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सोमवार, 08 अगस्त, 2005 को 00:55 GMT तक के समाचार

मानक गुप्ता
बीबीसी हिंदी

फ़ाइनल में जान लगा देंगे- युवराज

कोलंबो में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ भारत की जीत श्रेय काफ़ी हद तक युवराज सिंह को जाता है जिन्होंने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 114 गेंदों पर 11 चौकों की मदद से 110 रन बनाए.

युवराज सिंह को उनकी बेहतरीन बल्लेबाज़ी के लिए मैन ऑफ़ द मैच चुना गया. मैच के फ़ौरन बाद बीबीसी हिंदी ने उनसे बातचीत की.

क्या कोलंबो की पिच पर बल्लेबाज़ी करना मुश्किल लग रहा था?

नहीं, मुश्किल तो नहीं था, एक पार्टनरशिप की ज़रूरत थी हमें. तीन विकेट गिरने के बाद प्रेशर तो आ ही जाता है. मैं और कैफ़ यही चाहते थे कि 220 रन तका का स्कोर खड़ा हो जाए ताकि गेंदबाज़ों पर दबाव न रहे. हम इसी हिसाब से खेले और अच्छी पार्टनरशिप की.

क़ैफ़ के साथ आपका तालमेल बहुत बढ़िया रहा है, क्या दूसरे छोर पर कैफ़ का होना आपके लिए फ़ायदेमंद रहा?

बिल्कुल, कैफ़ के साथ मेरा तालमेल बहुत अच्छा रहा है. मैं जानता हूँ कि वह तेज़ी से दौड़कर मेरे एक रन को दो रन बना सकता है और मैं भी ऐसा ही कर सकता हूँ, हम विकेट के बीच में अच्छा दौड़े जो फायदेमंद रहा.

क्या लंबी पारी खेलने के बाद आप थक नहीं गए, कल-परसों तक आपकी तबीयत भी ख़राब थी?

हाँ, तबीयत तो ख़राब थी, लेकिन टीम के लिए खेलना था तो अंत तक खेलने की कोशिश की, बाद में माँसपेशियाँ खिंच रही थीं लेकिन बाद में ठीक हो गया.

स्कोर तो बहुत अच्छा बनाया था लेकिन आख़िर में मैच मुश्किल हो गया, आख़िर कहाँ कमी रह गई?

पता नहीं, भारतीय टीम के साथ क्या हो रहा है, विरोधी टीम सातवें विकेट की पार्टनरशिप अच्छी कर रही है, उसे तोड़ना पड़ेगा. शायद पाँच-छह विकेट गिराने बाद हम ढीले हो जाते हैं, अगले मैचों में इसे ज़रा गंभीरता से लेना होगा.

श्रीलंका के ख़िलाफ़ आप दोनों मैचों में हारे, आगे के लिए कुछ ख़ास है, दिमाग़ में.

दोनों मैच हमें जीतने चाहिए थे, दोनों में हम आगे चल रहे थे और हार गए. दोनों टीमें एक बराबर खेल रही हैं, ऐसा नहीं है कि श्रीलंका ने हमें एकतरफ़ा मुक़ाबले में हराया हो. श्रीलंका की टीम वेस्टइंडीज़ से हारी है जिसे आज हमने हराया है, तो सभी टीमें टक्कर की हैं.

तो क्या फ़ाइनल में श्रीलंका को हराएँगे उन्हीं की ज़मीन पर?

बिल्कुल, प्रेशर उनके ऊपर है, उन्हें अपने देश में फ़ाइनल जीतना है. हम पूरी जान लगा देंगे, फ़ाइनल जीतने के लिए, कोशिश पूरी करेंगे.

ग्रेग चैपल एक कोच के रूप में पिछले कोच जॉन राइट से कितने अलग हैं?

हर कोच को अपना-अपना तरीक़ा होता है, जॉन राइट ने टीम के लिए काफ़ी अच्छा काम किया, चैपल की यह पहली सीरिज़ है, अभी वे खिलाड़ियों को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वे किस तरह खेलते हैं. जैसे-जैसे वे टीम के साथ अधिक समय बिताते जाएँगे टीम अच्छी होती जाएगी.