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अमाँ भाई, ये टिकट है या पान | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अहमदाबाद मैच के लिए केवल 35 हज़ार टिकटें बेची गई थीं और उस पर तुर्रा ये कि एक व्यक्ति चार से ज़्यादा टिकट नहीं खरीद सकता था. लेकिन मैच के पहले और शुरू होने के बाद भी टिकटें अनोखे अंदाज़ में बिकती नज़र आईं. पान की दुकान पर, पान के विभिन्न ‘रूपों’ में बिक रही थी टिकटें. मसलन ‘क्लब बनारसी पान या जीएमडीसी मीठा पान या फिर अदानी तंबाकू वाला पान.’ मतलब बिल्कुल साफ़ लेकिन समझना आसान नहीं- इसलिए समझाने का काम बच्चों को सौंप दिया गया था. पेशगी या बयाना बच्चों को पकड़ाइए - फिर जीएमडीसी पेवेलियन या क्लब पेवेलियन या अदानी पेवेलियन की टिकट ख़रीदें. एक के दो से लेकर, एक के दस तक, कुछ भी देने पड़ सकते हैं. पुलिस से जब इसके बारे में पूछा तब रेडिमेड जवाब सामने आया-‘हम इसकी छानबीन करेंगे.’ और क्रिकेट संघ के अधिकारी कहते हैं-‘हमने तो केवल चार ही टिकट दिए थे. वो बेच दें तो हम क्या करें.’ अहमदाबाद की अनोखी मेज़बानी अहमदाबाद का सरदार पटेल स्टेडियम 47 हज़ार दर्शकों को अपनी चाहरदीवारी में समेटे यह साबित करने में लगा नज़र आया कि मेज़बानी में वो किसी दूसरे शहर के स्टेडियम से पीछे नहीं है. भारत-पाक सीरीज़ का चढ़ता तापमान और हुड़दंग के साथ-साथ फ़साद का इस शहर का काले धब्बों वाला इतिहास, अनेक शंकाओं और आशंकाओं को जन्म देता रहा है लेकिन जब सतर्कता और चौकसी युद्धकालीन तैयारी की हद तक पहुँच जाए, तब दर्शकों को मैच देखने के लिए कई कुर्बानियाँ देनी पड़ सकती हैं. जैसे- स्टेडियम या इस क़िले में घुसना हो तो तीन घंटे पहले लाईन में खड़े हो जाएँ. जेब के साथ-साथ बदन को भी अच्छी तरह टटोला जाएगा. अगर आप कुछ खाने-पीने का सामान लेकर आए हैं तो धरती माता को क़िले के बाहर ही भेंट चढ़ा दीजिए. मोबाइल फोन घर छोड़कर नहीं आए तो क़िले के बाहर खड़े होकर मोबाइल पर मैच का हाल लेते रहिए. लेकिन एक बार इस क़िले में दाखिल हो गए, तो फिर आपको भूख-प्यास से तड़पने नहीं दिया जाएगा. नाश्ता, खाना, कोल्ड ड्रिंक्स, आईसक्रीम और मुफ्त पानी-सब कुछ मिलेगा इसलिए सिर्फ पैसे लेकर ही आप क़िले में घुस सकते हैं और हाँ सिक्के नहीं केवल नोट! पाकिस्तानी दर्शक नदारद गुजरात क्रिकेट संघ ने 500 सीटें आरक्षित कर रखी थीं पाकिस्तानी मेहमानों के लिए लेकिन आए केवल पाँच और वो पाँच भी ‘चाचा’ को मिलाकर. चाचा तो पाकिस्तानी टीम के साथ ही चल रहे हैं लेकिन बाकी चारों पाकिस्तानी, ब्रिटेन में रहते हैं. केवल एक रात अहमदाबाद में बिताने वाले इन चारों पाकिस्तानी नागरिकों को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही थी. लेकिन अहमदाबाद पहुँचने के बाद उतनी घबराहट तो नहीं है, लेकिन बाहर निकलना अब भी सुरिक्षत नहीं समझते हैं ये चारों मेहमान. आसिम कमाल मिले अपनी नानी के भाई से कडी निवासी मोहम्मद यूनुस अपने परिवार के 23 सदस्यों के साथ अहमदाबाद आए थे, अपनी बहन के नाती से मिलने, लेकिन सुरक्षा के इस अभेद्य घेरे में 5 घंटों तक इंतज़ार करना पड़ा, उन्हें अपने लाडले के दीदार के लिए.
जब मिले तब 68 वर्षीय यूनुस ने आसिम कमाल को बाहों में भींच लिया, दुआएँ दीं लेकिन जी भरकर बात नहीं कर पाए. लिफ्ट के सामने चहलकदमी करते हुए मोहम्मद यूनुस की नज़रें लगातार लिफ्ट के खुलते-बंद होते दरवाज़े की ओर लगी थी. उन्होंने बताया कि क्रिकेट में उनकी कोई रूचि नहीं है, ना ही कभी वो टेलिविज़न पर मैच देखते हैं. मदरसा में बढ़ाने वाले यूनुस भाई ने आसिम कमाल को 8 साल की उम्र में देखा था. अब आसिम 28 साल के हैं लेकिन मोहम्मद यूनुस की बहन अकीता ने अपने भाई से फोन पर बात की थी और कहा था कि अपने नाती का ख़याल रखना. |
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