'कांवड़ियों के लिए जगह लेकिन सड़क पर ईद की नमाज़ नहीं', सांसद चंद्रशेखर के इस बयान की चर्चा क्यों

    • Author, शहबाज़ अनवर
    • पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए

"हिंदू धर्म की आस्था है, 10 दिन कांवड़ चलता है, सारे होटल बंद होते हैं, अस्पताल बंद होते हैं, कई बार ऐसा होता है कि अस्पताल जाना होता है, लेकिन उस रास्ते जा नहीं पाते, कहीं और से अस्पताल जाते हैं, लेकिन उनकी आस्था को ठेस ना पहुंचे तो लोग सहते हैं, पर 20 मिनट अगर ईद वाले दिन नमाज़ हो रही है तो कहते हैं नमाज़ होने नहीं देंगे, क्या देश एक ही धर्म का है, क्या दूसरे धर्म के लोगों की इज़्ज़त नहीं है."

आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर का ये बयान चर्चा में है.

सोशल मीडिया पर इस बयान को टिप्पणियों के साथ शेयर किया जा रहा है.

लगभग दो मिनट 20 सेकेंड के इस वीडियो में चंद्रशेखर के आसपास उनके समर्थक मौजूद हैं और वह उन्हें संबोधित कर रहे हैं, हालांकि कुछ टीवी चैनलों को भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया था.

इस वीडियो के संबंध में बीबीसी ने नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद से बातचीत की तो उन्होंने कहा, "हां, संसद से वापस आने के बाद मैं नजीबाबाद इलाक़े में 23 जून को गया था, वहां मेरी लोकसभा के लोगों ने ये मसला मेरे सामने रखा था, तब मैंने कहा कि धार्मिक आज़ादी सभी के लिए है, सत्ता पक्ष ये दावा करता है कि सबका साथ सबका विकास और प्राइम मिनिस्टर ख़ुद मुसलमानों की बात करते हैं, पसमांदाओं की बात करते हैं. बड़ा सवाल ये है कि किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए."

'हां, मैंने ये बात बोली है और देश संविधान से चलेगा'

चंद्रशेखर ने कहा, "10-12 दिन कांवड़िये चलते हैं, मैं पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र से आता हूं, सभी रूट ब्लॉक हो जाते हैं, जब रूट ब्लॉक होते हैं तो लोगों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बीमारों को भी परेशानी होती है. जब हिंदू धर्म की आस्था का पूरा सम्मान किया जाता है और सब लोग अपनी परेशानियों को भूलकर उनकी आस्था में सभी धर्म के लोग योगदान करते हैं, फूल बरसाते हैं..."

"....तो फिर अगर हम ये मानें कि सत्ता एक ही धर्म की है तो अलग बात है, कोई उम्मीद ही ना करे, लेकिन जब सत्ता में बैठे लोग ये दावा करें कि सत्ता सभी की है, हम सभी के लिए चिंतित हैं तो इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि साल में दो बार 20-20 मिनट ईद की नमाज़ पढ़ने के लिए उनकी आस्था का सम्मान करें, उनको भी अपने धर्म को मानने की आज़ादी दें तो इसमें किसी का नुक़सान नहीं हो सकता है."

एक सवाल के जवाब में चंद्रशेखर ने कहा, "मैंने स्पष्ट रूप से ये कहा है कि अगर कुछ भी ऐसा कार्य होगा जो संविधान के अनुरूप नहीं होगा या फिर जिसमें धर्म के आधार पर ग़ैर-बराबरी होगी तो फिर चंद्रशेखर आज़ाद से उम्मीद मत करना कि वह चुपचाप उस अन्याय को सहते हुए देखेंगे. संविधान के आर्टिकल 25 और 26 ने धार्मिक आज़ादी दी है तो मैं तो ज़रूर बोलूंगा, कोई बोले या ना बोले."

कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं लाखों लोग

हर साल सावन के महीने में लाखों लोग अलग-अलग ज़िलों से गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार रवाना होते हैं.

इनमें से अधिकतर लोग समूहों में पैदल यात्रा करते हैं जबकि कुछ लोग वाहनों का भी इस्तेमाल करते हैं. ये गंगा जल लाने के लिए कंधों पर कांवड़ लेकर चलते हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों से कांवड़ मार्ग गुजरते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान कई रास्ते बंद रहते हैं, मार्ग के आसपास मीट-मछली की बिक्री बंद करवा दी जाती है और मांसाहारी ढाबे भी बंद करवा दिए जाते हैं.

