WPL: स्मृति मंधाना के पिता का 'वो फ़ैसला' जिसने बनाया सबसे महंगा क्रिकेटर

स्मृति मंधाना

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    • Author, अनीशा घोष
    • पदनाम, बीबीसी न्यूज़ के लिए

चार मार्च से भारतीय महिला क्रिकेट की दुनिया में नया अध्याय शुरू हो रहा है. इंडियन प्रीमियर लीग की तर्ज़ पर विमेंस प्रीमियर लीग की शुरुआत हो रही है.

गुजरात जाइंट्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुक़ाबले से महिला क्रिकेटरों की पांच टीमों के बीच रोमांचक घमासान छिड़ने की उम्मीद है जो 23 दिनों तक जारी रहेगा.

लीग मुक़ाबले के लिए महिला क्रिकेटरों की नीलामी फरवरी महीने में हुई थी और जिस महिला क्रिकेटर का नाम नीलामी सूची में सबसे पहले आया वह थीं, भारतीय क्रिकेटर स्मृति मंधाना.

मंधाना तब दक्षिण अफ्रीका में टी20 वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के लिए भारतीय टीम के साथ थीं.

नीलामी शुरू होने के कुछ ही मिनटों में वह टी-20 क्रिकेट लीग की सबसे महंगी खिलाड़ी बन गईं.

स्मृति मंधाना के लिए मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच होड़ देखने को मिली, लेकिन बेंगलुरु की टीम ने आख़िरकार उन्हें 3.4 करोड़ रुपये में ख़रीदा. मंधाना इस लीग मुक़ाबले में बेंगलुरु टीम की कप्तानी भी कर रही हैं.

मंधाना के पिता श्रीनिवास मंधाना ने बीबीसी को बताया, "दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले बेटे और स्मृति के साथ मेरी बातचीत हो रही थी कि विमेंस प्रीमियर लीग की नीलामी में क्या होगा, हम लोगों ने अनुमान लगाया था कि मंधाना को सबसे ज़्यादा पैसा मिलेगा."

"मुझे पिता के तौर पर गर्व हो रहा है, इसलिए नहीं कि मेरा अनुमान सही साबित हुआ, बल्कि इसलिए कि वह वहां तक पहुंची है, जहां अब तक कोई महिला क्रिकेटर नहीं पहुंच सकी. उसकी नीलामी ऐतिहासिक रही."

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पिता के फ़ैसले से फ़ायदा

वैसे मंधाना की क्रिकेट में दिलचस्पी अपने पिता की वजह से ही शुरू हुई थी. श्रीनिवास की दिलचस्पी क्रिकेट में थी और उनसे यह स्मृति और उनके बड़े भाई श्रवण तक पहुंची. इतना ही नहीं, श्रीनिवास ने एक जोख़िम भी उठाया.

उन्होंने शुरुआती दौर में ही यह तय किया कि उनके दोनों बच्चे भारत की ओर से खेलेंगे और इसके लिए उन्होंने अपने दोनों बच्चों को दाएं हाथ के बल्लेबाज़ से बाएं हाथ का बल्लेबाज़ बनाया.

कपड़ों का कारोबार करने वाले श्रीनिवास बताते हैं, "बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करने से किसी को भी फ़ायदा मिल सकता है, लेकिन अगर भारत जैसे कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले देश में हैं तो आपको ज़्यादा फ़ायदा होगा."

श्रीनिवास कहते हैं, "पीछे मुड़कर देखता हूं तो प्रसन्नता होती है कि मेरे फ़ैसले की वजह से वह यहां तक पहुंची है."

मंधाना, भारत के लिए बल्लेबाज़ी की शुरुआत करती हैं. अब तक तीनों फॉर्मेट में वह कुल मिलाकर 193 इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं, इसमें उन्होंने पांच वनडे शतक और एक टेस्ट शतक सहित 6 हजार 49 रन बनाए हैं.

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मंधाना के मुकाम

उनकी बल्लेबाज़ी पर पूर्व क्रिकेटर ममता माबेन कहती हैं, "उनकी बैटिंग में एक गरिमा दिखती है, वे ताक़त के साथ स्टाइलिश बल्लेबाज़ करती हैं. हर तरह की आक्रामक गेंदबाज़ी के खिलाफ उनका प्रदर्शन नियमित तौर पर अच्छा रहा है. वे हमेशा सीखने में यक़ीन रखती हैं."

यही वजह है कि दुनिया भर के लीग क्रिकेट में उनकी बड़ी मांग है. वह ब्रिटेन की द हंड्रेड, किआ सुपर लीग और ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में खेल चुकी हैं.

