अभिमन्यु ईश्वरन कौन हैं, जिन्हें रोहित शर्मा की जगह टीम इंडिया में जगह दी गई

    • Author, आसिफ़ अली
    • पदनाम, देहरादून से बीबीसी हिंदी के लिए

नानी की गोद में बैठकर क्रिकेट मैच देखते हुए तीन साल के बच्चे ने ये वादा किया था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब वो मैदान में चौके छक्के मारेगा और नानी टीवी पर उसका प्रदर्शन देखकर तालियां बजाएँगी.

उत्तराखंड के युवा क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ के लिए भारतीय टेस्ट टीम में कप्तान रोहित शर्मा की जगह शामिल किया गया है. उनके चयन से उत्तराखंड में खेल प्रेमी बेहद ख़ुश हैं.

28 साल के अभिमन्यु ईश्वरन दाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं और ज़रूरत पड़ने पर लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं. हालांकि पहले टेस्ट मैच में उन्हें मौक़ा नहीं मिला. अब दूसरे टेस्ट मैच की अंतिम एकादश में उन्हें मौक़े का इंतज़ार है.

अभिमन्यु की कामयाबी के पीछे पिता आरपी ईश्वरन का अहम योगदान रहा है. पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट रहे ईश्वरन ने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए अकाउंटेंसी का काम छोड़कर क्रिकेट कोचिंग का काम शुरू कर लिया और उन्होंने बेटे को कामयाब क्रिकेटर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

आरपी ईश्वरन वैसे तो मूल रूप से तमिलनाडु के चेन्नई से आते हैं लेकिन उनका पेशा उन्हें देहरादून ले आया जहां उनकी शादी देहरादून की बेला से हुई. उत्तर और दक्षिण भारत की मिश्रित संस्कृति वाले इसी परिवार में देहरादून में अभिमन्यु का जन्म 6 सितम्बर 1995 को हुआ.

अभिमन्यु अपने माता पिता की दो संतानों में छोटे हैं, अभिमन्यु से बड़ी उनकी एक बहन पल्लवी है.

अभिमन्यु के पिता आरपी ईश्वरन खुद भी क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो सका. लेकिन उनके बेटे ने इस सपने को उस मुकाम तक पहुंचा दिया है, जहां उनका सीना गर्व से तना हुआ है. इसकी शुरुआत अभिमन्यु के जन्म से सात साल पहले ही हो गई थी.

वो वादा...

क्रिकेटर नहीं बन पाने की कसक में आरपी ईश्वरन ने 1988 से देहरादून में अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी चलाने लगे ताकि क्रिकेट से उनका जुड़ाव बना रहे.

क्रिकेट अकादमी का नाम अभिमन्यु रखने के बाद बेटे का नाम भी अभिमन्यु क्यों रखा, इस सवाल में ईश्वरन ने बताया, "मैं साउथ इंडियन हूं, पत्नी नॉर्थ इंडियन. बच्चे के नाम पर कोई विवाद न हो, इसलिए अभिमन्यु नाम रखा, जो कि मेरी क्रिकेट अकादमी का भी नाम था."

अभिमन्यु के बारे में बात करते हुए पिता बताते हैं, "जब अभिमन्यु तीसरी कक्षा में थे तब स्कूल जाने से सिर्फ़ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें उंगलियों में पेंसिल नहीं अपने नन्हे हाथों में क्रिकेट का बल्ला थामना था. एक दिन अभिमन्यु ने अपनी नानी की गोद में बैठकर क्रिकेट मैच देखते हुए बोला था कि 'नानी देखना एक दिन मैं इंडिया खेलूंगा."

लिहाज़ा उन्होंने अभिमन्यु का टैलेंट देख कर पहले खुद कोचिंग दी और 2004 में कोलकाता में अंडर-13 के लिए बनगांव में निर्मल सेन गुप्ता कोच के पास शिफ्ट कर दिया. इस तरह से अभिमन्यु का देहरादून से बाहर निकल कर कोलकाता से रिश्ता जुड़ गया था.

आरपी ईश्वरन ने बताया कि टीवी पर इंडियन क्रिकेट टीम के दीवार, कवर ड्राइव और कलाई से खूबसूरत शॉट्स के उस्ताद कहे जाने वाले जिस दिग्गज राहुल द्रविड़ को उस बच्चे ने बचपन में ही अपना आदर्श बना लिया था.

