BBCHindi.com
अँग्रेज़ी- दक्षिण एशिया
उर्दू
बंगाली
नेपाली
तमिल
 
शनिवार, 23 अक्तूबर, 2004 को 12:59 GMT तक के समाचार
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
बदली छँटी जयसूर्या फिर चमके
 
सनत जयसूर्या
बढ़ती उम्र को धत्ता बता रहे है जयसूर्या
जब भी कोई कप्तान 30 की उम्र के बाद कप्तानी छोड़ता है तो अधिकतर मामलों में वह देर-सवेर संन्यास ले लेता है लेकिन श्रीलंका के पूर्व कप्तान सनत जयसूर्या कुछ हट कर हैं.

चाहे इंग्लैड के कप्तान नासिर हुसैन हों या फिर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ, दोनों ही खिलाड़ियों ने संन्यास लेकर युवा खिलाड़ियों को मौका दिया. लेकिन जब जयसूर्या ने कप्तानी छोड़ी थी तो शायद उनके मन में कुछ और ही था.

जयसूर्या के ताज़ा प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि उन्होंने बिल्कुल सोची-समझी रणनीति के तहत कप्तानी छोड़ी ताकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अधिक समय तक खेल सकें.

फरवरी महीने में श्रीलंका की ओर से एकदिवसीय मैचों में रिकार्ड 309 वीं बार खेलने के बाद उन्होंने कहा था " मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लंबे समय तक रहना चाहता हूँ. "

 जब भी मैं अपने देश के लिए खेलता हूँ वो अपने आप में बेहतरीन मौक़ा होता है. मुझे गर्व होता है और मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूँ. कैरियर में शतक तो महत्वपूर्ण होता ही है
 
जयसूर्या

पाकिस्तान के ख़िलाफ फैसलाबाद में चल रहे पहले टेस्ट मैच में शतक जमाने के बाद भी जयसूर्या की भूख शांत नहीं हुई. दूसरे दिन जयसूर्या का निजी स्कोर 253 रन था.

दोहरे शतक के बात जयसूर्या ने कहा " जब भी मैं अपने देश के लिए खेलता हूँ वो अपने आप में बेहतरीन मौका होता है. मुझे गर्व होता है और मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं. कैरियर में शतक तो महत्वपूर्ण होता ही है."

अंतरराष्ट्रीय कैरियर

जयसूर्या ने 15 साल पहले अपना अंतरराष्ट्रीय कैरियर शुरु किया था तो पहले एकदिवसीय मैच में उन्होंने पांचवे नंबर पर बल्लेबाजडी करते हुए केवल तीन रन बनाए थे.

जयसूर्या ने 1996 के विश्व कप में खुद को सलामी बल्लेबाज़ के रुप में स्थापित किया और अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से क्रिकेट के दीवानों का दिल जीत लिया.

विश्व कप में अरविन्द डिसिल्वा ने 89 की औसत से 448 रन बनाए थे. जबकि 221 रन बनाने वाले जयसूर्या का औसत था 131 रन.

अगले साल जयसूर्या ने कोलंबो में भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में 340 रनों का निजी स्कोर खड़ा कर अपना नाम रिकार्डों की किताब में दर्ज़ करा लिया. इस मैच में श्रीलंका की टीम ने एक पारी में 952 रनों का भी रिकार्ड बनाया.

1999 में जयसूर्या कप्तान बने. कप्तान के रुप में जयसूर्या ने श्रीलंका ने 38 टेस्ट में से 18 जीते और 60 एकदिवसीय मैचों में से 37 मे जीत हासिल की.

चार साल बाद मार्च 2003 में जयसूर्या ने कप्तानी छोड़ी लेकिन श्रीलंका के खेल मंत्री ने उन्हें कप्तान बने रहने पर मज़बूर कर दिया.

अगले महीने जयसूर्या ने कप्तानी मारवन अटापट्टू को सौंप दी और अपना खेल संवारने में लग गए. जब कभी जयसूर्या बल्लेबाज़ी में चूकते तो स्पिन गेंदबाज़ी से विकेट झटक कर टीम में अपनी स्थिति मजबूत रखते .

जयसूर्या 35 साल के हो चुके है और वो जानते है कि उनका अंतरराष्ट्रीय कैरियर अंतिम दौर में है लेकिन लगता है कि यह खिलाड़ी अपने क्रिकेट का अंतिम क्षणों तक आनंद लेना चाहता है.

 
 
इससे जुड़ी ख़बरें
 
 
इंटरनेट लिंक्स
 
बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है.
 
सुर्ख़ियो में
 
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
 
  मौसम |हम कौन हैं | हमारा पता | गोपनीयता | मदद चाहिए
 
BBC Copyright Logo ^^ वापस ऊपर चलें
 
  पहला पन्ना | भारत और पड़ोस | खेल की दुनिया | मनोरंजन एक्सप्रेस | आपकी राय | कुछ और जानिए
 
  BBC News >> | BBC Sport >> | BBC Weather >> | BBC World Service >> | BBC Languages >>