इरफ़ान पठान ने पूछा- शिवम मावी ऊपर क्यों देखते हैं?

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- Author, मनोज चतुर्वेदी
- पदनाम, वरिष्ठ खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
भारत को वानखेड़े स्टेडियम पर पहले टी-20 मैच में दो रन से जीत दिलाने के असली हीरो पेस गेंदबाज़ शिवम मावी रहे.
मावी ने बेहतरीन गेंदबाजी से हार्दिक पांड्या की कप्तानी को चार चांद लगा दिए. यह उनकी कप्तानी में भारत की पांचवीं जीत है.
भारत 2024 में होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखकर युवा खिलाड़ियों की टीम तैयार कर रहा है. इसकी ज़िम्मेदारी हार्दिक को कप्तान बनाकर दी गई है. शिवम मावी ने शानदार प्रदर्शन करके यह दिखा दिया कि टीम प्रबंधन उनके ऊपर भरोसा कर सकता है.
शिवम मावी ने मैच के बाद कहा कि "भारत की कैप मिलने और फिर गेंदबाज़ी के लिए गेंद पकड़ाए जाने पर मुझे लगा कि मेरा सपना पूरा हो गया.'
"असल में अंडर -19 विश्व कप में 2018 में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद मुझे चोटों की समस्या के कारण मुश्किल समय गुजारना पड़ा. एक समय तो लग रहा था कि भारत खेलने का सपना शायद ही पूरा हो पाए. पर कड़ी मेहनत करने से आख़िर सपना पूरा हो गया."

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मावी की ज़ोरदार दस्तक
शिवम मावी की टीम में दस्तक यादगार बन गई. उन्होंने चार ओवर में 22 रन पर चार विकेट लिए और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.
पहले ओवर में पहली गेंद पर लगा कि वह असहज लग रहे हैं, क्योंकि गेंद फेंकते समय पैर फंसता लगा. इस कारण से उनके करियर की शुरुआत कुसाल मेंडिस के चौके से हुई. कुसाल ने अगली गेंद पर भी चौका लगाकर दबाब बनाने का प्रयास किया.
शिवम मावी ने इस मुश्किल स्थिति में भी धड़कनों पर काबू रखकर जल्द ही लय पा लिया. उन्होंने पांचवीं गेंद पर निसांका को बोल्ड करके श्रीलंका को पहला झटका दिया. उन्होंने दूसरे ओवर में भी दो चौके पड़ने के बाद धनंजय को कैच आउट कराया.
मावी अंडर-19 विश्व कप खेलकर सुर्खियों में आए थे. वह उस समय 145 किमी. की रफ़्तार से गेंद फेंकते थे. लेकिन चोट की समस्या के कारण उनकी गति में तो कमी आई है.
वह अब 135 किमी. तक की रफ़्तार से गेंद फेंक रहे हैं. लेकिन गेंदबाजी में विविधता की वजह से वह प्रभावी साबित हुए हैं. वह चोट की समस्या के कारण पिछले आईपीएल में सिर्फ़ छह मैच ही खेल सके थे. लेकिन घरेलू क्रिकेट में कड़ी मेहनत करके रंगत पाने में सफल रहे हैं.
कमेंट्री करते हुए इरफान पठान कहते हैं कि उनका रनअप काफ़ी स्मूथ है. पर एक दिक़्क़त यह है कि वह गेंद फेंकने से पहले तक अपनी आंखें आसमान की तरफ़ रखते हैं, इसलिए यह नहीं समझ पाते हैं कि बल्लेबाज क्या करने जा रहा है. वह यदि अपनी आंखों की स्थिति को बल्लेबाज़ की तरफ़ रखें तो और बेहतर गेंदबाज़ बन सकते हैं.