बिजनौर के एक मुसलमान ढाबा संचालक कहते हैं, "लंबे समय तक हमारा काम बंद रहता है, हमें हर साल नुक़सान उठाना पड़ता है."

सड़क मार्ग पर पैदल चल रहे कांवड़ यात्री किसी हादसे का शिकार ना हों, इसके लिए प्रशासन ख़ास इंतज़ाम करता है. हैवी ट्रैफ़िक के लिए या तो रास्ते बंद कर दिए जाते हैं या रूट डायवर्ट कर दिया जाता है.

धार्मिक आज़ादी को लेकर बहस और मुक़दमे

सड़क पर नमाज़ पढ़ने को लेकर अगस्त 2019 में यूपी पुलिस का आदेश जारी हुआ था.

तत्कालीन यूपी पुलिस प्रमुख (डीजीपी) ओमप्रकाश सिंह ने मीडिया से जानकारी साझा कर बताया था कि प्रदेश में सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर रोक लगाई गई है, साथ ही कहा था कि शांति-समिति की बैठक बुलाकर आपसी सौहार्द का वातावरण बनाकर इस प्रकार की कार्रवाई की जाए.

इस संबंध में सभी ज़िला पुलिस प्रमुखों और अन्य अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.

साल 2019 में आए इन आदेशों के बाद पांच वर्षों में यूपी में मेरठ, बदायूं, कानपुर, हापुड़ और आगरा सहित कई ज़िलों में आदेश की अवहेलना और मार्ग अवरुद्ध कर नमाज़ पढ़ने के मामले में सैकड़ों लोगों के ख़िलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई.

इसी साल मार्च में सड़क पर नमाज़ पढ़ते लोगों को, दिल्ली पुलिस के जवान के लात मारने का वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा हुआ. मेरठ में भी 11 अप्रैल, 2024 को ईद-उल-फ़ितर की नमाज़ सड़क पर पढ़े जाने के मामले में 100-200 लोगों के ख़िलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई.

इस बारे में मेरठ में रेलवे रोड़ थाना कोतवाली प्रभारी निरीक्षक आनंद कुमार गौतम ने बीबीसी से कहा, "11 अप्रैल को थाना क्षेत्र की शाही ईदगाह में कई लोगों ने सड़क पर नमाज़ अदा की, इस मामले में 100-200 लोगों के ख़िलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी, इसमें अभी जांच जारी है."

हालांकि, इस प्रकार के मुक़दमों के सवाल पर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष और भाजपा नेता मुफ्ती शमून क़ासमी बीबीसी से कहते हैं, "सांसद चंद्रशेखर का बयान ग़ैर ज़िम्मेदाराना है, मुसलमानों को चाहिए कि वे नमाज़ मस्जिद में पढ़ें, सड़कों पर ना पढ़ें, क़ानून का अनुपालन नहीं होगा तो करवाई तो नियम के मुताबिक़ मजबूरी है."

त्योहार से पहले होती है शांति-समिति की बैठक

बिजनौर का अफ़ज़लगढ़ क्षेत्र उत्तराखंड के पहाड़ और कुमाऊं को जोड़ने वाला रास्ता है, यहां से बड़ी संख्या में हज़ारों कांवड़िए हरिद्वार के लिए गुज़रते हैं.

इस क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या भी काफी अधिक है.

अफ़ज़लगढ़ सर्किल की पुलिस उपाधीक्षक अर्चना सिंह ने बीबीसी से कहा, "होली, दीपावली हो या फिर कांवड़ यात्रा या ईद, इन सभी त्योहारों पर अलग-अलग क्षेत्र की थाना चौकियों में शांति समितियों की बैठक होती है. शांति समिति में क्षेत्र विशेष के हर वर्ग के बुद्धिजीवी और गणमान्य लोग शामिल होते हैं. कांवड़ के मौक़े पर रूट मैप तैयार किया जाता है, जिसमें तय होता है कि कांवड़ियों का मार्ग भी बाधित न हो और ट्रैफिक संचालन भी सरल बना रहे."

वह कहती हैं, "कांवड़ तो सड़कों पर निकलेगी ही, उसका तो कोई रास्ता ही नहीं है, लेकिन समस्या ना हो तो सड़क को वन वे किया जाता है, एक तरफ वाहन चलते हैं और एक तरफ कांवड़िए पैदल चलते हैं."

ईद के मौके पर सड़क पर नमाज पढ़ने के सवाल पर वो कहती हैं, "ईद के मौक़े पर बस इस बात के निर्देश दिए जाते हैं कि कोई नमाज़ सड़क पर ना पढ़े. जगह की तंगी पड़ती है तो आसपास जगह की व्यवस्था करा दी जाती है."

