काहिरा: जिस पर तुर्कों से लेकर अंग्रेज़ों तक ने शासन किया

    • Author, लिंडसे गैलवे
    • पदनाम, बीबीसी ट्रैवल

सन 969 ईस्वीं में बसा काहिरा नील नदी के पार बने 4,500 साल पुराने पिरामिडों की तुलना में युवा लग सकता है.

इतिहास में इस शहर ने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं. इस पर ऑटोमन और ब्रिटिश साम्राज्य ने कब्ज़ा किया और यहां देश की दिशा बदलने वाली क्रांतियां हुईं.

काहिरा और इस क्षेत्र का नया-पुराना इतिहास जल्द ही ग्रैंड मिस्र संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा. यह किसी एक सभ्यता को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय होगा.

महान पिरामिडों से सिर्फ़ दो किलोमीटर दूर बनाया गया यह संग्रहालय इसी साल के आख़िर तक खुलने वाला है.

स्थानीय लोग अपने अतीत का अनुभव करने और प्राचीन मिस्र सभ्यता की विरासत को नये सैलानियों के साथ साझा करने को लेकर उत्साहित हैं.

काहिरा के स्थानीय गाइड सायेद आबेद अल रज़ेक को लगता है कि वो ज़िंदगी में पहली बार कुछ अद्भुत कलाकृतियां देखेंगे. जिन धरोहरों को पहले भंडार में रखा गया था उनको अब म्यूज़ियम में प्रदर्शित किया जाएगा.

वो कहते हैं, "मुझ जैसे लोग म्यूज़ियम खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं. इससे पर्यटन बढ़ेगा जिससे मिस्र की अर्थव्यवस्था में मदद मिलेगी."

आबेद अल रज़ेक और अन्य स्थानीय निवासियों को लगता है कि नये संग्रहालय के ज़रिये काहिरा के पास ख़ुद को दुनिया के सामने नये सिरे से पेश करने का मौक़ा होगा.

2011 में होस्नी मुबारक को सत्ता से हटाने वाली मिस्र की क्रांति के बाद से शहर में पर्यटन घट गया है.

संग्रहालय के अलावा, लोग यह भी साझा करने को आतुर हैं कि सैलानियों को उनके शहर क्यों आना चाहिए.

काहिरा को पसंद करने की वजह

काहिरा के मेट्रो क्षेत्र में 2 करोड़ से ज़्यादा लोग रहते हैं. अमरीकी लेखक लॉरेन के. क्लार्क 2010 से इस शहर में रह रही हैं.

उनका कहना है कि इस शहर में एक छिपी हुई ऊर्जा है, जो इसकी विभिन्न संस्कृतियों, सामाजिक वर्गों और प्राकृतिक वातावरण से मिलती है. शहर के हर हिस्से की अपनी ख़ासियत, अपनी संस्कृति है.

लॉरेन कहते हैं, "यहां आधुनिक जोशीला क्लब साइड है. ग्रामीण और हरे-भरे चरागाह क्षेत्र हैं. कुछ इलाक़ों में जाकर आप प्राचीन समय को महसूस कर सकते हैं. काहिरा ने इन सबको बरक़रार रखा है. यह इस शहर का जादू है."

ऑस्ट्रेलिया के डाना हूशमंड डिस्कवर डिस्कंफ़र्ट के लिए ब्लॉग लिखते हैं. वो भी मानते हैं कि इस शहर की फ़िज़ा में एक विशेष तरह का रोमांच है.

वो कहते हैं, "काहिरा में घर से बाहर निकलते ही हज़ारों गाड़ियों से आपका सामना होता है जो चींटियों की तरह एक-दूसरे से चिपककर रेंगती हुई चलती हैं. एक साथ सैंकड़ों हॉर्न का शोर सुनाई देता है."

"ट्रैफ़िक के बीच में कुछ लोग सिर पर टोकरी रखकर ब्रेड बेचते हैं और गदहा गाड़ी कचरा ले जाते हुए मिल जाती है."

वो कहते हैं, "वह अद्भुत नज़ारा होता है. आप इसमें कुछ नहीं कर सकते, लेकिन आपको लगता है कि आप ज़िंदा हैं."

2011 के बाद नये रेस्तरां खुलने से काहिरा में खाने-पीने का माहौल बदल रहा है. रज़ेक का कहना है कि कुछ रेस्तरां ग्लोबल ज़ायके वाले हैं, जबकि अन्य में पारंपरिक ज़ायका मिलता है.

कोशारी मिस्र का राष्ट्रीय खाना है, जिसमें मसालेदार दालें, ख़ुशबूदार चावल, छोले, भूने प्याज़ और मैक्रोनी होती है. ऊपर से इस पर सिरके वाला टमाटर सॉस डालकर खाया जाता है.

क्लार्क सैलानियों को मादी जाने की भी सलाह देती हैं. यह काहिरा का दक्षिणी उपनगर है, जहां की नंबर 9 सड़क के दोनों ओर रेस्तरां खुले हैं. इन रेस्तरां में सुशी से लेकर मिस्र के स्ट्रीट फ़ूड तक सब कुछ मिलता है.

काहिरा में रहना कैसा है?

