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कैफ़ को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मोहम्मद कैफ़ चैंपियंस ट्रॉफ़ी में खेलने को बेताब हैं लेकिन उन्हें पता नहीं कि सितारों से भरे भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम में उन्हें जगह मिलेगी या नहीं. कैफ़ का कहना है कि टीम से बार बार बाहर निकलना और फिर वापसी करके ध्यान लगा कर खेलना मुश्किल होता है. वो कहते हैं कि बुरा खेलने पर तो खुद को समझाया जा सकता है लेकिन अच्छा खेलने के बावजूद बाहर बैठना बुरा लगता है. पेश है, उनसे हुई बातचीत के अहम अंश... अब तो मध्य क्रम में खेलने वाले कई बल्लेबाज़ हैं भारत के पास. किस तरह की प्रतियोगिता होती है आपके और साथी खिलाड़ियों के बीच, टीम में जगह पाने को लेकर? मध्य क्रम के बल्लेबाज़ों के बीच अच्छी ख़ासी प्रतियोगिता है जो कि एक अच्छी बात है. अब ऑस्ट्रेलिया को ही लीजिए, उनके खिलाड़ी भी तो बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में प्रतियोगिता होने की वजह से ही इतना अच्छा खेल पाते हैं. बस ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका किसके साथ कॉम्पटीशन चल रहा है, बाहर वाले लोग क्या कह रहे हैं. मैं पाँच साल से इस लेवल पर खेल रहा हूँ और मुझे पता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टिकने के लिए क्या करना होता है, बस मौक़े का इंतज़ार है. पिछले एक साल में भारत ने तरह-तरह के प्रयोग किए हैं जो कई बार चले लेकिन कई बार उलटे भी पड़े. क्या प्रयोगों का सिलसिला अब टीम प्रबंधन को रोक नहीं देना चाहिए क्योंकि चैंपियन्स ट्रोफ़ी के बाद वर्ल्ड कप में ज़्यादा समय नहीं रह गया है? टीम मेनेजमेंट ने जो भी प्रयोग किए हैं उनसे फ़ायदा हुआ है. सिर्फ़ वेस्ट इंडीज़ और मलेशिया में हुए वनडे मैचों को छोड़ दें तो पिछले एक साल में हमारा प्रदर्शन ज़बर्दस्त रहा है. अब हमें अन्दाज़ा हो गया है कि कौन से कॉम्बिनेशन काम करते हैं और कौन से नहीं, कौन सा बल्लेबाज़ किस नंबर पर अच्छा खेल सकता है और किस नंबर पर नहीं. तो अब से लेकर वर्ल्ड कप तक आप देखेंगे कि हम एक साफ़ रणनीति के साथ उतरेंगे. टीम में आपकी भूमिका क्या है? मैं सचिन और धोनी की तरह नहीं खेल सकता, उनकी जगह नहीं ले सकता. वो अलग तरह की क्षमता वाले खिलाड़ी हैं और जब मैं उनके साथ बल्लेबाज़ी करता हूँ तो मेरा काम होता है उनके साथ विकेट पर खड़े रह कर लंबी साझेदारी बनाना. अगर मान भी लें कि बल्लेबाज़ अपनी जानी पहचानी पिचों पर खोई फ़ॉर्म वापस पा लेंगे, आपके प्रमुख गेंदबाज़ इरफान पठान भी तो संघर्ष कर रहे हैं. क्या टीम के लिए ये चिंता का विषय नहीं. कोई चिन्ता नहीं है. चैंपियंस ट्रॉफ़ी में हम हमेशा अच्छा खेले हैं, हम घर पर खेल रहे हैं और सचिन भी वापस आकर अच्छी फ़ॉर्म में हैं. हमारे पास मैच जिताने वाले और भी खिलाड़ी हैं जो अपनी ज़मीन पर खेलते हुए हर टीम पर भारी पड़ सकते हैं. हमने इंग्लैंड को वनडे सीरीज़ में 5-1 से पीटा था और यहाँ भी पहला मैच उनसे है तो उन्हें एक बार फिर हराएँगे और अच्छी शुरुआत से टूर्नामेंट में आगे बढ़ेंगे. तो क्या इस बार भारत चैंपियन्स ट्रोफ़ी जीतने का दावेदार है? यहाँ तो हर कोई दावेदार है. सभी टीमें कई-कई बार भारत का दौरा कर चुकी हैं और यहाँ के हवा-पानी और पिचों से अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं. जो भी टीम इन 15-20 दिनों में लगातार अच्छा खेलेगी, वही जीतेगी. मलेशिया और वेस्ट इंडीज़ को तो हम बहुत पहले भुला चुके हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें 'टीम में ज़्यादा बदलाव न हो'08 अक्तूबर, 2006 | खेल यूनिस ही रहें कप्तान:ज़हीर अब्बास07 अक्तूबर, 2006 | खेल इंग्लैंड के हिस्से में सिरीज़ की पहली जीत12 अप्रैल, 2006 | खेल लक्ष्मण, कैफ़ और श्रीसंत नहीं खेलेंगे08 मार्च, 2006 | खेल नागपुर में कैफ़ और कुंबले ने पारी संभाली03 मार्च, 2006 | खेल कैफ़ को बुलावा, गांगुली अभी भी बाहर06 नवंबर, 2005 | खेल | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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