|
भारत की जीत से रंगे अख़बार | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सारे विशेषण ख़र्च हो गए हैं, बेहतरीन, शानदार, ऐतिहासिक, महान, गौरवशाली, सूरमा, देश के लाल... कल दिल्ली में चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी को कारण बताओ नोटिस जारी किया लेकिन कोई ऐसा अख़बार नहीं दिख रहा जिसमें यह ख़बर ऊपर के आठ कॉलमों में हो. क्रिकेट को लेकर अख़बारों ने इतना जोश 1983 में वर्ल्ड कप फ़ाइनल में भारत की जीत के बाद शायद पहली बार दिखाया है. "क्रिकेट सूरमाओं ने जीत लिया पाकिस्तान", "मिशन क्रिकेट कामयाब" "सपने पूरे, पाक फ़तह" जैसे शीर्षक और पूरी भारतीय टीम प्रसन्न मुद्रा में हर अख़बार पर छाई है. अमर उजाला ने सिर्फ़ शब्दों का शीर्षक दिया--"पाकिस्तान फ़तह." अख़बार की दूसरी सुर्ख़ी है--सौरभ की सेना ने रचा इतिहास, देश भर में उल्लास. सारे अख़बार न सिर्फ़ एक ही रंग में रंगे हैं बल्कि बिल्कुल एक जैसे दिख रहे हैं, जीत के बाद पूरी भारतीय क्रिकेट टीम ने जोशीले अंदाज़ में अपनी तस्वीर खिंचवाई है और यही तस्वीर सभी अख़बारों में है. शीर्षक दैनिक भास्कर ने "पूरी हुई 52 साल की साध" शीर्षक के साथ लिखा है कि "जब सौरभ गांगुली ने दानिश कनेरिया का कैच लपका तो देश की जनता ने कहा कि सौरभ तुम्हारी सेना पर देश को नाज़ है."
अगर आपको टीम के सभी खिलाड़ियों के दाँत एक साथ देखने हैं तो पंजाब केसरी के पहले पन्ने पर छपी तस्वीर देखिए, अख़बार ने शीर्षक दिया है--"क्रिकेट सूरमाओं ने जीत लिया पाकिस्तान". दैनिक हिंदुस्तान ने "सौरभ सेना को सलाम" शीर्षक के साथ देश के प्रमुख लोगों का संदेश छापा है, संदेश देने वालों में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी शामिल हैं. "पूरे देश को तुम पर नाज़ है", यह किसी अख़बार की सुर्ख़ी नहीं है बल्कि राष्ट्रपति कलाम का संदेश है टीम के नाम, जिसे कई ज्यादातर अख़बारों ने प्रकाशित किया है. "हम हो गए कामयाब" शीर्षक के साथ नवभारत टाइम्स ने तो अपने अख़बार का नाम नीचे और खिलाड़ियों की पूरी तस्वीर उसके ऊपर छापी है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भारत की जीत को ऐतिहासिक और यादगार बताते हुए कप्तान और उपकप्तान की तस्वीर कप के साथ छापी है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने कोरबा में दिया गया प्रधानमंत्री वाजपेयी का बयान छापा है, "मैंने जब टीम को भेजने का फ़ैसला किया था तब कई लोगों को शक था, लेकिन मुझे कोई शक नहीं था." एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है, इसी पर अमल किया है इंडियन एक्सप्रेस ने. अख़बार ने टीम की पूरी तस्वीर छापी लेकिन कोई शीर्षक नहीं दिया. इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि पूरी सिरीज़ का बिना किसी बाधा के पूरा होना भी अपने आप एक बड़ी उपलब्धि है. |
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||