इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को बचाने में लगा एक अंतरिक्ष यात्री

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

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    • Author, रिचर्ड हॉलिंघम
    • पदनाम, बीबीसी फ़्यूचर

इंसान के हाथों और अक़्ल ने एक से एक करामातें दुनिया को दिखाई हैं. ऐसे-ऐसे शाहकार बनाए हैं, जिन पर यक़ीन करना मुश्किल हो. इंजीनियरिंग के एक से एक कमाल इंसान ने दिखाए हैं.

इंजीनियरिंग का ऐसा ही कमाल है, अंतरिक्ष में इंसान का घर. इस घर को हम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के नाम से जानते हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इंजीनियरिंग के कमाल की सबसे बड़ी मिसाल है. यहां लोग रहते हैं. काम करते हैं. तमाम तरह के प्रयोग करते हैं. पिछले कई बरस से ये सिलसिला चला आ रहा है.

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

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सबसे ज़्यादा स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को मुख्य तौर पर अमरीका और रूस की स्पेस एजेंसियां मिलकर चलाती हैं. हालांकि इसमें जापान, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश भी साझीदार हैं. यहां रहने वाले अंतरिक्ष यात्री अक्सर अंतरिक्ष में बाहर निकलकर स्पेसवॉक करते हैं. वो कई बार दूरबीनों, सोलर पैनल या अंतरिक्ष की दूसरी मशीनों में आई गड़बड़ी को ठीक करते हैं.

डॉक्टर माइकल फोल ऐसे ही एक शख़्स हैं जिनके नाम सबसे ज़्यादा स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड है. डॉक्टर माइकल फोल ब्रिटिश मूल के स्पेस साइंटिस्ट हैं. उन्होंने कई साल तक अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के साथ काम किया है.

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8 घंटे की स्पेसवॉक

माइकल फोल के नाम कई रिकॉर्ड हैं. वो 6 बार स्पेस मिशन पर गए हैं. वो अमरीकी स्पेस शटल से भी अंतरिक्ष में गए हैं और रूस के मशहूर सोयुज रॉकेट पर सवार होकर भी. डॉक्टर माइकल सोवियत संघ के स्पेस स्टेशन मीर में भी रह चुके हैं.

स्पेस स्टेशन पर रहते हुए माइकल फोल ने चार बार स्पेसवॉक की थी. यानी उन्होंने खुले अंतरिक्ष में क़रीब 23 घंटे बिताने का रिकॉर्ड भी बनाया हुआ है. वो रूस और अमरीकी दोनों के अंतरिक्ष यात्रियों के पहने जाने वाले स्पेससूट पहन चुके हैं.

एक बार अमरीका की मशहूर स्पेस दूरबीन हबल में आई ख़राबी दूर करने और उसके कंप्यूटर को अपग्रेड करने के लिए माइकल फोल ने 8 घंटे की स्पेसवॉक की थी.

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माइकल की सूझ-बूझ

माइकल फोल अपना सबसे दिलचस्प तजुर्बा 1997 का बताते हैं. उस वक़्त वो सोवियत संघ के ज़माने के स्पेस स्टेशन मीर पर काम कर रहे थे. रूस का सप्लाई रॉकेट आकर मीर से टकरा गया था. इस वजह से मीर का सोलर पैनल टूट गया. मीर स्टेशन की बत्ती गुल हो गई. टक्कर इतनी भयानक थी की मीर अंतरिक्ष में बड़ी तेज़ी से घूमने लगा.

उस वक़्त माइकल फोल ने दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की मदद से पहले तो सोयुज रॉकेट को तैयार किया ताकि हालात बिगड़ने पर वो वहां से सुरक्षित निकल सकें. फिर उन्होंने मीर को इस हादसे से हुए नुक़सान की मरम्मत की.

वीडियो कैप्शन, कैसा होता है एक साल अंतरिक्ष में बिताना

माइकल की सूझ-बूझ से मीर वापस अपनी कक्षा में लाया जा सका. उन्होंने इसकी मरम्मत की. इसकी वजह से मीर आगे भी काफ़ी दिनों तक काम करता रहा था.

बीस साल पुरानी उस घटना को याद करके माइकल फोल कहते हैं कि उन्हें हादसे से ज़रा भी डर नहीं लगा था सिर्फ़ दस सेकेंड में ही उन्होंने सोच लिया था कि आगे क्या करना है. अपने तजुर्बे की मदद से उन्होंने न सिर्फ़ अपनी जान बचाई, बल्कि मीर स्टेशन को भी तबाह होने से बचा लिया.

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दो दशकों से चल रहा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

बीस साल पहले एक स्पेस स्टेशन को बचाने वाले डॉक्टर माइकल फोल अब एक और स्पेस स्टेशन को बचाना चाहते हैं. ये है आज का इंटरनेशन स्पेस स्टेशन.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन साल 2000 से लगातार काम कर रहा है. 1998 में जब इसे बनाने की शुरुआत हुई थी, तो इसका बहुत विरोध हो रहा था. वजह ये थी कि ये प्लान से काफ़ी पीछे चल रहा था. सियासी खींचतान की वजह से भी इसमें काफ़ी देर हो रही थी.

वीडियो कैप्शन, ऐसे होगी अंतरिक्ष की सफ़ाई

लेकिन आज स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में अपनी ज़िंदगी के क़रीब दो दशक बिता चुका है. इस पर रहते हुए इंसान ने तमाम तजुर्बे किए हैं. तभी तो लगता है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर हुआ 100 अरब डॉलर का ख़र्च बेकार नहीं गया.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ने साबित किया है कि इंसान लंबे वक़्त तक अंतरिक्ष में रह सकते हैं. वहां काम कर सकते हैं. इससे साइंस के कई प्रोजेक्ट पूरे किए जा सके हैं.

