वसीम अकरम: ड्रग्स की गिरफ़्त से पत्नी हुमा ने उन्हें कैसे बचाया था

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- Author, नितिन श्रीवास्तव
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
"एक लंबे समय तक न तो मैं हुमा के लिए एक अच्छा पति बन सका और न ही अपने बेटों तहमूर और अकबर के लिए एक अच्छा पिता. मैं एक क्लासिक पंजाबी मर्द और बाप था. अक़्सर घर पहुंच कर महंगे तोहफ़े देने वाला और बच्चों की परवरिश का भार बीवी पर छोड़ देने वाला."
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और नामचीन क्रिकेटर वसीम अकरम ने अपनी आत्मकथा "सुल्तान: ए मेमॉयर" में पहली बार अपने निजी जीवन में पैदा हुई कई मुश्किलों को सबके सामने रखा है.
इनमें मैच फ़िक्सिंग के आरोप भी शामिल हैं जिन पर बात आगे करेंगे.
पहले ज़िक्र वसीम अकरम के जीवन के उस दौर पर जब उन्हें ये तय करने में मुश्किलें आ रही थीं कि क्रिकेट के बाद अब जीवन में आगे क्या है.
दक्षिण एशिया में जब आप लोकप्रिय हो जाते हैं तो शोहरत आपको बिगाड़ सकती है.
वसीम अकरम अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, "मुझे पार्टी करना पसंद था. दक्षिण एशिया में जब आप लोकप्रिय हो जाते हैं तो शोहरत आपको बिगाड़ सकती है, आपको निगल सकती है. आप रात को 10 पार्टियों में जा सकते हैं और इस सबने मेरा नुक़सान किया."
उन्होंने खुल कर लिखा है कि कैसे वे कोकीन के नशे में डूबते चले गए और अपनी पत्नी से झूठ बोलने लगे थे.
"मेरी दिवंगत पत्नी हुमा कराची शिफ़्ट करना चाहती थी ताकि वो अपने माँ-बाप के क़रीब रह सके जबकि मैं ये नहीं होने दे रहा था क्योंकि मुझे वहाँ अकेले जाकर पार्टी करना अच्छा लगता था, इस बिनाह पर कि मैं तो काम के सिलसिले में जा रहा हूँ".

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जब लगी थी ड्रग्स की लत
वसीम अकरम ने ये भी बताया है कि उनकी पत्नी हुमा ने उनके बटुए में कोकीन पाउडर देख लिया और कहा, "मुझे पता है तुम ड्रग्स ले रहे हो. तुम्हें मदद की ज़रूरत है."
पाकिस्तान के जियो न्यूज़ और जंग न्यूज़ ग्रुप समूह के वरिष्ठ स्पोर्ट्स एडिटर और क्रिकेट समीक्षक अब्दुल माजिद भट्टी और वसीम अकरम की जान-पहचान तब से है जब वसीम ने कराची से पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया था.
उन्होंने वसीम के इस ड्रग्स वाले दौर को याद करते हुए बताया, "ये वो दौर था जब वसीम अकरम डायबिटीज़ के मरीज़ हो गए थे और अपने ऊपर पहले लग चुके स्पॉट-फ़िक्सिंग और मैच-फ़िक्सिंग के आरोपों से बहुत स्ट्रेस में थे. उन दिनों मोबाइल फ़ोन आया ही था. वसीम की हालत ऐसी रहती थी कि अक़्सर हुमा ही फ़ोन उठाती भी थीं और हमें कॉल बैक भी करती थीं."
वसीम ने खुद अपनी क़िताब में लिखा है, "मैं ड्रग्स वाले दिनों में न सो पाता था, न खा पाता था. जब मैंने लाहौर के एक रिहैबिलिटेशन क्लीनिक में जाने के लिए हामी भरी तो हुमा ने भाई एहसान से कहा, कहीं ये भाग न जाए. मुझे मेरा वसीम वापस चाहिए."
इसके बाद वसीम को पहले एक महीने और फिर डेढ़ महीने और इस क्लीनिक में बिताने पड़े. उनका दावा है कि आख़िरी डेढ़ महीने उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ थे.
इस दौरान 2009 में वसीम ने एक बार पहली पत्नी हुमा अकरम को तलाक़ देने की भी सोची थी और वापस घर लौटने के बाद कोलकाता नाइट राइडर्स के कोच बन कर फिर मसरूफ़ हो गए थे.
वसीम के लंबे करियर को कवर करने वाले एआरवाई न्यूज़ के स्पोर्ट्स एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद हाशमी ने कराची से बताया, "जब आप सिलेब्रिटी हो जाते हैं तो एक क़ीमत किसी न किसी तरह से चुकानी पड़ती है. वसीम ने भी वो क़ीमत चुकाई. लेकिन अपनी ग़लती उन्होंने ईमानदारी से दुनिया के सामने रखी, ये बड़ी बात है."