भला उसने कहाँ सोचा होगा कि नियति रीयल लाइफ़ में एक दिन उसी आदर्श हीरो को क़िस्मत लिखने के लिए कोच के रूप में उसके सामने खड़ा करेगी.

देहरादून में अभिमन्यु क्रिकेट ऐकेडमी का नज़ारा

अभिमन्यु के चयन की ख़बर के बाद देहरादून-मसूरी के बीच घाटी में बनी अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी के मैदान में पसीना बहाकर क्रिकेट की बारीकियां सीखने वाले युवा खिलाड़ियों को बेसब्री से अभिमन्यु के टेस्ट मैच में जलवा बिखेरते देखने की चाहत है.

इसी जोश के साथ अब इस मैदान में ट्रेनिंग ले रहे हर उम्र के क्रिकेटर्स का उत्साह कई गुना बढ़ता दिखाई दे रहा है.

दोपहर में सर्दी की गुनगुनी धूप में प्रैक्टिस करने आए इन बच्चों से जब हमने उनकी प्रतिक्रिया पूछी तो वो बोल पड़े कि एक दिन उन्हें भी इंडियन कैप पहननी है इसके लिए वो भी अभिमन्यु जैसी टफ़ प्रैक्टिस कर रहे हैं.

क्रिकेटर अभिमन्यु के कोच और देहरादून में मौजूद अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी के हेड कोच सुशील जावले कहते हैं कि अभिमन्यु ने बचपन से ही अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी में प्रैक्टिस की है.

सुशील जावले के मुताबिक, अभिमन्यु जब भी देहरादून आते हैं तो उसके खेल का शेड्यूल तैयार रहता है, जिस पर वो खेल में सुधार के लिए काम करते हैं, उसी हिसाब से हम प्लान तैयार कर लेते हैं.

वे कहते हैं कि अभिमन्यु बहुत मेहनती खिलाड़ी हैं. अभिमन्यु बनाए गए प्रोग्राम के तहत ही प्रैक्टिस करते हैं.

स्किल ट्रेनिंग और जिम सेशंस मिलाकर पूरे दिन भर का प्रोग्राम तैयार रहता है. सुशील जावले का कहना है कि इन दिनों अभिमन्यु बहुत अच्छी फ़ॉर्म में चल रहे हैं. उनका कहना है कि अभिमन्यु के टीम में चयन से युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी.

शेड्यूल तैयार कर फॉलो करते हैं अभिमन्यु

अभिमन्यु के फिटनेस ट्रेनर रवि कुमार ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहते हैं कि अभिमन्यु के सेलेक्शन की वजह से क्रिकेट अकादमी में ख़ुशी का माहौल है. उनका कहना है कि पहली बार हमारी अकादमी से सीनियर क्रिकेट में किसी खिलाड़ी का चयन हुआ है.

रवि कुमार का कहना है कि अभिमन्यु जब भी देहरादून पहुँचते हैं तो उनका सारा फिटनेस प्रोग्राम उन्हीं की देख रेख में होता है.

उन्होंने बताया, "अभिमन्यु को जो भी फिटनेस प्रोग्राम दिया जाता है उसे वो एंजॉय करते हैं, जिसके फलस्वरूप वो आज यहाँ तक पहुँचे हैं."

रवि कुमार का कहना है कि अब जब अभिमन्यु यहाँ वापस आएँगे तो खिलाड़ियों को उनसे बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा.

2011 में जब भारत ने अपना दूसरा विश्व कप जीता तब अभिमन्यु महज 15 साल के थे. प्रथम श्रेणी क्रिकेट और इंडिया 'ए' के लिए लगातार रनों का अम्बार लगा रहे इस खिलाड़ी को हमेशा चयन समिति नज़रों में बनाए रखती है, क्योंकि 64 प्रथम श्रेणी मैच में 13 शतक और 18 अर्धशतक के बूते उन्होंने 4,401 रन बनाए हैं.

हांलाकि ये भी दुर्भाग्य रहा कि अभिमन्यु ईश्वरन को दुनिया के सबसे चकाचौंध वाली क्रिकेट लीग आईपीएल में किसी भी टीम ने नहीं ख़रीदा था इसके बावजूद इस खिलाड़ी ने हार नहीं मानी और लगातार अपने प्रदर्शन में निखार किया है.