इंटरनेशन स्पेस स्टेशन इस बात की भी मिसाल है कि जो देश धरती पर अपने झगड़े नहीं सुलझा सके, वो अंतरिक्ष में आराम से मेल-जोल से काम कर सकते हैं. इस स्पेस स्टेशन को अमरीका और रूस ने मिलकर बनाया और पिछले क़रीब दो दशकों से साझा तौर पर चला रहे हैं.

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लेकिन अब इसके दिन गिने चुने शेष

माइकल फोल इस स्पेस स्टेशन के काम पर निगरानी करने वाले अंतरराष्ट्रीय कमीशन के सदस्य हैं. वो आजकल बहुत परेशान हैं, क्योंकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के दिन अब गिने-चुने ही रह गए हैं.

इसे चलाने वाले नासा, रूसी और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने कहा है कि वो 2024 के बाद इसे चलाने में पैसे नहीं ख़र्च करेंगे. मतलब ये कि 6 साल बाद दुनिया का सबसे महंगा स्पेस प्रोजेक्ट बंद हो जाएगा. फिर इसे रूस का प्रोग्रेस रॉकेट धक्का देकर प्रशांत महासागर में गिरा देगा.

माइकल फोल बताते हैं कि रूस हर साल आईएसएस के सर्विस मॉड्यूल में ईंधन भर रहा है, ताकि वक़्त आने पर इसे कक्षा से बाहर धकेला जा सके. फोल कहते हैं कि ये बहुत ख़राब प्लान है. ये पैसे, मेहनत और वक़्त की बर्बादी वाली योजना है, जिसे फ़ौरन रोक दिया जाना चाहिए. फोल चाहते हैं कि तमाम देश मिलकर आगे भी स्पेस स्टेशन को चलाते रहें.

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देशों के सियासी एजेंडे बदल गए

मगर, दौर बदल गया है. तमाम देशों के सियासी एजेंडे भी बदल गए हैं और स्पेस मिशन भी. अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि नासा दोबारा चांद पर मिशन भेजने पर ध्यान दे.

इसके लिए चांद की कक्षा में एक स्पेस स्टेशन बनाने का इरादा है. ताकि अंतरिक्ष यात्री पहले इस स्पेस स्टेशन पर जाएं. फिर वो चांद पर जाएं और वहां पर इंसान के रहने का अड्डा बनाएं.

वीडियो कैप्शन, क्या अंतरिक्ष यात्रियों तक पहुंच सकता है पिज़्ज़ा?

यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी इस मिशन में अमरीका के साथ है, और रूस भी. उधर, चीन भी चांद पर मिशन भेजने की योजना पर काम कर हा है.

नासा और दूसरी स्पेस एजेंसियां अब अपना सारा पैसा नए मिशन पर लगाना चाहती हैं. इसलिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को चलाने में पैसे ख़र्च करने से कतरा रही हैं.

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क्यों स्पेस स्टेशन पर खर्च नहीं कर रहे देश?

अब अगर अमरीकी संसद नासा को और पैसे नहीं देती है, तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रक़म नहीं लगायी जा सकती. न ही नासा अपने दूसरी योजनाओं में कटौती कर सकता है. साफ़ है कि आईएसएस के लिए आसार अच्छे नहीं हैं.

माइकल फोल कहते हैं कि नासा चांद और मंगल पर भी मिशन भेजे. साथ ही आईएसएस पर भी अंतरिक्ष यात्री, खान-पान और दूसरे सामान भेजे, ये संभव नहीं है.

नासा छोड़ने के बाद माइकल फोल निजी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं. वो मानते हैं कि निजी कंपनियां अपने पैसे लगाकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को बचा सकती हैं. अभी भी कुछ कंपनियां आईएसएस में अपने प्रयोग करती हैं. जैसे कि नैनोरॉक्स नाम की कंपनी.

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क्या है स्पेस स्टेशन का भविष्य?

इस स्पेस स्टेशन से कई छोटे सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए हैं. इन सैटेलाइट्स को स्पेसएक्स कंपनी के ड्रैगन रॉकेट की मदद से पहुंचाया गया है.

पैसे कमाने के लिए रूसी स्पेस एजेंसी कुछ सैलानियों को भी स्पेस स्टेशन की सैर करा चुकी है. रूस ने आईएसएस को स्पेस होटल में तब्दील करने का भी सुझाव दिया है.

वीडियो कैप्शन, वो यान जो अंतरिक्ष में ले गया था

एमेज़न, स्पेसएक्स और वर्जिन गैलेक्टिक जैसे कुछ मिशन ऐसे हैं जिन्हें निजी कंपनियां आगे बढ़ा रही हैं. इन्हें देखकर ही माइकल फोल को उम्मीद जगी है कि इंटरनेशन स्पेस स्टेशन को बचाया जा सकता है.

आईएसस को बचाने के लिए माइकल फोल एक वेबसाइट लॉन्च करने वाले हैं.

वो सरकारों पर इस बात का दबाव बनाना चाहते हैं कि वो स्पेस स्टेशन का ख़र्च उठाती रहें. ताकि इंजीनियरिंग के इस कमाल का फ़ायदा आने वाली नस्लें भी उठा सकें.

(मूल लेख अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, जो बीबीसी फ़्यूचर पर उपलब्ध है.)

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