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पत्नी हुमा की मौत भारत में
हालांकि वसीम ने ये भी कहा है कि रिहैब क्लीनिक से आने के बाद उनकी आदत पूरी तरह नहीं छूटी थी.
गिडियन हेग के साथ लिखी गई अपनी आत्मकथा में वे लिखते हैं, "हुमा की अकस्मात बीमारी ने मुझे हिलाकर रख दिया. एक दिन अस्पताल में लेटे हुए उसने पूछा 'अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चों का क्या होगा?' मैंने कह तो दिया अरे तुम्हें कुछ नहीं होगा, मैं हूँ न. लेकिन वो सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गई क्योंकि उसे पता था मैं इस लायक़ नहीं था."
इस बात के चंद हफ़्ते बाद ही हुमा अकरम की इस बीमारी से मौत गई और उनकी हालत तब बिगड़ी जब वसीम उन्हें एक एयर एम्बुलेंस में इलाज के लिए सिंगापुर ले जा रहे थे. रास्ते में हुमा को ब्रेन स्ट्रोक पड़ने के चलते आपात स्थिति में चेन्नई में विमान उतारना पड़ा.
हमारे पास न भारतीय वीज़ा था, न लैंड करने की इजाज़त. फिर भी भारत ने सब कुछ माफ़ कर दिया, जिसके बाद हम हुमा को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती करा सके जहां उन्होंने दम तोड़ा.
वसीम अकरम ने भारत का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा है, "हमारे पास न तो कोई भारतीय वीज़ा था, न लैंड करने की इजाज़त. फिर भी भारत ने सब कुछ माफ़ कर दिया, जिसके बाद हम हुमा को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कर सके जहां उन्होंने दम तोड़ा."
अकरम के मुताबिक़, उसके बाद से उन्होंने ड्रग्स की तरफ़ मुड़ कर नहीं देखा.

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पाकिस्तानी क्रिकेटरों की 'गिरफ़्तारी'
वैसे वसीम अक़रम ने पहली बार अपनी और साथी तीन खिलाड़ियों की वेस्टइंडीज़ में गिरफ़्तारी पर भी सफ़ाई देने की कोशिश की है.
दरअसल, 1993 में एक लंबे दौरे पर गई पाकिस्तान टीम के चार खिलाड़ियों- कप्तान अकरम, उप-कप्तान वक़ार यूनुस, आक़िब जावेद और मुश्ताक़ अहमद को ग्रेनाडा के 'कोयाबा बीच रिज़ॉर्ट' पास वाले बीच पर गाँजा रखने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था.
उस वाक़ये के 29 साल बाद वसीम अकरम ने सफ़ाई देते हुए लिखा है, "हमारे पास एक स्टीरियो था. हमने होटेल रेस्टोरेंट से चिकन विंग्स ऑर्डर किए. हमें एक बोतल रम भी ऑफ़र की गई.
फिर दो ब्रितानी महिलाएँ, सूज़न रॉस और जोएन कफ़लिन हमारे साथ शामिल हो गईं. फिर एक महिला ने पूछा कि आप लोग एक ज्वाइंट (गाँजे का कश) लेंगे? पहले हमने कहा कि हम स्मोक कम करते हैं, लेकिन फिर हमने सोचा एक कश में क्या नुक़सान है?"
इसके बाद वेस्टइंडीज़ की पुलिस ने उन सभी को घेर लिया और अकरम के मुताबिक़, "मुश्ताक़ रोने लगा, आक़िब और वक़ार सदमे में थे और ज़मीन से खड़े होने के क्रम में मैं फ़िसला और एक लोहे की रॉड से सिर टकराने की वजह से ख़ून भी निकलने लगा. लेकिन साफ़ तौर पर हमें फँसाया गया था. हमारे पास से कोई भी नशा बरामद नहीं हुआ था."
देर रात पुलिस थाने से इन सभी की ज़मानत हुई थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस ख़बर को ख़ूब तरजीह दी थी.
एएफ़पी समाचार एजेंसी के पूर्व क्रिकेट एडिटर कुलदीप लाल के मुताबिक़, "मैंने 35 साल क्रिकेट कवर किया और अकरम से अच्छा लेफ़्ट-आर्म फ़ास्ट गेंदबाज़ नहीं देखा. वे एक कमाल के ऑल-राउंडर भी रहे. ये भी सच है कि इसी दौर में कई ऐसी घटनाएँ भी हुईं और इनमें से एक था वेस्टइंडीज़ में इन पाकिस्तानी क्रिकेटरों का अरेस्ट होना."

