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सोमवार, 24 अक्तूबर, 2005 को 14:41 GMT तक के समाचार

पंकज प्रियदर्शी
बीबीसी संवाददाता

सिरीज़ है 'नाक की लड़ाई'

पिछले कुछ महीने से उठा-पटक के दौर से गुजर रही भारतीय क्रिकेट टीम मंगलवार को श्रीलंका के ख़िलाफ़ सात वनडे मैचों की सिरीज़ के पहले मैच के लिए मैदान में उतरेगी.

अपने सफलतम कप्तान रहे सौरभ गांगुली की ग़ैर मौजूदगी और अपने सफलतम एक दिवसीय क्रिकेट खिलाड़ी रहे सचिन तेंदुलकर की वापसी के बीच भारतीय टीम किस करवट बैठेगी, सवाल कठिन है.

पिछले कुछ महीनों की घटनाओं से श्रीलंका के ख़िलाफ़ ये सिरीज़ कई लोगों के लिए नाक की लड़ाई बन गई है.

सबसे बड़ी नाक की लड़ाई है कोच ग्रेग चैपल के लिए. पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली से अपने विवादों के कारण चर्चित ग्रेग चैपल को अपनी पसंद वाली टीम तो मिली है, लेकिन क्या ये युवा टीम मैदान पर कोई करिश्मा दिखा पाएगा- लाख टके का सवाल है.

जिस पर चैपल समर्थकों के साथ-साथ चैपल से खार खाए बैठे लोगों की भी नज़र होगी. पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के क़रीबी माने जाने वाले सौरभ गांगुली इस समय न टीम के कप्तान हैं और न 15 सदस्यीय टीम में ही शामिल हैं.

समर्थन

गांगुली के साथ विवादों में ग्रेग चैपल को चयनकर्ताओं का ज़रूर समर्थन मिला, लेकिन अगर वे मैदान पर अपने धुरंधरों के करिश्मा न करवा सके, तो यही चयनकर्ता उन्हें किनारे भी कर सकते हैं.

क्योंकि सौरभ गांगुली ने दलीप ट्रॉफ़ी के मैच में पूर्वी ज़ोन की ओर से खेलते हुए शानदार शतक जड़ा और चार विकेट लेकर अपनी टीम को जीत भी दिलाई.

इसलिए अब सारा ध्यान चैपल और उनकी युवा टीम पर है जिसे श्रीलंका जैसी तगड़ी टीम से भिड़ना है. चैपल की नाक बचेगी या उनके विरोधी के वारे-न्यारे होंगे- यह सिरीज़ इसका भी फ़ैसला करेगी.

दूसरे व्यक्ति, जिसके लिए यह सिरीज़ नाक की लड़ाई है- वे हैं कप्तान राहुल द्रविड़. वैसे तो पहले भी द्रविड़ को कई बार कप्तानी मिली है, लेकिन गांगुली की ग़ैर मौजूदगी या फिर किसी विशेष परिस्थिति में.

यह पहली बार हुआ है कि गांगुली पर द्रविड़ को तरज़ीह दी गई है. यानी इस बार द्रविड़ को पता है कि ये उनकी अग्नि परीक्षा है.

अग्नि परीक्षा- इसलिए क्योंकि अगर वे इस बार चूके, तो शायद फिर भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी किसी नए नाम पर विचार कर सकते हैं.

राहुल द्रविड़

यह सिरीज़ द्रविड़ के लिए नाक का सवाल इसलिए भी है, क्योंकि उनकी कप्तानी को लेकर सवाल उठते रहे हैं. मसलन उनमें गांगुली जैसी आक्रमक क्षमता नहीं है और वे खिलाड़ियों को प्रेरित नहीं कर पाते.

द्रविड़ की भारतीय टीम के सामने इस समय श्रीलंका की टीम है, जो एक दिवसीय मैचों की रैंकिंग में दूसरे नंबर पर है. द्रविड़ पिछली बार श्रीलंका दौरे के समय भी कप्तान थे और श्रीलंका के ख़िलाफ़ नाकाम रहे थे.

