शनिवार, 03 जून, 2006 को 19:42 GMT तक के समाचार
नोवी कपाड़िया
फ़ुटबॉल विशेषज्ञ
इस साल विश्व कप में सबसे बड़ी दावेदार टीम मौजूदा चैम्पियन ब्राज़ील ही है. सट्टा बाज़ार में भी सटोरिए सबसे ज़्यादा पैसा ब्राज़ील पर ही लगा रहे हैं.
लेकिन अगर हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पता चलता है कि यूरोप में जितने भी विश्व कप हुए हैं, उनमें एक बार ही दक्षिण अमरीकी देश को ख़िताब जीतने का मौक़ा मिला है.
वो भी 1958 में जब ब्राज़ील ने स्वीडन को हराया था. उसके बाद जब भी यूरोप में विश्व कप हुआ, तो ज़्यादातर फ़ाइनल मैच यूरोप के दो देशों के बीच ही हुआ.
लेकिन अब स्थितियाँ बदली हैं और दक्षिण अमरीकी देश भी यूरोप के मौसम और मैदान पर अपना जलवा दिखा रहे हैं. 1998 में भले ही ब्राज़ील की टीम फ़ाइनल में फ़्रांस से हार गई लेकिन फ़ाइनल तक तो पहुँची ही.
दरअसल यूरोप के लीग मुक़ाबलों में दक्षिण अमरीकी देशों के कई शीर्ष खिलाड़ी खेलते हैं. अब अर्जेंटीना टीम का ये आलम है कि उनके 23 में से 22 खिलाड़ी विभिन्न यूरोपीय क्लबों से खेलते हैं.
ब्राज़ील इसलिए भी सबसे बड़ा दावेदार है, क्योंकि उसके पास विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं. जैसे- रोनाल्डिनियो, रोनाल्डो, काका, रोबर्तो कार्लोस, एड्रियानो, इमरसन. ब्राज़ील के पास डीडा के रूप में इस समय बेहतरीन गोलकीपर भी है.
इसके अलावा अर्जेंटीना, इंग्लैंड, जर्मनी और इटली को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. वेन रूनी अगर पूरी तरह फ़िट हुए और नॉक ऑउट राउंड में खेलें, तो इंग्लैंड अच्छा कर सकता है.
इटली की टीम में इस बार स्ट्राइकर बहुत अच्छे हैं. जैसे लूका टोनी. छह फ़ुट चार इंच लंबे टोनी ने क्वालीफ़ाइंग राउंड में है-ट्रिक भी लगाई थी. साथ में डेल पियरो तो है हीं.
डार्क हॉर्स
लेकिन डार्क हॉर्स साबित हो सकती है कि हॉलैंड की टीम. हॉलैंड एक बेहद कठिन ग्रुप में है, लेकिन युवा खिलाड़ियों से भरपूर हॉलैंड कुछ करिश्मा करने की स्थिति में है.
अगर पहला दौर निकल गया, तो हॉलैंड की टीम आगे कमाल कर सकती है. उनके पास रॉबिन, रूड वैन निस्टलरॉय, वैंडावार और मादुरो जैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं.
दूसरी टीम जो उलटफेर कर सकती है, वो चेक गणराज्य है. क्योंकि चेक गणराज्य की टीम पिछले चार सालों से एक-दो बदलाव के साथ वही है. यानी चार साल से टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी खेल रहे हैं.
पॉवेल नेदवेद अपने करियर के अंतिम दौर में हैं. वे चाहेंगे कि उनकी टीम विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करे. उनके पास मिलान बॉरोस जैसे स्ट्राइकर भी हैं.
इस विश्व कप में चार नए देश खेल रहे हैं. चार देश अफ़्रीका से हैं. इसके अलावा त्रिनिदाद एंड टोबैगो और यूक्रेन की टीम विश्व कप में उतर रही है.
