मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी.

26 मार्च को संभल की उपज़िलाधिकारी (एसडीएम) वंदना मिश्रा ने कहा था कि सड़क पर नमाज़ न पढ़ने के अलावा छतों पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति से पूर्व जांच कराई जाएगी. मस्जिद के आस-पास बिना जांच के नमाज़ नहीं पढ़ने दी जाएगी.

इस पर संभल के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क़ ने कहा था कि "छत पर नमाज़ पढ़ने से रोकने का कोई औचित्य नहीं बनता. छत कोई सरकारी जगह नहीं है. एक व्यक्ति की विशेष जगह है."

संभल शहर में ईद की नमाज़ ईदगाह और शाही जामा मस्जिद में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शांतिपूर्ण तरीके से अदा की गई.

इस दौरान संभल के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क़ भी नमाज़ अदा करने पहुंचे.

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस देश और प्रदेश में दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए. जब सड़क को बंद करके हिंदू समाज का त्योहार मनाया जा सकता है तो हमारी 10 मिनट की नमाज़ पर आपत्ति क्यों है?"

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वक़्फ़ संशोधन बिल के खिलाफ काली पट्टी बांधकर नमाज़ अदा करने की अपील का थोड़ा बहुत असर संभल में दिखा.

संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने नमाज़ के बाद कहा "ईद की नमाज़ को सकुशल शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराया गया.पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स तैनात थी. इसके अलावा ड्रोन से लगातार निगरानी की जा रही थी."

मुरादाबाद और बिजनौर का हाल

(बीबीसी के सहयोगी पत्रकार शहबाज़ अनवर की रिपोर्ट)

मुरादाबाद में शहर की मुख्य ईदगाह मस्जिद में नमाज़ियों की संख्या अधिक थी. प्रशासन के मुताबिक़, यहां दो शिफ्ट में ईद की नमाज़ अदा करानी पड़ी.

बीबीसी से बातचीत में एसपी सिटी रणविजय सिंह ने कहा, "मस्जिद में नमाज़ियों की संख्या अधिक होने के कारण यहां दो बार में ईद की नमाज़ अदा करानी पड़ी. बाक़ी सभी जगह भी मस्जिदों के भीतर ही नमाज़ अदा की गई."

बिजनौर में ईदगाह पर काज़ी मोहम्मद माजिद अली ने नमाज़ अदा कराई.

एसपी बिजनौर के पीआरओ धीरज नागर ने बीबीसी से कहा, "बिजनौर में तक़रीबन 539 ईदगाहों और मस्जिदों में ईद की नमाज़ सकुशल संपन्न हुई."

बिजनौर में ईदगाह शेरकोट के मुफ़्ती मोहम्मद ज़की ने मुताबिक़, "ईद की नमाज़ ईदगाहों के भीतर ही पढ़ने की लोगों से दरख़्वास्त की गई थी.जहां ईदगाह में जगह नहीं बची वहां ईदगाह के निकट ही नमाज़ का इंतज़ाम किया गया था, लोगों ने मस्जिदों के भीतर ही नमाज़ अदा की."

बीजेपी के सहयोगी जयंत चौधरी का विरोध

ईद से पहले मेरठ पुलिस की तरफ़ से कहा गया था कि सड़क पर नमाज़ पढ़ने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी.

मेरठ के सिटी एसी आयुष विक्रम सिंह ने कहा था, "किसी भी सूरत-ए-हाल में रोड पर नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी. अगर इस मामले में किसी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होता है तो सामान्य तौर पर पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं. नया पासपोर्ट नहीं बन सकता है जब तक कि कोर्ट ने एनओसी न मिल जाए. क्रिमिनल केस में ऐसा ही होता है."

जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) बीजेपी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है. जयंत चौधरी राज्यसभा सांसद हैं और केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं.

चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मेरठ पुलिस के फ़ैसले की तुलना 'ऑरवेलियन 1984' की पुलिस व्यवस्था से की.

जयंत चौधरी ने लिखा, "ऑरवेलियन 1984 की ओर बढ़ती पुलिस व्यवस्था!"

ऑरवेलियन का मतलब ऐसी शासन व्यवस्था से है जो निगरानी के साथ नागरिकों की आज़ादी के दमन से जुड़ी होती है. यह शब्द मशहूर लेखक जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास '1984' से प्रेरित है. इसमें एक तानाशाह प्रवृत्ति की सरकार जनता की हर गतिविधि पर नज़र रखती है और प्रोपेगैंडा का सहारा लेकर लोगों के विचारों पर नियंत्रण करती है.

इससे पहले जयंत चौधरी, बीजेपी विधायक केतकी सिंह के मुसलमानों पर दिए बयान का विरोध करते नज़र आए थे.

यूपी में बलिया ज़िले की बांसडीह सीट से विधायक केतकी सिंह नए बने मेडिकल कॉलेज में मुसलमानों के लिए अलग विंग बनाने की बात कही थी.

जयंत चौधरी ने इस बयान पत तंज़ कसते हुए एक्स पर लिखा था, "मोहतरमा, इलाज की जरूरत तो है!"

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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