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वो छोटा सा देश जिसने दुनिया बदल डाली
- Author, एरिक वीनर
- पदनाम, बीबीसी ट्रैवल
दुनिया में एक देश ऐसा भी है जिसका हम सब की ज़िंदगी में किसी न किसी तरह से वास्ता पड़ा है.
ये देश इतना छोटा है कि दिल्ली की आबादी भी इससे चार-पांच गुना ज़्यादा ही है. मगर इस छोटे से देश ने इंसानियत के काम आने वाली बहुत सी चीज़ें ईजाद की हैं. इस देश को जीनियस का देश कहा जाता है. क्योंकि यहां के लोगों ने इंसानों के काम आनी वाली बहुत सी चीज़ें बनाईं.
इस देश का नाम है स्कॉटलैंड. ये इंग्लैंड का पड़ोसी है और यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा.
अब ज़रा इस देश की हमारी ज़िंदगी में असर की कुछ मिसालें देखिए.
अगर आपने कैलेंडर या एनसाइक्लोपीडिया इस्तेमाल किया है, तो आपने स्कॉटलैंड के लोगों की अक़्लमंदी का फ़ायदा उठाया है. अगर आपने टॉयलेट का फ़्लश चलाया है, फ्रिज का इस्तेमाल किया है, साइकिल चलाई है, तो इसके लिए आपको स्कॉटलैंड के लोगों का शुक्रिया कहना चाहिए.
स्कॉटलैंड की देन
अगर आपकी सर्जरी हुई है और सर्जरी के वक़्त आपको दर्द का ज़रा भी एहसास नहीं हुआ, तो इसके लिए आपको स्कॉटलैंड का शुक्रगुज़ार होना चाहिए.
भाप की ताक़त पहचान कर इंजन बनाने वाले जेम्स वॉट भी यहीं के थे. और अर्थशास्त्र को अलग विषय के तौर पर स्थापित करने वाले एडम स्मिथ भी स्कॉटिश थे.
कहने का मतलब ये कि अक़्लमंदी और क्रिएटिविटी के मैदान में स्कॉटलैंड ने इतनी बाज़ियां मारी हैं कि गिनना मुश्किल है.
आप कभी स्कॉटलैंड जाएं, तो वहां का माहौल, वहां की आबो-हवा और रहन-सहन आपको इस देश के बेहद ख़ास होने का एहसास कराते हैं.
राजधानी एडिनबरा में घुसते ही मशहूर एडिनबरा कैसल धरती का सीना चीरकर निकली हुई इमारत लगती है. शहर का शांत माहौल चीखता सा लगता है.
यहां की गलियां, विलुप्त हो चुका ज्वालामुखी आर्थर, शहर की ठसाठस भरी क़िताब की दुकानें हर क़दम पर इस मुल्क़ के अलहदा और ख़ास होने का एहसास कराती चलती हैं.
हैरी पॉटर सीरीज़ की क़िताबों की लेखिका जे के रॉलिंग को कामयाबी यहीं आकर मिली. जब वो 1993 में स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबरा पहुंची थीं, तो वो दो बच्चों की मां थीं. मगर वो अकेली थीं, जिन्हें इन बच्चों की परवरिश करनी थी.
एडिनबरा के रेस्तरां एलीफ़ैंट हाउस और निकोलसन कैफ़े में बैठकर उन्होंने हैरी पॉटर और उसके किरदारों को गढ़ा. एलीफ़ैंट हाउस के बाहर तो एक बोर्ड भी लगा हुआ है-हैरी पॉटर का जन्म स्थान!
हैरी पॉटर सीरीज़ की क़िताबें पढ़ते हुए अगर आप एडिनबरा और आस-पास के माहौल पर नज़र डालें तो बहुत सी चीज़ें मेल खाती हुई मिलेंगी. मसलन, हॉगवार्ट्स, शहर के जॉर्ज हेरियट स्कूल से मिलता-जुलता है.