इस पर गांगुली को हटाकर उनमें भरोसा दिखाया है चयनकर्ताओं ने. इस कारण दबाव तो ज़रूर होगा द्रविड़ पर. द्रविड़ के लिए परेशानी की बात ये है कि उनका फ़ॉर्म आजकल ठीक नहीं चल रहा.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सुपर सिरीज़ में द्रविड़ ने विश्व एकादश की ओर से सभी मैच खेले लेकिन एक में भी उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. तो द्रविड़ के लिए कप्तानी के दबाव के साथ-साथ अपना फ़ॉर्म वापस लाने का भी दबाव होगा.

इन दबावों के बीच द्रविड़ की नाक बचती है या नहीं- सभी क्रिकेट प्रेमी उत्सुक होंगे यह जानने के लिए.

तेंदुलकर पर भी दबाव

और अब बात करते हैं तीसरी और सबसे बड़ी नाक वाले सचिन तेंदुलकर की. जो महीनों बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौट रहे हैं.

वैसे तो उनकी अनुपस्थिति भारतीय टीम को खली ज़रूर है लेकिन एक बड़ा बदलाव आया है टीम में अपना स्थान बचाने को लेकर प्रतियोगिता की.

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के नाम ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड हैं, जो उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में शुमार करते हैं. लेकिन सचिन भी अब जानते हैं कि सिर्फ़ रिकॉर्ड के भरोसे न तो वे चयनकर्ताओं का भरोसा हासिल कर सकते हैं और न क्रिकेट प्रेमियों के दिल में जगह बना सकते हैं.

हाल ही में चैलेंजर ट्रॉफ़ी में सचिन तेंदुलकर मैदान पर तो आए, लेकिन उन्होंने सबको निराश ही किया.

भारतीय टीम में आने को कई खिलाड़ी तैयार बैठे हैं, इनमें तो कुछ वीवीएस लक्ष्मण जैसे अनुभवी हैं तो कुछ धीरज जाधव और श्रीधर श्रीराम जैसे नए खिलाड़ी.

ऐसे में सचिन का रिकॉर्ड भले ही कुछ समय के लिए उन्हें बचा ले जाए लेकिन लंबे दौर के लिए उन्हें अपने को मैदान पर साबित करके दिखाना होगा.

टेनिस एल्बो के ऑपरेशन के बाद सचिन के स्ट्रोक में वो तेज़ी नहीं दिख रही, जिसके लिए वे जाने जाते हैं. सचिन को इसका विकल्प ढूँढ़ना होगा. यानी ऐसा रास्ता जिसमें उनकी बल्लेबाज़ी न सिर्फ़ धारदार रहे बल्कि आक्रमक और आकर्षक भी.

तो इन सात मैचों में सचिन की नाक भी दाव पर होगी. इतना तो तय है कि नाक की लड़ाई के कारण क्रिकेट प्रेमियों को इस सिरीज़ में संघर्ष के कुछ ऐसे नायाब पल मिलने वाले हैं, तो शायद वे लंबे समय तक याद रखेंगे.

भारतीय टीम

राहुल द्रविड़ (कप्तान), वीरेंद्र सहवाग (उपकप्तान), सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, युवराज सिंह, वेणुगोपाल राव, सुरेश रैना, महेंद्र सिंह धोनी, हरभजन सिंह, मुरली कार्तिक, इरफ़ान पठान, अजित अगरकर, जेपी यादव, श्री संत, रुद्र प्रताप सिंह

श्रीलंका टीम

मर्वन अटापट्टू (कप्तान), सनत जयसूर्या, महेला जयवर्धना, कुमार संगकारा, टी दिलशान, यू थरंगा, टी समरवीरा, चमिंडा वॉस, उपुल चंडाना, फ़रवीज़ महारूफ़, रसेल अर्नॉल्ड, दिलहारा फ़र्नांडो, मुथैया मुरलीधरन, डी लोकुहेट्टिगे, एन ज़ोयसा