नए देशों में यूक्रेन सबसे अच्छी टीम लगती है. यूक्रेन को ग्रुप भी आसान मिला है. उनकी फॉरवर्ड लाइन शेवचेन्को और वॉरनैन तेज़ गति से खेलते हैं. आगे चलकर ये टीम कई देशों को तंग कर सकती है.
आइवरी कोस्ट और घाना भी अच्छी टीम है. लेकिन उनका ग्रुप काफ़ी कठिन है. एशिया से भी किसी भी देश का आगे बढ़ना मुश्किल लगता है.
जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान और सऊदी अरब में दक्षिण कोरिया का पलड़ा थोड़ा भारी ज़रूर लगता है. लेकिन बहुत आगे जाने की संभावना कम ही दिखती है.
खिलाड़ी
सबकी नज़रे इस बार ब्राज़ील के रोनाल्डिनियो पर है. इसके अलावा रोनाल्डो और ब्राज़ील के अन्य सितारे भी कमाल दिखा सकते हैं.
इनके अलावा यूक्रेन के शेवचेन्को पर भी सबकी नज़र होगी, जो शानदार स्ट्राइकर हैं. वे चाहेंगे कि वे इस विश्व कप में छाप छोड़कर जाएँ. क्योंकि 30 साल के हो चुके हैं और संभवत: ये उनका आख़िरी विश्व कप होगा.
इंग्लैंड के दो मिडफ़ील्डर स्टीवेन जेरार्ड और फ़्रैंक लैम्पार्ड भी बेहतरीन फ़ॉर्म में हैं. वेन रूनी से तो उम्मीदें है हीं. जर्मनी के बॉस्टियन स्वाइंसटाइगर भी सबके आकर्षण के केंद्र होंगे, जो जर्मनी को एक नया रूप देते हैं.
साथ ही जर्मनी के कप्तान माइकल बलाक और येन्स लेमैन जो गोलकीपर हैं, उनसे भी काफ़ी उम्मीदे हैं. इटली के लूका टोनी सिर्फ़ 27 साल के हैं. इटली को उन पर काफ़ी भरोसा है.
स्पेन के फ़ैब्रिगास और कप्तान राउल तो है ही. साथ में स्वीडन के इब्राहिमोविच भी अपने प्रदर्शन का जलवा दिखाएँगे.
अगर अर्जेंटीना की बात करें तो दो हीरो निकल सकते हैं. पहले रिकेल्मे और दूसरे मेसी. रिकेल्मे इस समय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिडफ़ील्डर हैं. मेसी को तो दूसरा माराडोना ही कहा जाता है.
ख़ासियत
इस विश्व कप में अफ़्रीका से चार देश आए हैं. लेकिन अच्छी बात है कि नए देश आए हैं. एशिया की तरह हर बार वही देश नहीं आ रहे.
इस बार अंगोला, घाना, टोगो, आइवरी कोस्ट आए हैं. इन्होंने नाइजीरिया, कैमरून और दक्षिण अफ़्रीका को पछाड़ा है. यह अफ़्रीका में प्रतियोगिता का बखान करता है.
त्रिनिदाद एंड टोबैगो विश्व कप के इतिहास में सबसे छोटा देश है. जिसकी आबादी 13 लाख की है. इस देश को पहले या तो ब्रायन लारा या फिर कार्निवल के कारण जाना जाता था. वह देश आज विश्व कप में धुरंधरों के साथ मैदान पर उतरा है.
यूरोप में होने के कारण विश्व कप के दौरान गर्मी नहीं पड़ेगी और साथ में यूरोप के देशों को फ़ायदा भी होगा.
भारत के नज़रिए से देखें तो इस विश्व कप का ख़ुमार पूरे देश में है. पहले यह सिर्फ़ कोलकाता या गोवा में हुआ करता था. यहाँ विश्व कप के लिए 60 करोड़ रुपए के विज्ञापन बिक चुके हैं.