जीनियस लोगों में सबसे आगे
स्कॉटलैंड बेहद छोटा सा देश है. मगर जीनियस लोगों की लिस्ट में शायद सबसे ज़्यादा नाम इसी देश के लोगों के होंगे. यहां पर इयान रैंकिन जैसे रहस्यमयी लेखक हुए, तो, एलेक्ज़ेंडर मैक्काल स्मिथ जैसे नंबर 1 लेडीज़ डिटेक्टिव एजेंसी सीरीज लिखने वाले भी हुए.
स्कॉटलैंड में सिलिकॉन ग्लेन नाम की जगह भी है, जहां आज की तारीख़ में हाई टेक रिसर्च हो रही है. यहीं पर बनावटी हाथ-पैर की नई पीढ़ी का ईजाद किया गया, जिसे आप ऐप के ज़रिए चला सकते हैं.
आख़िर स्कॉटिश लोगों की क्रिएटिविटी का राज़ क्या है?
नाटककार डोनाल्ड कैम्पबेल कहते हैं कि स्कॉटलैंड हमेशा ही दुनिया को चौंकाता रहा है. एडिनबरा के मशहूर लेखक रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन ने अपनी क़िताब Edinburg:Picturesque Notes में इसके बारे में लिखा है.
सनकी होते हैं यहां के लोग
यहां के लोग भी निराले हैं. भयंकर सर्दी में भी यहां लोग टी-शर्ट और निकर में दौड़ते हुए मिल जाएंगे.
इस देश में ग़ज़ब का विरोधाभास है. एक तरफ़ एडम स्मिथ हैं, जिन्होंने अर्थशास्त्र की खोज की. वहीं दूसरी तरफ़ थॉमस कार्लाइल भी हैं, जिन्होंने इसे वाहियात विज्ञान कहकर मज़ाक़ उड़ाया. स्थानीय टीचर म्यूरियल किर्टोन कहती हैं कि स्कॉटिश लोग थोड़े सनकी होते हैं.
ख़ब्त में फ़ैसले करते हैं. किर्टोन कहती हैं कि वो आम तौर पर बहुत सोच-समझकर फ़ैसले लेती हैं. मगर एक बार बस उन्होंने सनक में ही दक्षिण अमरीका घूमने जाने का फ़ैसला कर लिया था.
स्कॉटलैंड, यूनाइटेड किंगडम के एक छोर पर बसा है. यहां पर खोज और ईजाद को बहुत तरज़ीह दी जाती है. इसकी मिसाल एडिनबरा में लगने वाला विज्ञान मेला है. यहां पर आपको अजीबो-ग़रीब चीज़ें देखने को मिलेंगी.
इसी तरह अगस्त में यहां पर एडिनबरा फ्रिंज फेस्टिवल होता है. ये कला का दुनिया का सबसे बड़ा मेला है.
नया सोचते रहते हैं
बाहर से आकर स्कॉटलैंड में बसे रॉबर्ट बीयर कहते हैं कि यहां सर्दी के दिन, क्रिएटिविटी के लिहाज़ से सबसे अच्छे होते हैं. भयंकर ठंड पड़ती है. इसकी वजह से लोग घरों से निकल नहीं पाते. घर बैठे-बैठे और क्या करें, तो लोग कुछ नया सोचते हैं, कुछ नया खोजते हैं.
लेकिन भयंकर ठंड में भी यहां बहुत से लोग नहर के किनारे बेहद कम कपड़ों में टहलते-घूमते मिल जाएंगे. उन्हें अपने लेखक रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन की बात पर अमल करते देखा जा सकता है. स्टीवेंसन ने कहा था-चलते रहना ही ज़िंदगी है.
स्कॉटलैंड अजब-ग़ज़ब देश है. कभी मौक़ा लगे तो घूम आइए.
(मूल लेख अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, जो बीबीसी ट्रैवल पर उपलब्ध है.)
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