पाकिस्तान: क्या कराची अब भी है दुनिया का सबसे ख़तरनाक शहर?

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पाकिस्तान, आज की तारीख़ में दुनिया के सबसे ख़तरनाक मुल्क़ों में गिना जाता है. ये कई चरमपंथी संगठनों का गढ़ रहा है. तमाम देश अपने नागरिकों को पाकिस्तान आने-जाने से रोकते हैं.
पेशावर से लेकर क्वेटा तक आए दिन चरमपंथी घटनाएं होती रहती हैं. अमरीका से लेकर भारत तक के सांसद, पाकिस्तान को चरमपंथी देश घोषित करने की मांग करते रहते हैं.
कराची, पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है. आज़ादी से पहले कराची, बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था. बाद में अंग्रेज़ों ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग सिंध सूबा बनाकर कराची को इसकी राजधानी बनाया.
कराची और हमारा मुंबई शहर एक दौर में कमोबेश एक जैसे हुआ करते थे. आज भी कराची को पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहा जाता है.
कराची शहर की आबादी दो करोड़ से ज़्यादा करोड़ है. ये दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले शहरों में से एक है.

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देश के बंटवारे के बाद भारत से गए बहुत से लोग कराची और आस-पास बसे थे. इनके संगठन मुहाज़िर क़ौमी मूवमेंट की कराची में बरसों तक बादशाहत रही थी. मुंबई की तरह कराची शहर भी साठ और सत्तर के दशक में गैंगवार का शिकार रहा था.
अस्सी के दशक में अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के चलते यहां तमाम चरमपंथी संगठनों ने ठिकाने बना लिए. कराची पर अराजकता का राज हो गया.
साल 2013 में कराची को दुनिया का सबसे ख़तरनाक शहर बताया गया था, जहां राजनीतिक गैंगवॉर, चरमपंथी हमले और अपहरण की घटनाएं आए दिन होती रहती थीं.
पिछले दो सालों से पाकिस्तान की फौज ने कराची की साफ़-सफ़ाई का अभियान चलाया हुआ है. गलियों में हो रहे गैंगवार पर पाबंदी लगी है. चरमपंथी घटनाओं पर भी कुछ लगाम लगी है.
शहर के कुछ लोग इसकी सूरत और इमेज बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ लोगों से मिले बीबीसी के बेंजामिन ज़ैंड. उन्होंने कराची में कुछ बेहद दिलचस्प लोगों से मुलाक़ात की.

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इनमे से एक हैं जहांज़ेब सलीम. सलीम एक टुअर गाइड हैं. वो कराची की मशहूर रंगीन बस सुपर सवारी एक्सप्रेस में सैलानियों को बैठाकर कराची की सैर कराते हैं.
शहर का घंटाघर हो या फिर मशहूर एम्प्रेस मार्केट. वो लोगों को हर जगह की ख़ासियत पूरी शिद्दत से बताते हैं और दिखाते हैं कराची के अनजाने इलाक़े.
कराची का बदनाम इलाका लियारी
कराची का लियारी इलाक़ा बेहद बदनाम है. इसकी बदनामी यहां के अपराधों और गैंगवार की वजह से रही है.
मगर इस बदनाम इलाक़े में बदलाव का दिया जला रही हैं, सबीना. सबीना लियारी इलाक़े में ग़रीब बच्चों को तालीम देने के लिए किरन एकेडमी चलाती हैं.
यहां उन ग़रीब बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराई जाती है, जिनके मां-बाप ख़र्च नहीं उठा सकते. यहां बच्चों के मां-बाप को भी पढ़ाया जाता है. किरन एकेडमी के बच्चों से जब बेंजामिन ने बात की, तो किसी ने कहा कि वो वैज्ञानिक बनना चाहते हैं तो किसी ने कहा कि वो पाकिस्तान की राष्ट्रपति बनना चाहते हैं.

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एक बच्ची ने तो ये कहा कि वो बस देश में अच्छा बदलाव लाना चाहती है, उसे किसी ओहदे की ज़रूरत नहीं.
कराची: क्रिकेट बनाम फुटबॉल
यूं तो पाकिस्तान में क्रिकेट के प्रति ज़बरदस्त दीवानगी है. मगर, कराची में बहुत से लोग फुटबॉल के भी शौक़ीन हैं.

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यहां पर फुटबॉल के क़रीब पौने दो सौ क्लब हैं. इन्हीं में से एक के साथ बेंजामिन ने एक मैच भी खेला. वहां उन्हें फुटबॉल कोच मिशाल हुसैन भी मिलीं.
मिशाल ने कहा, 'पाकिस्तान का माहौल ऐसा है कि लड़कियां स्पोर्ट्स में करियर बनाने की कम ही सोचती हैं. मगर धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है.'

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वो बताती हैं कि स्थानीय फुटबॉल कोचिंग में आज 100 लड़के आते हैं, तो पैंतीस लड़कियां भी आती हैं. मिशाल को उम्मीद है कि माहौल और भी बेहतर होगा.
अली गुल पीर कराची के युवा रैपर और कॉमेडियन हैं. वो अपने मज़ाहिया गानों और संगीत के ज़रिए पाकिस्तानी समाज की सोच बदलने की कोशिश कर रहे हैं.
अली गुल पीर ने अपने गानों के ज़रिए पाकिस्तानी समाज की कई बुराईयों पर चोट की है. वो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं.

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पाकिस्तान को कैसे बदल रहा है म्यूज़िक
पीर ने तलाक़ और सामंतवादी सोच पर चोट करने वाले कई रैप सॉन्ग लिखे हैं. अली को इसके लिए कई बार धमकियां भी मिल चुकी हैं. मगर वो इससे डरे नहीं.
अली गुल पीर का कहना है कि लोग उनके गाने सुनकर ख़ुश होते हैं. हंसते भी हैं और सोचते भी हैं. बस, लोगों की हंसी ही अली को तसल्ली देती है कि वो कुछ अच्छा कर रहे हैं.
कराची में आ रहे ये छोटे-छोटे बदलाव एक उम्मीद तो जगाते ही हैं.
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