सोमवार, 24 मई, 2004 को 21:52 GMT तक के समाचार
गेंदबाज़ी के एक्शन को लेकर विवाद में फंसे श्रीलंका के ऑफ़स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के बचाव के लिए अब श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे स्वयं आगे आए हैं.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने 'दूसरा' नाम से चर्चित उनकी विवादास्पद गेंद पर पाबंदी लगा दी है और अब श्रीलंका के प्रधानमंत्री आईसीसी के समक्ष इस फ़ैसले को बदलवाने के लिए अपील करेंगे.
प्रधानमंत्री के एक प्रवक्ता रोहन वेलिवाता ने कहा,"प्रधानमंत्री आईसीसी से इस फ़ैसले को वापस लेने का आग्रह करेंगे".
प्रवक्ता ने कहा कि फ़िलहाल इस संबंध में किसी क़ानूनी कार्रवाई का उनका कोई इरादा नहीं है.
प्रवक्ता ने कहा,"हमारे वक़ीलों को ऐसा ज़रूर लगा कि आईसीसी के ख़िलाफ मुक़दमा किया जा सकता है मगर हम पहले उनसे आग्रह करना चाहते हैं".
बताया जा रहा है कि श्रीलंका सरकार आईसीसी पर दबाव डालने के लिए ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के नामी वक़ीलों को नियुक्त कर रही है.
महिंदा राजपक्षे ने इस बारे में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख जगमोहन डालमिया और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन शहरयार ख़ान से भी बातचीत की है.
दूसरा
मुरलीधरन की 'दूसरा' गेंद को आईसीसी ने अमान्य घोषित कर दिया है और यदि वे इसके बाद भी ये गेंद डालते हैं तो उनपर एक साल की पाबंदी लग सकती है.
टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेनेवाले मुरलीधरन की ये गेंद दाएँ हाथ के बल्लेबाज़ के लेगस्टंप पर टप्पा खाने के बाद ऑफ़स्टंप की तरफ़ आती है.
मुरलीधरन ने आईसीसी के फ़ैसले के बाद बीबीसी से कहा,"मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मुझे मेरे देश और बाहर से समर्थन मिल रहा है".
मुरलीधरन के गेंदबाज़ी एक्शन को लेकर इस वर्ष मार्च में विवाद शुरू हुआ जब ऑस्ट्रेलिया के साथ हो रही क्रिकेट श्रृंखला के दौरान उनकी गेंद के बारे में आईसीसी से शिकायत की गई.
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिक परीक्षण किए गे जिसके बाद आईसीसी ने उनकी गेंद को अमान्य घोषित कर दिया.
इस विवाद ने तब और ज़ोर पकड़ा जब ये ख़बर आई कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड ने ये कहा है कि उन्हें लगता है कि मुरलीधरन का गेंदबाज़ी एक्शन ग़लत है.