मंधाना ने छह साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया था और 18 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते उन्होंने कई मुकाम बना लिए थे.

अंडर-19 क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली वह पहली भारतीय महिला क्रिकेटर थीं. महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए 17 साल की उम्र में उन्होंने यह कारनामा दिखाया था.

उन्होंने यह कारनामा उस बल्ले से दिखाया था, जिसे भारत के पूर्व कप्तान और मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ ने बतौर उपहार मंधाना के भाई और पूर्व अंडर-19 क्रिकेटर को दिया था.

एक दशक पहले, अप्रैल 2013 में मंधाना ने भारत की ओर से वनडे क्रिकेट में अपना डेब्यू बांग्लादेश के ख़िलाफ़ किया था. मंधाना को शुरुआती दिनों में कोचिंग दे चुके अनंत ताम्बवेकर कहते हैं, "वह जब मेरे पास पहली बार आयी थीं, तब से उनमें सीखने को लेकर लगन थी."

मंधाना जब 12 साल की थीं तब उनके पिता उन्हें अनंत ताम्बवेकर के पास ले गए थे. उससे पहले अनंत महाराष्ट्र के सांगली ज़िले में स्मृति के भाई श्रवण को कोचिंग दिया करते थे.

अनंत बताते हैं, "इतने सालों के बीतने के बाद, जब वह इतना कुछ हासिल कर चुकी हैं तब क्रिकेट और उसके प्रति अनुशासन ही उनके जीवन का मुख्य ध्येय बना हुआ है."

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अब तक का करियर

मंधाना ने करीब एक दशक लंबे करियर में अपने खेल से काफ़ी प्रभावित किया है. 2017 में इंग्लैंड में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने भारत को उप विजेता बनाने में अहम योगदान दिया.

फरवरी, 2019 में वह टी20 बल्लेबाज़ों की आईसीसी रैंकिंग में शीर्ष पर पहली बार काबिज हुईं. आईसीसी विमेंस क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर, का खिताब एक बार से ज़्यादा जीतने का करिश्मा उनके अलावा केवल ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एलिस पेरी के नाम है.

मंधाना 2018 में 22 साल की उम्र में पहली बार आईसीसी विमेंस क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर चुनी गईं थीं, इसके बाद 2021 में उन्होंने दोबारा यह सम्मान हासिल किया.

बीते साल 21 पारियों में 594 रन बटोर कर वह सुर्खियों में रहीं. उन्हें आईसीसी की साल की वनडे और टी20 दोनों टीमों में जगह मिली. 2022 में कॉमनवेल्थ खेलों के सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में मेज़बान इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 32 गेंदों पर 61 रन बनाकर उन्होंने भारत को सिल्वर मेडल दिलाया था.

एशिया कप फ़ाइनल में भी 49 गेंदों पर 79 रन बनाकर उन्होंने टीम को खिताबी जीत दिलाई थी. यह वही मुक़ाबला था जिसमें भारत को पहली बार सुपर ओवर का सामना करना पड़ा था लेकिन मंधाना के आक्रामक शॉट्स की बदौलत जीत भारत के नाम रही थी.

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कामयाबी का असर

बीते छह सालों से मंधाना लगातार आक्रामक क्रिकेट खेलती आयी हैं. क्रिकेट के मैदान में उनकी कामयाबी का असर है कि वह रेड बुल और नाइके जैसे इंटरनेशनल ब्रैंडस के विज्ञापनों में शाहरुख़ ख़ान और एमएस धोनी के साथ नज़र आने लगी हैं.

सोशल मीडिया पर भी वह भारत की सबसे कामयाब महिला खिलाड़ी हैं. इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पर उनके 15 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर हैं.

विमेंस प्रीमियर लीग में सबसे महंगी क्रिकेटर के टैग के साथ जब मंधाना खेलने उतरेंगी तब उनके बल्ले से भी धमाल की उम्मीद की जाएगी. आने वाले दिनों में भारतीय क्रिकेटर को भी उनसे बड़ी पारियों की उम्मीद है.

वरिष्ठ खेल पत्रकार शारदा उगरा ने बताया, "स्मृति मंधाना स्टाइलिश बल्लेबाज़ हैं, उनकी शख़्सियत भी आकर्षित करने वाली है. उन्हें खेलते हुए देखकर मुझे महसूस होता है कि क्रिकेट अभी भी मजे और आनंद से खेला जाने वाला खेल है, जो कई बार पुरुष क्रिकेट में भी मिसिंग होता है."

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