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मैचफ़िक्सिंग का साया
दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को इस बात का इंतेज़ार रहा है कि मैचफ़िक्सिंग पर वसीम अकरम खुल कर सफ़ाई कब देंगे.
अपनी आत्मकथा "सुल्तान: ए मेमॉयर" में अकरम ने एक पूरा चैप्टर उस दौर पर लिखा है जब पाकिस्तान क्रिकेट पर भी स्पॉट-फ़िक्सिंग और मैचफ़िक्सिंग का घना साया मंडराया और उसने सलीम मालिक और अता-उर-रहमान जैसे खिलाड़ियों का करियर भी ख़त्म किया जिन पर आजीवन बैन लगा.
ख़ुद वसीम अकरम का नाम भी इन आरोपों में शामिल था और इस मामले की जांच जस्टिस क़य्यूम कमीशन ने की थी.
अकरम पर 1990 के दशक में अता-उर-रहमान को एक मैच 'फ़िक्स' करने के एवज़ में 3-4 लाख रुपए ऑफ़र करने का आरोप लगा.
आरोप ये भी लगा कि बंगलोर में खेले गए 1996 विश्व कप क्वार्टर-फ़ाइनल में कप्तान अकरम ने 'चोट का बहाना किया ताकि मैच न खेलना पड़े.'
एएफ़पी समाचार एजेंसी के पूर्व क्रिकेट एडिटर कुलदीप लाल उस मैच को कवर कर रहे थे.
उन्होंने बताया, "बंगलोर क्वार्टर-फ़ाइनल के एक दिन पहले वाली शाम को पाकिस्तान कैंप से ये ख़बर आ रही थी कि वसीम अकरम को कोई चोट लगी हुई है. फिर मैच के दिन सुबह-सुबह पता चल गया था कि वो नहीं खेलंगे.
हमने बाद में पता किया तो ये सही था कि उन्हें चोट लगी थी और ख़ुद वसीम ने हमसे बात करते हुए बाद में कई दफ़ा ये बात बताई."
अब अकरम ने अपनी किताब के ज़रिए बताया है, "दुनिया भर में मुझे लोग मानते हैं, जानते हैं. लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की अफ़वाहें उड़ती रहती हैं कि ये मैच फ़िक्सर है. इससे बहुत चोट पहुँचती है."

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एआरवाई न्यूज़ के स्पोर्ट्स एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद हाशमी ने इस सफ़ाई पर बात करते हुए कहा, "वसीम हमसे कई दफ़ा ये कहते थे कि मैं चाहता हूँ कि अपने दो बेटों और अपनी बेटी समेत सभी चाहने वालों को ये बता सकूँ कि मैच फ़िक्सिंग के आरोप मुझ पर कभी साबित नहीं हुए, डिसमिस कर दिए गए थे.''
जांच के बाद अक़रम समेत कई खिलाड़ियों पर जुर्माना भी लगा था लेकिन कोई भी आरोप साबित नहीं हो सके थे.
वसीम ने ख़ुद अपनी क़िताब में लिखा है, "मेरी एक ही ग़लती थी अपने बचपन के दोस्त ज़फ़र इक़बाल पर भरोसा करना. हुमा के लाख माना करने पर भी मैं ये समझ नहीं सका कि वो जुए और सट्टेबाज़ी में पड़ चुका है और मेरे नाम का ग़लत इस्तेमाल कर रहा है."
क्रिकेट समीक्षक अब्दुल माजिद भट्टी ने मसले पर दो टूक राय दी. उन्होंने कहा, "हाल ही में एशिया कप में वसीम से मुलाक़ात हुई और उन्होंने कहा कि मेरी क़िताब आ रही है और इस बार मैंने आख़िरकार अपने ऊपर आरोप लगाने वालों को जवाब दिया है और सभी स्कोर सेटल कर लिए हैं.
लेकिन सच ये है कि दुनिया भर के कई देशों के खिलाड़ियों का नाम फ़िक्सिंग वग़ैरह में आता रहा. जिन पर आरोप साबित हुए वो तो ठीक है, लेकिन कहते हैं न कि बिना आग के धुआँ होना मुश्किल होता है. अब वसीम अपनी बात दुनिया के सामने रखना चाहते हैं तो भी सही है."
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