अभिमन्यु के क्रिकेट करियर में सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट तो तब आया जब 2013-14 के रणजी ट्रॉफ़ी के क्वार्टर फाइनल में सुदीप चटर्जी के साथ 163 रनों की साझेदारी कर जबरदस्त पारी खेली.

अभिमन्यु ईश्वरन ने बंगाल की टी-20 टीम में 2016-17 के अंतरराज्यीय टी-20 टूर्नामेंट से डेब्यू किया था. अगले साल देवधर ट्रॉफ़ी में हिस्सा लेने वाली टीम में आ गए. इसके बाद 2019-2020 सत्र के दलीप ट्रॉफ़ी के लिए रेड टीम में उन्हें शामिल किया गया. इस टूर्नामेंट के फ़ाइनल मैच में इन्होंने ग्रीन टीम के ख़िलाफ़ 153 रनों की पारी खेली.

बचपन के दोस्तों को है सिलेक्शन पर गर्व

देहरादून में रहने वाले अभिमन्यु के बचपन के दोस्त सनी राणा अभिमन्यु के टीम में सेलेक्शन पर गर्व महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो और अभिमन्यु बचपन से साथ क्रिकेट खेलते आ रहे हैं. उनका कहना है कि सभी दोस्तों को अभिमन्यु पर नाज़ है.

सनी कहते हैं कि हमें उम्मीद थी कि अभिमन्यु एक दिन ज़रूर इंडिया खेलेंगे. सनी का कहना है कि मैच के दौरान जब तक अभिमन्यु क्रीज़ पर रहते थे तब तक सभी को भरोसा रहता था कि हम मैच जीतेंगे.

सनी पुराने मैच के बारे में कहते हैं कि मैच के दौरान अभिमन्यु की सोच बहुत सकारात्मक रहती है. मैच जीतने की चाह उन्हें कभी हारने नहीं देती है.

अभिमन्यु के स्टैमिना के बारे में सनी कहते हैं कि कोलकाता में एक मैच के दौरान 46 डिग्री टेम्प्रेचर में भी उन्होंने दौ सौ रनों की पारी खेली थी. पहले भाग कर दो रन लेने से लेकर दौ सौ रन बनाने तक अभिमन्यु का स्टैमिना एक जैसा ही था.

अभिमन्यु के बचपन के दोस्त हनी का कहना है कि वे (अभिमन्यु) बचपन से ही बहुत अच्छा खेलते थे.

क्रिकेट के लिए अभिमन्यु की लगन को देखकर हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिला. हनी कहते हैं कि अभिमन्यु और वो स्कूल के बाद घंटों प्रैक्टिस करते थे.

अभिमन्यु के एनर्जी लेवल के बारे में हनी कहते हैं कि दिन भर खेलने के बाद भी अभिमन्यु में तीन घंटे के प्रैक्टिस सेशन के दौरान भी वही शुरू जैसी एनर्जी रहती थी.

खेलने का जुनून ऐसा था कि सबके घर चले जाने के बाद भी अभिमन्यु प्रैक्टिस करता रहता था.

हनी कहते हैं कि खेल के दौरान अभिमन्यु हमसे सीखता था, तो हमें सीखाता भी था.

अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए हनी कहते हैं कि अभिमन्यु के टीम इंडिया में चयन से उत्तराखंड के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ेगा.

क्या कहना है अभिमन्यु के साथ खेल चुके युवा खिलाड़ियों का

देहरादून में पिछले तीन सालों से क्रिकेट खेल रहे निखिल कोहली तेज़ गेंदबाज़ हैं. अभिमन्यु के बारे में उनका कहना है कि उन्होंने अभिमन्यु के साथ खेलते हुए उन्हें कई बार बाउलिंग की है, तो लगा कि उनको आउट या बीट करना बहुत मुश्किल है.

निखिल का कहना है कि अभिमन्यु के सामने गेंदबाज़ी करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. अभिमन्यु ईश्वरन भारतीय क्रिकेट टीम के नए टेस्ट सितारे बनकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने को बेताब हैं.

अभिमन्यु को रोहित शर्मा की जगह टीम में जगह दी गई है. अभिमन्यु से सभी को बांग्लादेश में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है, उनका मानना है कि इस सिरीज़ में वो रोहित शर्मा की कमी पूरी कर क्रिकेट के चाहने वालों की सोच पर खरे उतरेंगे.

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