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हार्दिक पंड्या कप्तानी में निखरे
वानखेड़े के इतिहास को देखते हुए भारत का 162 रन का स्कोर काफ़ी नहीं लग रहा था. वैसे भी इस मैदान पर पिछले दस टी-20 मैचों में से सात मैचों में लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम विजयी बनी है. लेकिन हार्दिक ने अपनी चतुराई भरे फ़ैसलों से इसे पलट दिया.
हार्दिक ने शुरुआत में जिस तरह गेंदबाज़ों का इस्तेमाल किया, उससे श्रीलंका के विकेट निकलने से वह दवाब में पड़ती दिखी. श्रीलंका के कप्तान ने एक समय अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से मैच को भारत के हाथों से लगभग निकाल दिया था. इस स्थिति में हार्दिक ने उमरान मलिक के हाथों में गेंद थमाई और उन्होंने शनाका को चहल के हाथों में लपकवाकर मैच पर एक बार फिर पकड़ बना ली.
पारी का आख़िरी ओवर हार्दिक ने जब अक्षर पटेल के हाथों में थमाया तो लगा कि ग़लत फ़ैसला है. अक्षर के ओवर की तीसरी गेंद पर करुणारत्ने ने छक्का लगाया तो लगा कि मैच हाथ से निकल गया. लेकिन अक्षर ने इसके बाद आख़िरी तीन गेंदें सही फेंककर भारत को जीत दिलाई और कप्तान के भरोसे पर खरे उतरे.

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प्लेयर ऑफ द मैच दीपक
दीपक हुडा सही मायनों में टीम इंडिया के लिए संकट मोचक साबित हुए. ईशान किशन ने पहले ओवर में 17 रन ठोककर जिस आक्रामक अंदाज़ से शुरुआत की, उससे लगा कि भारत विशाल स्कोर खड़ा करेगा.
पर श्रीलंका के स्पिन गेंदबाज़ों, ख़ासकर महेश तीक्षणा और वानिंदु हसरंगा भारतीय बल्लेबाज़ी पर नकेल कसने में सफल रहे.
भारतीय बल्लेबाज़ों ने जब भी दबाव से निकलने के लिए बड़े शॉट खेलने का प्रयास किया, तो विकेट खोना पड़ा.
इस कारण भारत ने 14.1 ओवर में मात्र 94 रन बनाकर पांच विकेट गंवा दिए. इस स्थिति में दीपक हुडा को अक्षर पटेल के रूप में एक अच्छा जोड़ीदार मिला. इस जोड़ी ने 23 गेंदों में 40 रन बनाकर स्कोर को162 रन तक पहुंचाकर भारत को लड़ने लायक स्थिति में पहुँचा दिया.
दीपक ने 23 गेंदों में एक चौके और चार छक्कों से नाबाद 40 रन बनाए. वहीं अक्षर ने 20 गेंदों में तीन चौकों और एक छक्के से 31 रन बनाए. इस जोड़ी के चमक बिखेरने से पहले एक समय भारत का 150 रन तक पहुंचना मुश्किल लग रहा था. इस साझेदारी की वजह से ही भारत जीत तक पहुंच सका.

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संजू नहीं छोड़ पाए छाप
संजू सैमसन को भारतीय टीम में नियमित रूप से स्थान नहीं मिलता है. पर जब मिलता है तो उन्हें उस मौक़े को अपने पक्ष में भुनाने की जरूरत है. वह इस मैच में प्रभावित करने में सफल नहीं हो सके.
वह इस मैच में खेलने आए, उस समय भारत 38 रनों पर दो महत्वपूर्ण विकेट खो चुका था. यह मौक़ा था, जब वह टीम के लिए संकट मोचक साबित हो सकते थे. लेकिन बेवजह शॉट खेलकर अपना विकेट खोकर टीम की मुश्किलें और बढ़ाने वाले साबित हुए.
संजू इस बात को यह जानते हैं कि टीम में वह विकेट कीपर के बजाय एक बल्लेबाज़ के तौर पर खेल रहे हैं. इस स्थिति में उन्हें अपनी फील्डिंग को बेहतर करने की ज़रूरत है.
उन्होंने हार्दिक के पहले ही ओवर में निसांका का आसान सा कैच टपका दिया. वह जिस कैच को आसानी से पकड़ सकते थे, उसे उन्होंने डाइव लगाकर बेवजह उसे मुश्किल बनाकर गिरा दिया.
हालांकि निसांका इस जीवनदान का फ़ायदा नहीं उठा सके. यही नहीं एक मौक़े पर तो उनके हाथों से गेंद छूटकर चौका चला गया. पर भारत के लिए अच्छी बात यह है कि वह सिरीज़ में बढ़त बनाने में सफल रहा है.
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