ये है दुनिया का सबसे बड़ा प्रेशर कुकर

आज आपको ले चलते हैं दुनिया के सबसे बड़े प्रेशर कुकर की सैर पर.

आप अचरज में न पड़ें. ये प्रेशर कुकर कोई आम प्रेशर कुकर नहीं है. ये तो क़ुदरती है और एक बड़े इलाक़े में फैला हुआ है.

ये इलाक़ा है मध्य एशियाई देश अज़रबैजान का अब्शरां प्रायद्वीप.

अब्शरां प्रायद्वीप, दुनिया की सबसे बड़ी झील कहे जाने वाले कैस्पियन सागर से लगा हुआ है. इसी में अज़रबैजा़न की राजधानी और मध्य एशिया का ख़ूबसूरत शहर बाकू भी स्थित है.

बाकू के इचेरी शहर इलाक़े में तमाम रेस्तरां आबाद हैं.

बाकू का चलन

यहां रोज़ शाम के वक़्त घर से बाहर खाने का चलन है. आम तौर पर लोग मेमने या बकरी के गोश्त के कबाब के साथ नान खाते हैं.

किसी भी रेस्तरां में घुसने पर ताज़ी रोटी के तंदूर में सेंके जाने की सौंधी ख़ुशबू आती मिलती है.

बाकू शहर या अब्शरां प्रायद्वीप की ये ख़ूबी नहीं. असल में तो ये लोग इस बात से बेख़ौफ़ हैं कि वो दुनिया के सबसे बड़े प्रेशर कुकर कहे जाने वाले इलाक़े के बाशिंदे हैं.

यहां कभी भी ज़मीन के भीतर से चिंगारी फूट निकलती है. कीचड़ के ज्वालामुखी विस्फोट हो जाते हैं.

असल में अब्शरां प्रायद्वीप में ज़मीन के नीचे भारी तादाद में नेचुरल गैस के भंडार हैं. जब मीथेन गैस का दबाव बढ़ जाता है, तो वो कहीं भी मुलायम सतह से बाहर आने लगती है, तेज़ रफ़्तार से गैस यूं ज़मीन से निकलती है, मानो कीचड़ का ज्वालामुखी फट गया हो.

कीचड़ के ज्वालामुखी

अज़रबैजान में 400 से ज़्यादा कीचड़ के ज्वालामुखी हैं.

दुनिया के कुल क़रीब एक हज़ार ऐसे ज्वालामुखियों में से सबसे ज़्यादा यहीं पर मौजूद हैं.

इनमें अक्सर विस्फोट होते रहते हैं. जो आम तौर पर ख़तरनाक नहीं होते हैं. मगर कई बार भयानक मंज़र भी देखने को मिलता है.

साल 2001 में बाकू से 15 किलोमीटर दूर लोकबतन नाम के ज्वालामुखी में इतना ज़बरदस्त विस्फोट हुआ था कि आसमान में सैकड़ो मीटर ऊंची चिंगारियां देखी गई थीं.

पूरा आसमान कीचड़ और धुएं से भर गया था. सबसे ताज़ा विस्फोट 6 फरवरी 2017 को हुआ था.

जब बाकू के उपनगरीय इलाक़े में स्थित ओटमान बोज़दाग ज्वालामुखी से 350 मीटर ऊंचे शोले निकले थे. राहत की बात ये रही कि इस विस्फोट में कोई घायल नहीं हुआ.

40 हज़ार साल पुराना कल्चर

पूरे इलाक़े का यही हाल है. कभी भी, कहीं भी गैस के निकलने से विस्फोट हो सकता है. आग लग सकती है. फिर भी इस इलाक़े में हज़ारों साल से लोग रहते आए हैं.

बाकू से क़रीब 64 किलोमीटर दूर स्थित गोबुस्तां रॉक आर्ट कल्चरल लैंडस्केप इसकी मिसाल है.

ये यूनेस्को की वैश्विक विरासत की फेहरिस्त में शामिल है. यहां आप चट्टानों पर बनी कलाकृतियां देख सकते हैं. ये पांच से 40 हज़ार साल तक पुरानी हैं.

साफ़ है कि तमाम ख़तरों के बावजूद यहां हज़ारों साल से इंसान आबाद हैं.

आज से क़रीब दो हज़ार साल पहले इसी ज़मीन पर पारसी धर्म फला-फूला था. पारसी, आग को ईश्वर का प्रतीक मानते हैं.

ज़मीन में धधकती आग

वो मानते हैं कि आग सबसे पवित्र चीज़ है. यहां उस दौर में भी ख़ुद ब ख़ुद ज़मीन में आग लग जाया करती थी. इसी क़ुदरती प्रक्रिया ने दुनिया के पहले एकेश्वरवादी धर्म को फलने-फूलने की जगह मुहैया कराई.

अज़रबैजान को अपना नाम भी इसी वजह से मिला है, अज़र का मतलब आग ही होता है. यहां का मशहूर आतिशगाह फायर टेंपल इस बात की मिसाल है.

हालांकि यहां की लपटें क़ुदरती नहीं हैं. मंदिर का निर्माण सैकड़ों साल पहले हुआ था. सिल्क रूट पर स्थित बाकू में सैकड़ों साल पहले हिंदू, पारसी और दूसरे धर्मों के लोग आते-जाते मिला करते थे, वो एक-दूसरे को यूरोप, अफ्रीका और मध्य एशिया के सफ़र की दास्तानें सुनाया करते थे.

यानार दाग़ पहाड़ी

आज, अब्शरां प्रायद्वीप आग लगने और कीचड़ के ज्वालामुखियों की अपनी क़ुदरती ख़ूबी की वजह से दुनिया भर में मशहूर है.

दूर-दूर से सैलानी इन्हें देखने आते हैं. इस साल से तो अज़रबैजान ने अपने वीज़ा नियमों में और ढील दे दी है. जलती हुई यानार दाग़ पहाड़ी यहां का सबसे लोकप्रिय ठिकाना है.

आज से 70 साल पहले किसी ने पहाड़ी पर सिगरेट फेंक दी थी. तब से लगी आग यहां आज तक जल रही है. क़रीब दस वर्ग मीटर के दायरे में यहां हमेशा ही आग लगी रहती है.

अपने क़ुदरती संसाधनों की वजह से अज़रबैजान तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा है. नेचुरल गैस और तेल के भंडार यहां प्रचुर मात्रा में हैं. यहां 1846 से कच्चा तेल निकाला जा रहा है. जबकि इसमें ख़तरा बहुत है.

आधुनिकता की मिसाल

स्थानीय लोग मानते हैं कि जब तक वो कीचड़ वाले ज्वालामुखी से दूर बसे हैं, तब तक उन्हें कोई नुक़सान नहीं होगा.

तेल और गैस के निर्यात से मिली रक़म से अज़रबैजान तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा है. आज बाकू शहर परंपरा और आधुनिकता के मेल की मिसाल नज़र आता है. शहर में बने फायर टॉवर, जो आग की लपटों की तरह दिखते हैं, वो आधुनिकता की मिसाल हैं.

तो इसी के आस-पास स्थित पुरानी इमारतें, अज़रबैजान की प्राचीन संस्कृति और परंपरा की गवाही भी देती हैं.

(बीबीसी ट्रेवल का यह मूल लेख आप अंगरेज़ी में इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं)

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