शहर के लोगों का कहना है कि काहिरा आने वाले किसी भी व्यक्ति को एक बड़े शहर की भागदौड़ के लिए तैयार रहना चाहिए.

नये बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाएं व्यापक हैं और इससे मंज़िल तक पहुंचने में कुछ देरी हो सकती है, मगर शहर में घूमने के वैकल्पिक रास्तों की कोई कमी नहीं है.

क्लार्क कहती हैं, "मुझे यहां का परिवहन बहुत अच्छा लगता है. हाथ उठाकर मैं टैक्सी, बस, टुक-टुक, ट्रेन या उबर कुछ भी ले सकती हूं."

काहिरा में आना-जाना सस्ता भी है. यातायात का मासिक ख़र्च लंदन के मुक़ाबले 250 फ़ीसदी सस्ता है.

काहिरा के लोग ज़िंदगी को आराम से जीने की सलाह देते हैं, क्योंकि चीज़ें हमेशा योजना के मुताबिक़ नहीं हो सकतीं.

क्लार्क कहती हैं, "यदि आप एक दिशा में सोचते हुए, जैसे कोई निश्चित शेड्यूल बनाकर या संगठन का निश्चित ढांचा बनाकर काम करते हैं तो आप निराश होंगे. काहिरा आपको सिखाता है कि धारा के साथ चलें और रास्ते में मिले सबक़ का मज़ा लें."

मिस्र की अरबी बोलने से सैलानियों को काहिरा में आने-जाने में मदद मिल सकती है.

हूशमंड कहते हैं, "काहिरा कॉस्मोपॉलिटन है और आप अंग्रेज़ी में भी काम चला सकते हैं. लेकिन अगर आपको अरबी आती है तो आपको बहुत मज़ा आएगा."

काहिरा की अल-अज़हर मस्जिद 972 ईस्वी में बनाई गई थी. शहर के कॉप्टिक (ऑर्थोडॉक्स चर्च) हिस्से में रोमन मीनारें अभी भी खड़ी हैं. यहां के गिरजाघरों में प्रारंभिक ईसाई कला दिखती है.

अतीत को संजोकर रखने वाले लोग अपने वर्तमान के लिए भी सम्मान चाहते हैं.

क्लार्क कहती हैं, "काहिरा और पूरे मिस्र के लोग अपने देश के बारे में दुनिया के सामने सकारात्मक और स्वस्थ छवियां पेश करते हैं."

"वे प्रतिस्पर्धा करते हैं, ख़ुद का स्तर बढ़ाते हैं और वैश्विक स्तर पर वापसी करने की अपनी क्षमता दिखाना चाहते हैं."

नई सरकार ने काहिरा से 45 किलोमीटर पूर्व में राजधानी को नये सिरे से बसाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना बनाई है. इस क्षेत्र को नई प्रशासनिक राजधानी कहा जाता है.

यहां कैशलेस भुगतान, पार्क और हरियाली की प्रचुरता वाली स्मार्ट सिटी बसाने की योजना है जो 700 वर्ग किलोमीटर में फैली होगी. लेकिन पैसे की कमी के कारण इसमें अड़चनें आ रही हैं.

काहिरा के बारे में और क्या जानना चाहिए?

2011 की उथल-पुथल के बाद नई चुनौतियां सामने आई हैं, ख़ासतौर पर अर्थव्यवस्था में.

क्रांति के बाद मंहगाई दर में विस्फोट हुआ. 2010 में एक अमरीकी डॉलर मिस्र के 5.7 पाउंड के बराबर था, जो 2018 में 17.8 पाउंड का हो गया.

तब से स्थिति थोड़ी सुधरी है. अब एक अमरीकी डॉलर की कीमत मिस्र के क़रीब 16 पाउंड के बराबर है.

आबेद अल रज़ेक का कहना है कि अर्थव्यवस्था अब बेहतर कर रही है, ख़ासकर पर्यटन अब वापस आ रहा है.

आर्थिक तरक़्क़ी के बावजूद काहिरा में महिलाओं का उत्पीड़न एक समस्या बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र के 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक़, मिस्र की 99.3 फ़ीसदी महिलाओं का किसी न किसी तरीक़े से उत्पीड़न हुआ.

हूशमंड कहते हैं, "उत्पीड़न के मामले में मिस्र पहले से ही मध्य पूर्व की सबसे ख़राब जगह थी और अब भी ऐसा ही है."

शहर की महिलाएं इसके लिए संघर्ष कर रही हैं. स्थानीय महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने हैरेशमैप जैसे संसाधन बनाए हैं, जहां महिलाएं उत्पीड़न की रिपोर्ट कर सकती हैं और कोई मददगार हो तो उसके बारे में भी बता सकती हैं.

समुदाय के सामने मौजूद चुनौतियों के प्रति लोग ईमानदार हैं. हूशमंड का कहना है कि मिस्र के लोग समस्याओं के प्रति मुखर हैं क्योंकि उनका मानना है कि देश बदल सकता है.

हूशमंड कहते हैं, "वे सोचते हैं कि भविष्य उज्ज्वल हो सकता है. यदि व्यवस्थागत बदलाव हों तो मिस्र शायद अतीत की ऊंचाइयों से भी अधिक ऊंचाई हासिल कर सकता है."

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