क्या है जमीयत का नज़रिया

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी गुट) मुसलमानों की रहनुमाई और हिमायत करने वाला संगठन माना जाता है.

चंद्रशेखर के बयान को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने बीबीसी से कहा, "अब ये उनकी (चंद्रशेखर) बात है, वैसे इस सिलसिले में कभी कोई पाबंदी नहीं थी, अब इस हुकूमत ने पाबंदी लगा दी है. मुसलमानों को भी कोशिश करनी चाहिए कि लोगों के लिए परेशानी का सबब न बनें, अगर रास्ते रुक जाते हैं नमाज़ की वजह से, तो ये बात भी ख़राब है."

उन्होंने कहा, "इसको सियासी एतबार से मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. मैंने ये देखा है कि सियासी लोगों ने इलेक्शन के अंदर इसको मुद्दा बनाया, इसका मतलब ये है कि जो किया गया, सियासी मुद्दा बनाने के लिए किया गया, बाक़ी इसमें एहतियात रखनी चाहिए."

इसी संस्था के उत्तर प्रदेश के सदर मौलाना अशहद रशीदी ने भी बीबीसी से कहा, "हमें किसी के बयान से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन जमीयत इस बात को बार-बार कहती है कि ये मुल्क सेक्युलर मुल्क है, जब भी लोकतंत्र के लिए नुक़सान या ख़तरा पैदा करने वाले लोग सत्ता तक पहुंचेंगे और वे मज़हब की बुनियाद पर लोगों को बांटने की कोशिश करेंगे तो देश की शांति खतरे में पड़ेगी."

एक सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "हमने अपने लोगों को समझाया कि उनके ख़िलाफ कोई केस बने, अदालतों के चक्कर काटने पड़ें, इससे बेहतर है कि मस्जिदों के अंदर ही नमाज़ पढ़ें, जहां तक हुकूमत की बात है तो सभी जानते हैं कि जो नज़रिया उनका है वो हमारे नज़रिए से अलग है. उनसे बात करने या लिखित में देने से कोई लाभ नहीं है."

जमीयत उलेमा-ए-हिंद अरशद गुट में तक़रीबन 10 साल ज़िला बिजनौर के सदर रहे मौलाना उबेदुर्रहमान सांसद चंद्रशेखर के बयान से सहमत दिखे.

वह कहते हैं, "ये बात चंद्रशेखर ही नहीं अन्य लोग भी कहते हैं. हिंदुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है, यहां सभी को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए."

जमीयत उलेमा-ए-हिंद मदनी गुट के शेरकोट के सदर क़ारी शहज़ाद कहते हैं, "वैसे सांसद चंद्रशेखर की बात से मैं इत्तेफाक़ रखता हूं. एक तबक़े को पांच-दस मिनट की नमाज़ की भी इजाज़त नहीं है और दूसरी तरफ के आयोजन पर सब कुछ बंद कर देना, खाने-पीने तक पाबंदियां, तो ये इंसाफ की बात नहीं कही जा सकती है."

'ऐसा बयान देने के क़ाबिल नहीं'

भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा नगीना से संयोजक महेंद्र धनोरिया ने बीबीसी से कहा, "इस तरह के बयान अभी तक किसी ने दिए हैं क्या? चंद्रशेखर की पार्टी का सिंबल तो अभी क्षेत्रीय पार्टी की श्रेणी में भी नहीं है, रही बात सौहार्द की तो जब रमज़ान आता है तो हिंदू समाज भी रोज़ा इफ्तार पार्टी कराता है, तो ये प्यार मोहब्बत की बात तो पहले से ही है. 15-20 मिनट नमाज़ पढ़ी जाए या नहीं, ये जवाब मेरे स्तर का नहीं है और मैं इसका जवाब नहीं दे सकता हूं."

'चंद्रशेखर का बयान न्यायसंगत नहीं है'

हिंदू युवा वाहिनी के मुरादाबाद मंडल के पूर्व प्रभारी डॉक्टर एनपी सिंह ने कहा, "चंद्रशेखर का बयान न्याय संगत इसलिए नहीं है कि कांवड़ के दौरान कांवड़िए चलते रहते हैं, जाम कुछ नहीं होता है, रही बात नमाज़ की तो सड़क पर नमाज़ होने पर मार्ग अवरुद्ध होगा, जिससे आम लोगों को समस्या होगी, ऐसे बयानों के संदेश अच्छे नहीं जाते हैं, यदि ईदगाह में स्थान नहीं बचता है तो प्रशासन उचित जगह की व्यवस्था देखे."

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